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Naxal: मैसेंजर-पेन ड्राइव, इनके जरिए सुरक्षाबलों से बचता रहा हिड़मा, अब झडेंगे पत्ते तो बाहर आएंगे 200 माओवादी

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Tue, 18 Nov 2025 02:32 PM IST
सार

कोरोनाकाल के दौरान भी ऐसी खबरें आई थी कि हिड़मा मारा गया है। सूत्रों के मुताबिक, ये खबर सही थी कि हिड़मा को कोरोना हुआ था। सीआरपीएफ ने उस इलाके की तगड़ी घेराबंदी कर सप्लाई चेन काट दी थी, जहां पर हिड़मा के छिपे होने की सूचना मिली थी।

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नक्सल कमांडर माडवी हिड़मा। - फोटो : अमर उजाला
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दो दशक से भी अधिक समय तक सुरक्षा बलों को भारी-जान माल का नुकसान पहुंचाने वाला 'हिड़मा', मारा गया है। कुख्यात माओवादी कमांडर माडवी हिड़मा को सुरक्षाबलों ने आंध्र प्रदेश में ढेर कर दिया है। हिड़मा पर 26 बड़े सशस्त्र हमलों का मास्टरमाइंड होने का आरोप है। इन हमलों में सैंकड़ों जवानों की शहादत हुई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों के एक अधिकारी के मुताबिक, लंबे समय से हिड़मा को लेकर जाल बिछाया जा रहा था। हालांकि इससे पहले वह करीब आधा दर्जन मौकों पर सुरक्षा बलों को चकमा देने में कामयाब रहा था। 'मैसेंजर' व 'पेन ड्राइव', इनके जरिए टॉप नक्सली 'हिड़मा', सुरक्षा बलों से बचता रहा। चूंकि देश में नक्सल के खात्मे की डेड लाइन 31 मार्च 2026 है, ऐसे में सुरक्षा बल अब बाकी बचे नक्सलियों को भी बाहर निकालने की तैयारी में हैं। ऐसे नक्सलियों की संख्या लगभग 200 बताई जा रही है।  छत्तीसगढ़ के जंगल में अब पेड़ों के पत्ते गिरने शुरु होंगे तो वैसे ही नक्सलियों की गिरफ्तारी आसान हो जाएगी। 
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बता दें कि कोरोनाकाल के दौरान भी ऐसी खबरें आई थी कि हिड़मा मारा गया है। सूत्रों के मुताबिक, ये खबर सही थी कि हिड़मा को कोरोना हुआ था। सीआरपीएफ ने उस इलाके की तगड़ी घेराबंदी कर सप्लाई चेन काट दी थी, जहां पर हिड़मा के छिपे होने की सूचना मिली थी। केंद्रीय बल के खुफिया सूत्रों ने भी तब यह आशंका जताई थी कि हिड़मा की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी है, उसका बचना मुश्किल है। बाद में पता लगा कि हिड़मा, उस स्थान से कहीं दूसरी जगह चला गया था। जब सुरक्षा बलों को पता चला कि हिड़मा जिंदा है तो उसे पकड़ने के लिए खास जाल बिछाया गया। 
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हिड़मा तक संदेश पहुंचाने वाली संचार लाइन को काटने की कोशिश की गई। यह संचार लाइन, तकनीकी नहीं, बल्कि मानव जनित थी। हिड़मा के संचार को किसी दूसरी जगह तक पहुंचाना और वहां से मिले जवाब को हिड़मा तक लाना, ये आसान काम नहीं था। जंगल से लेकर आवाजाही के तमाम रास्तों पर सुरक्षा बल तैनात थे। ऐसे में हिड़मा ने मैसेंजर और पेन ड्राइव की मदद ली। पेन ड्राइव को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने के लिए विशेष मैसेंजर तैयार किए गए थे। ये मैसेंजर, सुरक्षा बलों से बचाते हुए पेन ड्राइव को हिड़मा तक पहुंचाते थे।  

मोटरोला फोन का इस्तेमाल भी होता रहा है। दो राज्यों की सीमा पर लगे टावर के जरिए इस फोन का इस्तेमाल होता था। ऐसी जगह इसलिए चुनी जाती थी ताकि सुरक्षा बलों के सर्विलांस से बचा सके। जंगलों में पेड़ पर बैठे हिड़मा के सहयोगी, सुरक्षा बलों पर पैनी नजर रखते थे। उनके पास हाई पावर दूरबीन रहती थी, इससे वे सुरक्षा बलों की मूवमेंट को ट्रैक कर लेते थे। अब पेड़ों के पत्ते गिरते ही सुरक्षा बलों का फाइनल ऑपरेशन शुरू हो जाएगा। जंगल में नक्सलियों की मूवमेंट का पता चलेगा। 

सुरक्षा बलों के एक अधिकारी के मुताबिक, हिड़मा के मारे जाने के बाद अब नक्सल का पूर्ण खात्मा, ज्यादा मुश्किल नहीं है। लगभग दो सौ ऐसे मेंबर हैं, जिन्हें हार्ड कोर नक्सलियों की श्रेणी में शामिल किया गया है। ये नक्सली, हिड़मा की बटालियन के तहत काम कर रहे थे। अब हिड़मा मारा गया तो संभव है कि जल्द ही बड़े स्तर पर सरेंडर की सूचना मिले। अगर ऐसा नहीं होता है तो वे नक्सली, सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाएंगे।
 
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