Cyber Crime: 23 लाख केस, ठगों के हाथ में जाने से बचाए करोड़ो; 11 लाख सिम कार्ड व 2.96 लाख IMEI नंबर ब्लॉक
केंद्रीय गृह मंत्री को साइबर सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है। इसे लेकर मंत्रालय ने साइबर क्राइम से जुड़े कुछ आकड़ें शेयर किए हैं।
विस्तार
केंद्रीय गृह मंत्रालय के I4C के अंतर्गत 'नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली' (सीएफसीएफआरएमएस) को वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और जालसाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए वर्ष 2021 में शुरू किया गया था। इसके सार्थक नतीजे सामने आ रहे हैं। 31 अक्तूबर 2025 तक 23.02 लाख से अधिक साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतों में 7,130 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई जा चुकी है।
ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में सहायता के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर '1930' चालू किया गया है। I4C में एक अत्याधुनिक साइबर धोखाधड़ी निवारण केंद्र (सीएफएमसी) स्थापित किया गया है। यहां पर प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटरों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि, साइबर अपराध से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
गृह मंत्रालय ने देश में साइबर अपराध की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए एक ढांचा और प्रणाली विकसित करने के लिए वर्ष 2018 में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना की थी। कम समय में ही I4C ने साइबर अपराधों से निपटने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय विकसित करने की राष्ट्र की सामूहिक क्षमता को बढ़ाने की दिशा में काम किया है।
एक जुलाई, 2024 से I4C को गृह मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय के रूप में स्थापित किया गया है। I4C नागरिकों के लिए साइबर अपराध से संबंधित सभी मुद्दों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय में सुधार, क्षमता निर्माण, जागरूकता आदि शामिल हैं। साइबर अपराध जांच में सहयोग और क्षमता निर्माण को मजबूत करने के लिए 17 जनवरी, 2025 को I4C, गृह मंत्रालय और अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
समन्वय प्लेटफॉर्म को प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्लेटफॉर्म, डेटा भंडार और साइबर अपराध डेटा साझाकरण और विश्लेषण के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वय प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करने के लिए चालू किया गया है।
यह विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर अपराध शिकायतों में शामिल अपराधों और अपराधियों के बीच अंतरराज्यीय संबंधों का विश्लेषण-आधारित विश्लेषण प्रदान करता है। 'प्रतिबिंब' मॉड्यूल अपराधियों और अपराध अवसंरचना के स्थानों को मानचित्र पर प्रदर्शित करता है, जिससे क्षेत्राधिकार अधिकारियों को जानकारी मिलती है। यह मॉड्यूल कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आई4सी और अन्य लघु एवं मध्यम उद्यमों से तकनीकी-कानूनी सहायता प्राप्त करने में भी सुविधा प्रदान करता है। इसके परिणामस्वरूप 16,840 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और 1,05,129 साइबर जांच सहायता अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत सरकार द्वारा 11.14 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2.96 लाख आईएमईआई ब्लॉक किए जा चुके हैं। भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे अपने विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के माध्यम से साइबर अपराध सहित अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच, अभियोजन और सजा सुनिश्चित करें। केंद्र सरकार, एलईए की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सलाह और वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पहलों का समर्थन करती है।
गृह मंत्रालय ने 'महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी)' योजना के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, कनिष्ठ साइबर सलाहकारों की नियुक्ति और एलईए कर्मियों, लोक अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण जैसे क्षमता निर्माण कार्यों के लिए 132.93 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी की है। 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं शुरू की गई हैं। 24,600 से अधिक कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही है।