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Rafale Deal: सबसे बड़ी रक्षा डील की तैयारी में भारत सरकार, देश को मिल सकते हैं 114 'मेक इन इंडिया' राफेल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Fri, 12 Sep 2025 08:38 PM IST
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सार

रक्षा मंत्रालय को वायुसेना से 114 'मेक इन इंडिया' राफेल विमानों की खरीद का प्रस्ताव मिला है। 2 लाख करोड़ से अधिक की इस डील से भारतीय रक्षा बलों के पास कुल 176 राफेल होंगे। विमान में 60% से अधिक स्वदेशीकरण होगा और हैदराबाद में MRO सुविधा बनेगी। यह भारत का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा, जो वायुसेना को पाकिस्तान और चीन के खिलाफ रणनीतिक बढ़त देगा।

Defence Ministry preparing for biggest deal country can get 114 Make in India Rafale
राफेल विमान - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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रक्षा मंत्रालय को भारतीय वायुसेना से 114 ‘मेक इन इंडिया’ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव मिला है। इस सौदे की कीमत दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है। खास बात यह है कि ये विमान फ्रांस की डसॉ एविएशन कंपनी बनाएगी, लेकिन इसमें भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों की भी अहम भूमिका होगी। मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कर दी है।
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रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, वायुसेना द्वारा तैयार किया गया “स्टेटमेंट ऑफ केस” (एसओसी) मंत्रालय को कुछ दिन पहले मिला है। अब इस पर रक्षा मंत्रालय की विभिन्न शाखाएं, जिसमें रक्षा वित्त भी शामिल है, विचार कर रही हैं। अगले चरण में यह प्रस्ताव रक्षा खरीद बोर्ड डीपीबी) और फिर रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) के पास जाएगा।
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सबसे बड़ा रक्षा सौदा
इस प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिल जाती है तो यह भारत सरकार का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा। इससे भारतीय रक्षा बलों के पास कुल 176 राफेल विमान हो जाएंगे। फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 36 राफेल हैं और नौसेना ने 26 विमानों का ऑर्डर दिया हुआ है।

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पाकिस्तान और चीन पर राफेल का दबदबा
राफेल की क्षमता हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ हुए ऑपरेशन सिंदूर में भी साबित हुई। इसमें राफेल ने चीन के आधुनिक PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों को अपनी स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रणाली से मात दी। इसके अलावा, नए विमानों में स्कैल्प से ज्यादा रेंज वाली एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें लगाई जाएंगी, जो पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी ठिकानों और सैन्य ठिकानों पर हमलों के दौरान कारगर साबित होंगी।

स्वदेशीकरण और एमआरओ सुविधा
‘मेक इन इंडिया’ राफेल विमानों में 60% से अधिक स्वदेशीकरण शामिल होगा। फ्रांस की डसॉ कंपनी हैदराबाद में राफेल इंजनों (M-88) के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा स्थापित करने की योजना बना रही है। भारतीय कंपनियां जैसे टाटा भी इस उत्पादन प्रक्रिया में भाग लेंगी।

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भारतीय वायुसेना की रणनीतिक मजबूती
भारत के सामने चीन और पाकिस्तान से लगातार बढ़ते खतरे को देखते हुए यह सौदा अहम माना जा रहा है। वायुसेना की भविष्य की लड़ाकू विमान संरचना मुख्य रूप से सुखोई-30 एमकेआई, राफेल और स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर आधारित होगी। भारत पहले ही 180 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमान ऑर्डर कर चुका है और 2035 के बाद बड़ी संख्या में पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी विमानों को भी शामिल करने की योजना बना रहा है।

रक्षा उद्योग के लिए बड़ा मौका
अगर यह सौदा सिरे चढ़ता है तो यह भारतीय रक्षा उद्योग के लिए ऐतिहासिक अवसर साबित होगा। इससे न सिर्फ तकनीक का हस्तांतरण होगा, बल्कि भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती भी मिलेगी। साथ ही, भारत में एयरोस्पेस सेक्टर में रोजगार और निवेश के नए अवसर पैदा होंगे।


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