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Delhi Budget: बजट में 'आप' से बड़ी रेखा खींचने की चुनौती, क्या अलग छाप छोड़ पाएंगी भाजपा की मुख्यमंत्री?
सार
आम आदमी पार्टी की सरकार में 2014-15 में दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय करीब 2.47 लाख रुपये थी, जो 2023-24 में बढ़कर 4.62 लाख रुपये हो गई थी। यह करीब 2.5 गुने की वृद्धि है। देश की करीब 1.55 प्रतिशत आबादी वाली दिल्ली देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 3.89 प्रतिशत का योगदान देती है।2014-15 में दिल्ली का बजट केवल 36,766 करोड़ रुपये हुआ करता था।
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सीएम रेखा गुप्ता और आतिशी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र सोमवार 24 मार्च से शुरू होकर शुक्रवार 28 मार्च तक चलेगा। इस बजट से यह स्पष्ट हो जाएगा कि दिल्ली की भाजपा सरकार राजधानी को किस दिशा में ले जाना चाहती है। साथ ही यह भी साफ हो सकेगा कि दिल्ली के विकास के लिए सरकार के पास क्या खाका है? एक पार्षद से सीधे विधायक और दिल्ली के मुख्यमंत्री पद तक की यात्रा तय करने वाली रेखा गुप्ता के सामने भी अपना विजन दिखाने की चुनौती रहेगी। क्या वे इस कोशिश में सफल हो पाएंगी?
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शिक्षा-स्वास्थ्य को बेहतर करने की जरूरत
अरविंद केजरीवाल और आतिशी मारलेना की सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण अवश्य घिर गई, लेकिन इसके बाद भी वह अपनी यह छवि बनाने में सफल रही थी कि उसकी सरकार में सबसे ज्यादा पैसा शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जाता है। दिल्ली सरकार ने वर्ष 2024-25 के 76,000 करोड़ रुपये के कुल बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर 8,685 करोड़ का बजट निर्धारित किया था जो कुल बजट का 11.42 प्रतिशत था। सरकार ने शिक्षा के लिए 16396 करोड़ का बजट निर्धारित किया था जो कुल बजट का 21 प्रतिशत से ज्यादा था। रेखा गुप्ता सरकार के सामने शिक्षा-स्वास्थ्य के बजट को घटाए बिना दिल्ली स्कूलों की स्थिति बेहतर बनाने का दबाव रहेगा।
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आयुष्मान योजना के कारण भी बढ़ेगा दबाव
दिल्ली सरकार ने राजधानी के लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ देने की घोषणा कर दी है। जानकारी के अनुसार, आयुष्मान योजना में शुरुआती दौर में प्रीमियम केवल 1051 रुपये था, जिसमें केंद्र 630.60 रुपये का अंशदान देती थी, शेष रकम राज्य सरकारों को वहन करनी पड़ती थी। दिल्ली में आयुष्मान योजना का लाभ बढ़ाकर दस लाख रूपये तक कर दिया गया है। इससे बीमा का प्रीमियम भी दो गुना तक हो जाएगा, लेकिन इसका बढ़ा हुआ भार राज्य सरकार को ही वहन करना होगा। ऐसे में दिल्ली सरकार के लिए इस मोर्चे पर भी निपटना पड़ेगा।
टैक्स बढ़ाए बिना कल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने की चुनौती
भाजपा सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने द्वारा घोषित कल्याणकारी योजनाओं महिला आर्थिक सम्मान योजना, बुजुर्गों-विधवाओं-दिव्यांगों की पेंशन और गरीबों को अटल थाली के रूप में सस्ता भोजन उपलब्ध कराने की योजनाओं को पूरा करने की चुनौती होगी। उसे पूर्व सरकार द्वारा घोषित कल्याणकारी योजनाओं (मुफ्त बिजली, पानी, दिल्ली बसों में मुफ्त सफर) को जारी रखने की भी होगी। सबसे बड़ी बात, उसे यह सारा काम बिना टैक्स का बोझ बढ़ाए करना होगा। यदि सरकार किसी तरह टैक्स का बोझ बढ़ाती है तो वह लोगों के बीच अलोकप्रिय हो सकती है।
यमुना की सफाई बड़ा काम
भाजपा ने चुनावों के दौरान यमुना की सफाई को बड़ा मुद्दा बनाने में सफलता हासिल की थी। अब उसे इस चुनौती पर खरा उतरना है कि वह पांच सालों के अंदर यमुना को साफ करके दिखाए। भाजपा नेता-मंत्री भी समझ रहे हैं कि यह चुनौती बहुत बड़ी है। इसके लिए दिल्ली के हर नाले से निकलने वाली गंदगी को यमुना में गिरने से पहले उसके पानी को साफ करना होगा। इसके लिए जगह-जगह पर एसटीपी बनाने होंगे और पुराने एसटीपी को पूरी क्षमता के साथ काम करना होगा। यह भारी भरकम खर्च और समय लगने वाला काम है।
इस मुद्दे पर जिस तरह की प्रतिबद्धता स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है, भाजपा इस मुद्दे से पीछे नहीं हट सकती। बल्कि यही वह काम होगा जिसे पूरा करके सरकार यह दिखाने की कोशिश करेगी कि उसे चुनकर जनता ने कोई गलती नहीं की है। ऐसे में यह काम सरकार की प्राथमिकता में रहने वाला है। सरकार को इसके लिए बजट जुटाना और यमुना को साफ करना बड़ी चुनौती साबित होने वाला है।
