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Congress: 'प्रधानमंत्री ने शांति बिल जबरन क्यों पास कराया, हमें पता चल गया है', सरकार पर कांग्रेस का निशाना

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Sat, 20 Dec 2025 02:12 PM IST
सार

परमाणु ऊर्जा को लेकर शीतकालीन सत्र में पारित कराए गए शांति बिल को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। शांति बिल 'सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट' के मुख्य प्रावधानों को खत्म करता है और यह एक चिंता का विषय है।

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congress target government over Nuclear Bill accused to help Modi restore SHANTI with once good friend
जयराम रमेश, नेता, कांग्रेस - फोटो : ANI
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विस्तार
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कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि परमाणु विधेयक SHANTI बिल को संसद में सिर्फ इसलिए जबरन पारित कराया गया ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने एक समय के अच्छे दोस्त के साथ शांति बहाल कर सकें। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया। जयराम रमेश ने कहा कि शांति बिल 'सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट' के मुख्य प्रावधानों को खत्म करता है और यह एक चिंता का विषय है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट 2026 में भी इसे लेकर चिंता जताई गई है।  
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कांग्रेस ने अमेरिकी एक्ट का किया जिक्र
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी-अभी अमेरिकी वित्तीय वर्ष 2026 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे लेकर जयराम रमेश ने एक्स पर साझा एक पोस्ट में कहा, 'यह एक्ट 3,100 पन्नों का है। पेज 1,912 पर न्यूक्लियर लायबिलिटी नियमों पर संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच संयुक्त मूल्यांकन का जिक्र है। अब हमें पक्का पता चल गया है कि प्रधानमंत्री ने इस हफ्ते की शुरुआत में संसद में शांति बिल को जल्दबाजी में पास कराया, जिसने सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 के मुख्य प्रावधानों को खत्म कर दिया।' कांग्रेस नेता ने अपनी पोस्ट में अमेरिकी एक्ट की एक कॉपी लगाते हुए कहा, 'यह उनके एक समय के अच्छे दोस्त के साथ शांति बहाल करने के लिए था।'
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अमेरिकी कानून का किया जिक्र
अमेरिकी एक्ट के पेज 1,912 पर 'न्यूक्लियर लायबिलिटी नियमों पर संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच संयुक्त मूल्यांकन' शीर्षक के तहत एक सेक्शन है। जिसमें कहा गया है: 'विदेश सचिव, अन्य संबंधित संघीय विभागों और एजेंसियों के प्रमुखों के परामर्श से, अमेरिकी-भारत रणनीतिक सुरक्षा संवाद के भीतर भारत गणराज्य की सरकार के साथ एक संयुक्त परामर्श तंत्र स्थापित किया जाएगा, जो नियमित आधार पर बैठक करेगा। इसमें कहा गया है कि भारत के घरेलू परमाणु दायित्व नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ संरेखित करने पर चर्चा की जाएगी।

राज्यसभा में बिल पर बोलते हुए, जयराम रमेश ने सरकार से आग्रह किया था कि परमाणु ऊर्जा ढांचे बनाने में पब्लिक सेक्टर की कीमत पर प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा न दिया जाए और देश में ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए उपलब्ध स्वदेशी टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि निजी कंपनियां परमाणु क्षेत्र का ग्रोथ इंजन नहीं हो सकतीं क्योंकि उन्हें देश के PSUs से ऊपर नहीं रखा जा सकता। संसद ने गुरुवार को परमाणु ऊर्जा बिल पास कर दिया।

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