Vande Mataram Row: विपक्ष का भाजपा पर इतिहास तोड़ने-मरोड़ने का आरोप; जयराम रमेश बोले- नेहरू को बदनाम करना मकसद
Vande Mataram Row: राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर बहस के दौरान ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि पूरी चर्चा का मकसद जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करना है।
विस्तार
वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर संसद में हुई बहस अब एक राजनीतिक टकराव में बदलती जा रही है। बुधवार को राज्यसभा में विपक्षी दलों ने भाजपा पर इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का गंभीर आरोप लगाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि पूरी बहस का असली मकसद सिर्फ नेहरू को बदनाम करना है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय वंदे मातरम को लेकर महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल, राजेंद्र प्रसाद, सुभाष चंद्र बोस और टैगोर जैसे नेता गंभीर संवाद कर चुके थे।
नेहरू को निशाना बनाते-बनाते टैगोर का अपमान कर बैठे- जयराम रमेश
रमेश ने कहा जो आज इतिहास की बातें कर रहे हैं, वे इतिहासकार नहीं टिस्टॉर्शंस बन गए हैं। रमेश ने वर्ष 1937 से जुड़ी चिट्ठियों और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के दस्तावेजों का जिक्र करते हुए बताया कि पहले दो खंडों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाने का सुझाव स्वयं रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी की तरफ से बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बनाम टैगोर का विवाद खड़ा कर स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों का अपमान किया जा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी का आरोप तुष्टिकरण भी इतिहास से मेल नहीं खाता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आप राजेंद्र प्रसाद और पटेल को भी तुष्टिकरण का आरोपी बताएंगे?
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टीएमसी, CPI और BJD ने भी सरकार पर साधा निशाना
टीएमसी सांसद ऋतब्रत बनर्जी ने कहा कि वंदे मातरम बंगाल विभाजन के खिलाफ जनआंदोलन का केंद्र था और 1905 में टैगोर ने खुद इसे गाया था। उन्होंने पूछा मैं बंगाली बोल रहा हूं तो क्या मुझे भी बांग्लादेशी कहेंगे? सीपीआई सांसद पी संतोष ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि बहस एक स्वस्थ चर्चा हो सकती थी, लेकिन पीएम मोदी ने इसे विवादित बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि गांधी, नेहरू और अम्बेडकर के योगदान पर संसद में विशेष चर्चा होनी चाहिए। बीजेडी सांसद ने साफ कहा कि देश में वंदे मातरम और जन गण मन दोनों स्वीकार किए जा चुके हैं, इसलिए इस बहस का कोई औचित्य नहीं है।
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