पति को बाघ ने खाया तो तूफान ने छीना रोजगार, यही है सुंदरबन की 'बाघ विधवाओं' की दास्तां
पहले बाघ, फिर तूफान। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में जीवन पहले ही आसान नहीं था। आधारभूत सुविधाओं को अभाव। कदम कदम पर बाघ के हमले का खतरा। और अब उस पर अम्फान तूफान ने यहां जीवन और मुश्किल कर दिया। ऐसे ही माहौल में संघर्षभरा जीवन बिताने को मजबूर हैं सुंदरबन की 'बाघ विधवाएं'। वो महिलाएं जिनके पति को बाघ ने मार डाला।
ऐसी ही एक महिला हैं मंजुला सरदार। 45 साल की मंजुला को दो दिन के बाद पहली बार कुछ खाने को नसीब हुआ था। वो भी मुट्ठीभर मुरमुरे और गुड़। अपना सबकुछ गंवा देने की हताशा साफ चेहरे पर दिख रही है। बस अपने तालाब को वह एकटक देखे जा रही है, जो अब तूफान के बाद नमकीन पानी से भर चुका है। पश्चिम बंगाल में एक हफ्ते पहले आए अम्फान तूफान ने न सिर्फ मंजुला के तालाब की सारी मछलियों को मार डाला बल्कि उससे आजीविका का एक मात्र सहारा भी छीन लिया।
मंजुला पर कोई पहली बार मुसीबतों का पहाड़ नहीं टूटा है। सात साल पहले 2013 में यहीं के गोसाबा इलाके में बाघ ने पति को मार डाला। इसके बाद से तालाब की मछलियां ही कमाई का एकमात्र साधन था। आसपास के खेत भी तूफान की वजह से बर्बाद हो चुके हैं। मंजुला और उस जैसे महिलाओं को आमतौर पर ‘बाघ विधवा’ कहा जाता है।
पहले भी तूफान ने ही बदली जिंदगी
मंजुला ने बताया कि पहले भी तूफान ने ही उनकी जिंदगी को बदल दिया था। चक्रवात आइला की वजह से खेत बर्बाद हो गए तो मजबूरन पति को मछली पकड़ने का काम शुरू करना पड़ा। इसी दौरान बाघ ने हमला कर उनकी जान ले ली। काफी संघर्ष के बाद एक एनजीओ की मदद से मछली पालन के लिए एक तालाब के इस्तेमाल की अनुमति मिली थी। अब अम्फान तूफान को भी ले गया।
मंजुला जैसी कई कहानी
गोसाबा इलाके के सतजेलिया प्रखंड की 100 से ज्यादा ‘बाघ विधवाओं’ ने बीते 15 वर्षों में अपने पतियों को बाघ की वजह से खो दिया और इन सबकी कहानी कमोबेश एक जैसी है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सुंदरबन इलाके में 2010 से 2017 के बीच बाघ के हमलों में कम से कम 52 लोगों की जान गई है। शीबा सरदार (40) सतजेलिया की रहने वाली एक अन्य बाघ विधवा हैं। उसे चक्रवात या इंसान-बाघ के संघर्ष से ज्यादा भूख का डर है। वह मुर्गी पालन का काम करती थी। तूफान में 100 मुर्गियां और 80 चूजे बह गए। वह बताती है कि सुंदरबन में जब भी कोई आपदा आती है तो हमें फिर से नई शुरुआत करनी पड़ती है।
सुलाता के पति को आंखों के सामने बाघ ने मारा
खेतिहर मजदूर सुलाता का कहना है कि आइला चक्रवात के बाद चीजे पटरी पर लौटना शुरू हुई ही थीं कि अम्फान तूफान ने सब कुछ खत्म कर दिया। उसने कहा, 'अब हमें सब कुछ नए सिरे से शुरू करना होगा। कोई खेती योग्य जमीन नहीं बची और मेरे पास परिवार को पालने के लिये कोई जरिया नहीं है।' सुलाता के पति को 2011 में उसकी आंखों के सामने ही बाघ ने मार दिया था। वह बताती हैं कि बाघ, घड़ियाल और सांप के हमले में अपने पति को खोने वाली बहुत सी महिलाओं ने शहर का रुख कर लिया और वहां काम तलाश लिया। संपर्क किए जाने पर पश्चिम बंगाल सुंदरबन मामलों के मंत्री मंटुराम पखीरा ने कहा कि सरकार सुंदरबन की विधवाओं के मामले को देखेगी।