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चिंता: दिल्ली-NCR और सिंधु-गंगा सबसे प्रदूषित, हर व्यक्ति रोज 18-20 सिगरेट के बराबर जहरीली हवा में सांस ले रहा

अमर उजाला नेटवर्क Published by: शुभम कुमार Updated Tue, 18 Nov 2025 07:43 AM IST
सार

दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार दुनिया के सबसे प्रदूषित इलाकों में शामिल हैं। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 400-800 तक पहुंच चुका है, जिससे हर व्यक्ति रोज 18-20 सिगरेट के बराबर जहरीली हवा में सांस ले रहा है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों के लिए घातक है।

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Delhi-NCR and Indus-Gangetic areas are the most polluted with each person breathing toxic air equivalent
वायु प्रदूषण - फोटो : Adobe Stock
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अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पर्यावरण रिपोर्ट्स के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार इस समय दुनिया के सबसे प्रदूषित इलाकों में शामिल हैं, जहां एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार 400 से 800 के बीच दर्ज किया जा रहा है। यह प्रदूषण इतना है जितना एक स्वस्थ व्यक्ति रोज 18 से 20 सिगरेट पीने के बाद प्रदूषण झेलता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इतना प्रदूषण बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर रोगियों के लिए घातक है, जबकि सामान्य व्यक्ति भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं।

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कई वैश्विक पर्यावरण संस्थाओं के अनुसार इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण भारत के उत्तरी बेल्ट विशेष रूप से दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, पटना और लखनऊ में दर्ज किया जा रहा है। कई इलाकों में एक्यूआई 700 तक पहुंच गया। शिकागो विश्वविद्यालय के एक्यूएलआई 2025 रिपोर्ट के अनुसार 54 करोड़ से अधिक लोग विषैली हवा में सांस ले रहे हैं।
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सिंधु गंगा के मैदानों में इसलिए फंसता है प्रदूषण
सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में उत्तर भारत का वह विशाल समतल क्षेत्र शामिल है जो पश्चिम में पंजाब और हरियाणा से शुरू होकर दिल्ली, पश्चिमी–मध्य–पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के तराई इलाके, बिहार, झारखंड और पूर्वी दिशा में पश्चिम बंगाल तक फैला है। इसमें दक्षिण की ओर जाते हुए उत्तरी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से भी शामिल हो जाते हैं, जबकि पश्चिम में यह पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत तक विस्तार पाता है। पटियाला, अमृतसर, लुधियाना, चंडीगढ़, दिल्ली-एनसीआर, आगरा, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, पटना, गया, भागलपुर और कोलकाता जैसे बड़े शहर इसी मैदानी पट्टी में स्थित हैं।

जनसंख्या घनत्व, शहरीकरण, उद्योग व वाहन दबाव, कृषि गतिविधियां और फसल अवशेष जलाना प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारक हैं। यह क्षेत्र भौगोलिक रूप से प्रदूषण फंसने के लिए अत्यधिक संवेदनशील है क्योंकि उत्तर में हिमालय दीवार की तरह खड़ा है, जो प्रदूषित हवा और धूल कणों को उत्तर की ओर बहने नहीं देती। दूसरी ओर मैदान का अत्यधिक समतल होना हवा के प्रवाह को धीमा कर देता है।

औसत 8 साल तक घट सकती है जीवन प्रत्याशा
यदि मौजूदा परिस्थिति जारी रही तो इन क्षेत्रों में औसत जीवन-प्रत्याशा में 8 वर्ष तक की कमी आ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट भी चेतावनी देती है कि विश्व के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में से 12 भारत में हैं।
एक्यूएलआई रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञ दिल्ली समेत उत्तर भारत में प्रदूषण बढ़ने के पीछे वाहनों से उत्सर्जन, निर्माण और विध्वंस कार्य, औद्योगिक धुआं को प्रमुख कारण मानते हैं।

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