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भाजपा-आरएसएस दलित विरोधी, आरक्षण और संविधान इनके निशाने पर: कांग्रेस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Trainee Trainee
Updated Mon, 19 Aug 2019 06:30 PM IST
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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा
- फोटो : अमर उजाला
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की आरक्षण पर सौहार्द्रपूर्ण माहौल में चर्चा संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को भाजपा और संघ को दलित-पिछड़ा विरोधी करार दिया और आरोप लगाया कि आरक्षण और संविधान इनके निशाने पर है और यही इनका असली एजेंडा है।
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी दावा किया कि भागवत के बयान का मकसद विवाद खड़ा करके लोगों का ध्यान भटकाना है। उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि भाजपा और आरएसएस की आदत बन गई है कि जनता को विवादों के जरिये व्यस्त रखें ताकि लोग कठिन प्रश्न पूछना बन्द कर दें और बुनियादी मुद्दे नहीं उठें।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति पर सवाल पूछने लगे तो मोहन भागवत का यह बयान आया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पी एल पूनिया ने आरोप लगाया कि भाजपा जब भी सरकार में आई तो संविधान में बदलाव की कोशिश की गई। भागवत का बयान आया है कि आरक्षण पर सद्भावपूर्ण बहस होनी चहिए। ये लोग किस तरह की बहस करना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि यह सोची समझी चाल है। उनकी मानसिकता आरक्षण खत्म करने की है। क्या यह सही नहीं है कि इन लोगों ने शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण खत्म करने की कोशिश नहीं की? पूनिया ने कहा कि भूमि उपयोग को गलत दिखाकर दिल्ली में रविदास मंदिर को ढहा दिया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस दलित विरोधी हैं। ये लोग दलितों और ओबीसी को मिल रहे लाभ को खत्म करना चाहते हैं। कांग्रेस नेता उदित राज ने दावा किया कि यह बयान दिखाता है कि ये लोग पुरानी मानसिकता में हैं। ये लोग शुरू से ही संविधान और आरक्षण के विरोधी हैं।
भागवत के जरिए लोगों को भड़काने की कोशिश की गई है। समाज में लोगों को लड़ाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि ओबीसी समाज को भी समझना होगा कि ये लोग आरक्षण खत्म करना चाहते हैं और वे भी इनके निशाने पर हैं।
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पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी दावा किया कि भागवत के बयान का मकसद विवाद खड़ा करके लोगों का ध्यान भटकाना है। उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि भाजपा और आरएसएस की आदत बन गई है कि जनता को विवादों के जरिये व्यस्त रखें ताकि लोग कठिन प्रश्न पूछना बन्द कर दें और बुनियादी मुद्दे नहीं उठें।
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उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति पर सवाल पूछने लगे तो मोहन भागवत का यह बयान आया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पी एल पूनिया ने आरोप लगाया कि भाजपा जब भी सरकार में आई तो संविधान में बदलाव की कोशिश की गई। भागवत का बयान आया है कि आरक्षण पर सद्भावपूर्ण बहस होनी चहिए। ये लोग किस तरह की बहस करना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि यह सोची समझी चाल है। उनकी मानसिकता आरक्षण खत्म करने की है। क्या यह सही नहीं है कि इन लोगों ने शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण खत्म करने की कोशिश नहीं की? पूनिया ने कहा कि भूमि उपयोग को गलत दिखाकर दिल्ली में रविदास मंदिर को ढहा दिया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस दलित विरोधी हैं। ये लोग दलितों और ओबीसी को मिल रहे लाभ को खत्म करना चाहते हैं। कांग्रेस नेता उदित राज ने दावा किया कि यह बयान दिखाता है कि ये लोग पुरानी मानसिकता में हैं। ये लोग शुरू से ही संविधान और आरक्षण के विरोधी हैं।
भागवत के जरिए लोगों को भड़काने की कोशिश की गई है। समाज में लोगों को लड़ाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि ओबीसी समाज को भी समझना होगा कि ये लोग आरक्षण खत्म करना चाहते हैं और वे भी इनके निशाने पर हैं।