दिल्ली की आय बढ़ी
आम आदमी पार्टी की सरकार में 2014-15 में दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय करीब 2.47 लाख रुपये थी, जो 2023-24 में बढ़कर 4.62 लाख रुपये हो गई थी। यह करीब 2.5 गुने की वृद्धि है। देश की करीब 1.55 प्रतिशत आबादी वाली दिल्ली देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 3.89 प्रतिशत का योगदान देती है।2014-15 में दिल्ली का बजट केवल 36,766 करोड़ रुपये हुआ करता था। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के कारण केंद्र के साथ-साथ सभी राज्यों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन इसके बाद भी भाजपा को इस बढ़त को बनाए रखने के साथ बिना कोई टैक्स लगाए कल्याणकारी योजनाओं पर खरा उतरने की चुनौती होगी।
जनता से ली है राय
भाजपा प्रवक्ता शुभेंदु शेखर अवस्थी ने अमर उजाला से कहा कि अरविंद केजरीवाल ने केवल इस बात का ढिंढोरा पीटा था कि उनकी सरकार में हर निर्णय जनता की राय लेने के बाद किए जाएंगे। लेकिन दिल्ली के साथ-साथ पूरे देश की जनता ने देखा कि किस तरह अरविंद केजरीवाल-आतिशी मारलेना ने मनमानी तरीके से दिल्ली को हांकने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली की जनता से पूछकर दिल्ली की योजनाओं को बनाया गया होता तो दिल्ली के लोग कभी भी गली-गली में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति नहीं देते।
उन्होंने कहा, लेकिन भाजपा सरकार ने बजट पेश करने के पहले दिल्ली के हर वर्ग से राय ली है। महिलाओं, श्रमिकों, व्यापारियों, बुद्धिजीवियों, उद्यमियों, ग्रामीण जनता, युवाओं, मध्य वर्ग के लोगों और गरीब जनता के बीच हमारी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता स्वयं पहुंचीं और लोगों से हर मुद्दे पर बातचीत की। पार्टी ने एक ईमेल और व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया था जिससे लोग बजट पर अपनी राय दे सकें। बजट पर ईमेल से तीन हजार से अधिक और ह्वाट्सअप पर छः हजार से ज्यादा सुझाव मिले हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार बजट पर जनता की अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी और दिल्ली को वे एक विकसित दिल्ली बनाने की ओर कदम बढ़ाती हुई दिखाई देगी।
बजट पर निगाह: रितु चौधरी
कांग्रेस नेता रितु चौधरी ने अमर उजाला से कहा कि भाजपा ने दिल्ली को बेहतर बनाने का सपना दिखाकर ही लोगों से वोट पाया है। अब उसे अपने वादे के अनुसार दिल्ली को एक विकसित देश की राजधानी की तरह विकसित करके दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2014 से ही उन्होंने देश के अलग-अलग शहरों को स्मार्ट शहर बनाने और आदर्श ग्राम बनाने के जुमले सुने थे। वे आज तक पूरे नहीं हुए। ऐसे में यह देखना होगा कि भाजपा के नए वादे कितना जमीन पर उतरते हैं और कितने जुमला साबित होते हैं।
केजरीवाल की तरह गरीबों का विकास करके दिखाए भाजपा- आप
आम आदमी पार्टी के नेता संजीव कौशिक ने अमर उजाला से कहा कि जनता की दृष्टि में केजरीवाल की सरकार ने गरीबों के लिए बेहतर काम किया था। बिजली-पानी मुफ्त देने के साथ-साथ महिलाओं को मुफ्त सफर और गरीबों को तीर्थयात्रा तक कराने का काम केजरीवाल ने किया था। लेकिन भाजपा के रुख अभी से यह बता रहे हैं कि भाजपा सरकार अपने वादों पर खरा नहीं उतरने जा रही है। प्रधानमंत्री के साथ-साथ भाजपा के हर नेता ने चुनाव में वादा किया था कि सरकार बनते ही महिलाओं को 2500 रुपये देने की योजना शुरू कर दी जाएगी।
लेकिन यह योजना अब तक शुरू नहीं हो पाई है। होली पर भी सबको फ्री सिलेंडर देने का वादा किया गया था, लेकिन होली बीत गई और किसी को कोई लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इसी से साफ हो जाता है कि भाजपा अपने कितने वादों पर खरा उतरने जा रही है और कितने वादों को जमीन पर उतारा जाता है।
संजीव कौशिक ने कहा कि बेतहाशा बढ़ती महंगाई के कारण लोगों की बचत खत्म हो गई है। छोटे-छोटे कर्ज के बढ़ने का सीधा अर्थ यही है कि गरीब वर्ग अब अपनी छोटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी कर्ज लेने पर मजबूर हो रहा है। इतनी परेशानी के बाद भी सरकार टैक्स में कोई कमी नहीं कर रही है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि भाजपा सरकार में गरीबों को कोई राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के बजट पर असली टिप्पणी जनता करेगी और वह दिन सामने आने में देर नहीं है।