दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में हर दिन नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब रिपोर्ट्स में यह चौंकाने वाला दावा किया जा रहा है कि इस हमले में कथित तौर पर शू बम (Shoe Bomb) का इस्तेमाल किया गया था। जांच एजेंसियों के मुताबिक यह तकनीक अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल्स द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हाई-रिस्क विधियों में से एक है, जिसे पहचानना मुश्किल होता है और कम समय में बड़े पैमाने पर नुकसान किया जा सकता है। इस मामले में डॉ. उमर का नाम सामने आना जांच को एक नए मोड़ पर ले गया है। माना जा रहा है कि डॉ. उमर ने इस पूरे ऑपरेशन में तकनीकी सहायता दी और धमाके में उपयोग किए गए मैकेनिज्म की प्लानिंग में अहम भूमिका निभाई।
धमाके से कुछ घंटे पहले लाल किले के आसपास संदिग्ध गतिविधियों के इनपुट मिले थे, लेकिन उस समय उनके बीच कोई सीधा कनेक्शन नहीं मिल पाया। अब जांच एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि क्या यह हमला दिल्ली में पहले हुए मॉड्यूल्स की गतिविधियों से जुड़ा हुआ था या यह एक बिल्कुल नया नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर दहशत फैलाना था। शू बम जैसी तकनीक का इस्तेमाल इस ओर इशारा करता है कि साजिश बेहद सोची-समझी और व्यवस्थित थी।
इस मामले में ED, NIA और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल मिलकर काम कर रहे हैं, और कई राज्यों में छापेमारी की जा चुकी है। कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सीज़ किए गए हैं, जिनमें साजिश से जुड़े डिजिटल सुराग मिलने की संभावना है। अब जांच का फोकस इस बात पर है कि डॉ. उमर के संपर्क किससे थे, यह तकनीक कहाँ से लाई गई और क्या इसके पीछे किसी विदेशी संगठन की भूमिका है।
लाल किले जैसे ऐतिहासिक और हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में धमाका होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा चेतावनी संकेत है। आने वाले दिनों में इस केस से जुड़े और कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं।