कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के नए शब्द लोगों को सुनने को मिल रहे हैं। इसमें जांच के तरीके से लेकर हॉट-स्पॉट शामिल हैं। कई बार लोग इन शब्दों को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। कोरोना महामारी के बीच दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाले शब्दों का क्या अर्थ है और उनका मानव जीवन में क्या महत्व है। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के फेफड़ा सर्जन अरविंद कुमार कोरोना के बाद दुनिया में सुनने को आ रहे नए शब्दों का विस्तार से अर्थ और उनका महत्व बता रहे हैं। रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट से पूरी तरह आश्वस्त न हों...
1 आरटी-पीसीआर टेस्ट...
इस तकनीक को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन कहते हैं। इसके जरिए डीएनए में मौजूद वायरस की पहचान एंटीबॉडी जांच से होती है। इसके लिए रक्त का सैंपल लेते हैं। एंटीबॉडीज का काम वायरस से लड़ने का होता है। आरटी-पीसीआर जांच के लिए गले या श्वास नलिका से स्वैब लेते हैं। इस जांच में 12 से 24 घंटे का समय लगता है। ये जांच महंगी होती है क्योंकि इसकी किट काफी महंगी है। निजी पैथोलॉजी में आरटी-पीसीआर जांच 4500 रुपये में होती है।
2 रैपिड-एंटीबॉडी टेस्ट...
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की जांच रिपोर्ट 20 से 30 मिनट के भीतर आ जाती है। इससे ये पता करते हैं कि शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के खिलाफ सक्रिय तो नहीं हैं। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव है तो इसका मतलब की कोरोना वायरस है। ये जांच आमतौर पर हॉटस्पॉट वाले स्थानों पर होती है जहां से कोरोना के सबसे अधिक रोगी मिलते हैं।
3 रैपिड- एंटीबॉडी टेस्ट का नुकसान...
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट तभी पॉजिटिव आएगा जब शरीर में एंटीबॉडीज बन गई हैं। ऐसे में अगर एंटीबॉडीज नहीं बनी हैं और व्यक्ति संक्रमित है तो रिपोर्ट निगेटिव आएगी। कोरोना में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। कुछ मरीज ऐसे भी मिले हैं जिनमें बीमारी तो मिली पर लक्षण नहीं थे। वहीं कुछ लोगों का रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट निगेटिव था लेकिन बाद में उनकी कोरोना जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
4 हॉट-स्पॉट क्या होता है...
देशभर में कोरोना का हॉटस्पॉट उन क्षेत्रों को कहा गया जिन क्षेत्रों में संक्रमित मरीज अधिक मिले। इसका फायदा ये है कि इन क्षेत्रों पर कड़ी निगरानी के साथ जांच के दायरे को बढ़ा दिया जाता है। इसका मकसद वायरस को उस क्षेत्र के रहने वाले अधिक से अधिक लोगों तक फैलने से रोकना होता है।