Counter Terrorism: जिला स्तर तक पहुंचा 'आईबी' का ये खुफिया सेंटर, अब AI-ML की मदद से नपेगी 'इनपुट' की गहराई
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत खुफिया सूचना जुटाने वाले इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी), उस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का खास फोकस है। ये खुफिया 'मल्टी एजेंसी सेंटर' 24 घंटे बाज की तरह सतर्क रहता है। सेना-सीएपीएफ, एनआईए, ईडी और सीबीआई सहित लगभग 26 केंद्रीय एजेंसियां 'मल्टी एजेंसी सेंटर' में अपने सीक्रेट इनपुट साझा करती हैं। अब इस केंद्र का विस्तार जिला स्तर तक कर दिया गया है। आतंकी वारदात, आपराधिक गतिविधियां, ड्रग्स, सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा, 'व्हाइट कॉलर' क्राइम व देश की सिक्योरिटी से जुड़े दूसरे अलर्ट की गहराई तक पहुंचने के लिए मैक में कई बड़े सुधार किए गए हैं। जिला स्तर तक 'मल्टी-एजेंसी सेंटर' की कनेक्टिविटी को बढ़ाकर विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत किया गया है। मैक में आए किसी भी इनपुट की गहराई में जाने के लिए अब ज्यादा समय नहीं लगता। एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) व एमएल (मशीन लर्निंग), सक्षम सॉफ्टवेयर की मदद से वास्तविक समय पर खुफिया 'इनपुट' का विश्लेषण होता है।
'मल्टी-एजेंसी सेंटर' के बढ़ाए गए दायरे का यह फायदा हुआ है कि अब हिंसक उग्रवाद, उभरती सुरक्षा चुनौतियों, क्रिप्टोकरेंसी, नशीली दवाओं की तस्करी, आतंकवाद के वित्तपोषण, जैव-आतंकवाद, जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन), साइबर समन्वय आदि को लेकर त्वरित गति से खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। फोकस समूहों के विश्लेषणात्मक और पूर्वानुमानात्मक कार्यों में भी सुधार देखने को मिला है। हार्डवेयर और नेटवर्क की गति बढ़ाने के उद्देश्य से 'मैक' में सहायक-मैक (ए मैक) नेटवर्क को भी उन्नत किया गया है। अब किसी भी तरह के 'खुफिया' इनपुट का वास्तविक समय पर और त्वरित विश्लेषण करना संभव हो गया है। इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसे तकनीकी उपकरणों की मदद ली जा रही है।
गत दो वर्षों के दौरान, सरकार ने कई प्रमुख आतंकवाद-रोधी उपाय भी किए हैं। इनमें खुफिया जानकारी बढ़ाने, अंतर-एजेंसी समन्वय, ऑनलाइन कट्टरपंथ और एन्क्रिप्टेड डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से उभरते खतरों से निपटने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन उपायों से आतंकी जोखिमों को कम करने के लिए केंद्र और राज्य की कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। केंद्रीय एजेंसियों और राज्य पुलिस के बीच अंतर-एजेंसी समन्वय ने उन आतंकी मॉड्यूलों के खिलाफ सफल संयुक्त अभियान चलाना संभव बनाया है, जो आतंकवाद की भर्ती और वित्तपोषण में शामिल हैं। एनआईए, राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (नैटग्रिड), आईबी और राज्य आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) जैसी केंद्रीय एजेंसियां, मल्टी-एजेंसी सेंटर (मैक) प्लेटफॉर्म द्वारा समर्थित, निर्बाध डेटा साझाकरण और विश्लेषण के लिए डिजिटल उपकरणों का तेजी से लाभ उठा रही हैं।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के मामलों की जांच पर एनआईए की हैंडबुक, जिसे 2024 में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वितरित किया गया है, ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आतंकी जांच को मानकीकृत करने में मदद की है। इसका अभियोजन परिणामों में भी महत्वपूर्ण योगदान है। एनआईए ने बड़े-डेटा विश्लेषणात्मक क्षमता के साथ एक राष्ट्रीय आतंक डेटाबेस संलयन और विश्लेषण केंद्र (एनटीडीएफएसी) की भी स्थापना की है, जिसे प्राथमिकता वाले फोरेंसिक विश्लेषण और साक्ष्य के वैज्ञानिक संग्रह के लिए फोरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय (डीएफएसएस) के साथ बेहतर समन्वय द्वारा समर्थित किया गया है। एनआईए और राज्य पुलिस ऑनलाइन कट्टरपंथ के मामलों की सक्रियता से जांच कर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां, आरोप-पत्र और दोषसिद्धि हुई हैं।
