कानों देखी: पश्चिम बंगाल में चाय से पहले गर्म हो रही केतली, नए साल आएगा उबाल
6 दिसंबर को हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के निर्माण की नींव रखी। 07 को परेड बाबा बागेश्वर, साध्वी ऋतंभरा, महामंडलेश्वर ज्ञानानंद महाराज आदि के मार्गदर्शन में श्रीमद्भागवत गीता पाठ हुआ। 08 दिसंबर को संसद में राष्ट्रगीत वंदेमातरम के 150 साल पूरे होने पर चर्चा शुरू हुई। दूसरी तरफ हुमायूं कबीर ने गीतापाठ के सामानांतर फरवरी में ‘कुरान पाठ’की घोषणा कर दी। यह सब तब हो रहा है, जब पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की गहन समीक्षा भी पूरे शबाब पर है। एक नेता कहते हैं कि अभी तो केवल केतली गर्म हो रही है। चाय में ऊबाल आना बाकी है। खबर है कि नए साल से यह उबाल लाने के लिए टेंपरेचर भी बढ़ा दिया जाएगा।
यूपी के पूर्व नौकरशाह क्यों घनघना रहे हैं फोन?
उत्तर प्रदेश के एक पूर्व नौकरशाह हैं। प्रशासन और प्रबंधन की कला में माहिर। उनके बारे में कहा जाता है कि वह शेर और बकरी को एक नाद में चारा खिला सकते हैं। पूर्व अफसर के करीब-करीब हर पार्टी में शुभचिंतक हैं। राजनीति से लेकर माफिया, ठेकेदार तक में अच्छी पकड़ रखते हैं। एक पार्टी के पूर्व प्रमुख का अभी भी कहना है कि बड़े बेआबरू होकर भले कूचे से निकले हों, लेकिन उन्हें बचने की कला आती है। इस पुराने अफसर ने बड़े जुगत से बड़ा मुकाम ले लिया था। उपयोगिता सिद्ध करने के लिए बड़ी मेहनत कर रहे थे। लेकिन उनके कभी सहयोगी रहे एक प्रतिद्वंदी ने सारी कसरत पर पानी फेर दिया। अचानक साहब पैदल हो गए हैं। अब उन्हें एक डर सता रहा है। जो चिट्ठी लिखी गई है, उसने अंदर तक डरा दिया है। कदाचित जांच आगे बढ़ी तो मुश्किल तय है। लिहाजा अभी तक तो सेवा करने के लिए वह लोगों के फोन की घंटी बजाया करते थे। अब खुद को आफत से बचाने के लिए लोगों के फोन की घंटी घनघना रहे हैं।
कुछ बड़ा होते-होते छोटा हो जाता है
जिस राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों, वहां बड़े उथल-पुथल की गुंजाइश कम रहती है। कारण साफ है। योगी आदित्यनाथ अपने आसपास के लोगों की सुनते हैं। उनके आसपास सभी तरह के लोग हैं। मुख्यमंत्री सुनने के बाद मंथन करके ही कुछ करने के लिए कदम बढ़ाते हैं। अपनी इसी तैयारी के साथ मुख्यमंत्री लगातार अपनी लकीर लंबी करते जा रहे हैं। राज्य के एक बड़े नेता इशारा कर रहे थे कि राज्य में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है। दोनों उपमुख्यमंत्री भी मुस्करा रहे थे। संजय निषाद और ओम प्रकाश राजभर को भी कुछ उम्मीदें थी। अभी पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश से दर्जनों विधायक दिल्ली आए थे। कुछ मंत्री भी राष्ट्रीय नेताओं से मिले, लेकिन अब खबर है कि संसद के शीतकालीन सत्र या फिर मकर संक्रांति के बाद कुछ होगा। अब क्या होगा इसके लिए तो नए साल के तीसरे सप्ताह तक का इंतजार करना पड़ सकता है।
सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच में सब ठीक है?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की छवि और जनाधार ठीक-ठाक है। उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार अच्छे स्ट्रेटजी प्लानर और साधन संपन्न हैं। लेकिन बस एक बात डीके के पक्ष में कमजोर हो जाती है। जनता जनार्दन पर पकड़ के मामले में वह सिद्धारमैया से पीछे हो जाते हैं। इसमें सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्र सिद्धारमैया भी रह रहकर तड़का लगा देते हैं। दोनों नेताओं की दिल्ली पर पकड़ की बात करें तो कांग्रेस शीर्ष को दोनों की जरूरत है। नो रिस्क। फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने समय और गृहराज्य की नब्ज देखकर ‘इंट्री’ले ली। दोनों से आपस में सद्भाव और संवाद पर जोर देने को कहा गया। नतीजतन डीके पहुंचे सिद्धा के घर। सिद्धा ने भी दिखाया प्रेम। अब डीके कहते हैं कि सब ठीक है। डीके अभी इस मामले में तेल और तेल की धार देख रहे हैं।