एनआईए और राज्य आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के बीच सुरक्षित डेटा साझाकरण की सुविधा के लिए नैटग्रिड के आईटी प्लेटफ़ॉर्म पर एक संगठित अपराध नेटवर्क डेटाबेस (ओसीएनडी) विकसित किया जा रहा है। नियमित बहु-संस्थागत क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों, संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यासों और समन्वय बैठकों ने एजेंसियों के बीच वास्तविक समय में सूचना साझाकरण और परिचालन तालमेल को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत किया गया है। साथ ही, कुशल फोरेंसिक मानव संसाधन विकसित करने और प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने पर प्राथमिकता दी गई है, जिससे प्रभावी जांच के लिए आवश्यक तकनीकी और विश्लेषणात्मक क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सीमा सुरक्षा बलों को प्रमुख सीमाओं पर ड्रोन, थर्मल इमेजर, नाइट विजन डिवाइस, सेंसर और रीयल-टाइम रडार/ऑप्टिकल सिस्टम सहित उन्नत निगरानी तकनीकों से लैस किया गया है। भारत ने सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए साझेदार देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करना भी बढ़ाया है। व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) के तहत, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, बेहतर बाड़बंदी, गहन गश्त और ड्रोन और सेंसर के बढ़ते उपयोग ने संवेदनशील सीमाओं पर सुरक्षा को मजबूत किया है। इन उपायों के परिणामस्वरूप घुसपैठ के प्रयासों में कमी आई है। ड्रोन अवरोधन में वृद्धि हुई है।
हथियारों, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की बड़ी बरामदगी हो रही है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य पुलिस बलों का नियमित आधार पर आधुनिकीकरण किया जा रहा है। इसमें उन्हें बेहतर परिचालन संचार, प्रशिक्षण, पुलिस इकाइयों को हथियारबंद करने, उग्रवादी और कट्टरपंथी समूहों की निगरानी और सूचना के बेहतर प्रसार के लिए अंतर-एजेंसी समन्वय के लिए उन्नत तकनीकी उपकरण प्रदान करना भी शामिल है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नॉर्थ ब्लॉक में नए मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) का उद्घाटन किया था। शाह का कहना था कि 'ऑपरेशन सिन्दूर' में आसूचना एजेंसियों की सटीक सूचना और हमारी तीनों सेनाओं की अचूक मारक क्षमता का अद्वितीय प्रतीक है। गृह मंत्री के दिशा निर्देशों पर ही 'मल्टी एजेंसी सेंटर' का दायरा बढ़ाया गया है। मैक के अंतर्गत साइबर सुरक्षा, नार्को टेरर और उभरते कट्टरपंथी हॉटस्पॉट पर नजर रखने के लिए एसओपी बनाए गए हैं। इस केंद्र की मदद से कई अपराधों को होने से पहले ही रोकने में सफलता मिली है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यों के पुलिस संगठन एवं खुफिया सूचनाएं एकत्रित करने वाली इकाइयों से भी आग्रह किया था कि वे 'मैक' के साथ अधिक से अधिक सूचनाएं साझा करें। इसके बाद ही मैक में खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। अगर किसी भी केंद्रीय या राज्य की एजेंसी के पास कोई छोटा मोटा इनपुट है तो वह भी 'मैक' में साझा किया जाता है।