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SC: बिहार एसआईआर में आपत्तियां दाखिल करने की समयसीमा बढ़ाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट आठ सितंबर को करेगा सुनवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Fri, 29 Aug 2025 08:26 PM IST
सार

बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर दावे और आपत्तियां दाखिल करने की अंतिम तिथि एक सितंबर है। इस समयसीमा को बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में राजद और एआईएमआईएम ने याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट याचिका पर आठ सितंबर को सुनवाई करेगा। 

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Demand to extend the deadline for filing objections in Bihar SIR, Supreme Court will hear on September 8
सुप्रीम कोर्ट। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की जा रही है। इस मांग को लेकर राजद और एआईएमआईएम की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। आठ सितंबर को इस याचिका पर सुनवाई होगी। अभी तक दावे और आपत्तियां दाखिल करने की अंतिम तिथि एक सितंबर है। 
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पंचोली की पीठ ने कहा कि वह राजनीतिक दलों की याचिकाओं पर आठ सितंबर को सुनवाई करेगी। आदेश में कहा गया है कि सभी अंतरिम आवेदनों को मुख्य मामले के साथ आठ सितंबर को सूचीबद्ध करें।
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण और वरिष्ठ अधिवक्ता शोएब आलम ने पीठ को बताया कि कई पक्ष समय सीमा बढ़ाने के लिए याचिका दायर कर रहे हैं। एआईएमआईएम की ओर से पेश वकील निजाम पाशा ने बड़े पैमाने पर दावे और आपत्तियां दायर होने के कारण समय सीमा बढ़ाने की मांग की। आलम ने कहा कि दावों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। समय सीमा बढ़ाए जाने की जरूरत है।

वकील निजाम पाशा ने कहा कि 22 अगस्त के आदेश से पहले 80,000 से अधिक दावे दायर किए गए थे, जबकि आदेश के बाद अब तक लगभग 95,000 दावे दायर किए जा चुके हैं। हम अनुरोध कर रहे हैं कि इन आवेदनों को यथाशीघ्र सूचीबद्ध किया जाए। इस पर पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि उन्होंने राहत के लिए चुनाव आयोग से संपर्क क्यों नहीं किया? इस पर प्रशांत भूषण ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने उनके अनुरोध पर विचार नहीं किया।

राजद ने लगाए आरोप
राजद की ओर से अधिवक्ता फौजिया शकील द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि एसआईआर में मतदान केंद्रों की संख्या बढ़कर 90,712 हो गई है और पार्टी ने 47,506 मतदान केंद्रों पर बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए हैं, जो कुल मतदान केंद्रों का लगभग 52 प्रतिशत है।

पार्टी ने कहा कि 22 अगस्त के अदालत के आदेश के बाद आधार कार्ड के साथ दावे बीएलए द्वारा एकत्र किए गए थे और बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा दावों की रसीद के बावजूद दावे दर्ज नहीं किए गए थे और पार्टी के खिलाफ दैनिक ईसी स्थिति रिपोर्ट में उल्लिखित नहीं किए गए थे। यह गलत कहानी पेश की गई कि राजनीतिक दलों के बीएलए सहयोग नहीं कर रहे थे और दावे दायर नहीं कर रहे थे।

पांच दिन में एक लाख पार हो गई दावों की संख्या: राजद
राजद ने कहा कि इस न्यायालय के 22 अगस्त 2025 के अंतिम आदेश के बाद से, जिसमें आधार कार्ड के साथ दावे दाखिल करने की अनुमति दी गई थी। दावों की संख्या 22 अगस्त 2025 को 84,305 से बढ़कर 27 अगस्त 2025 को केवल पांच दिनों में 1,78,948 मतदाताओं तक पहुंच गई है।

याचिका में आरोप लगाया गया कि कई मामलों में अधिकारियों ने केवल आधार कार्ड के आधार पर दावे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय 24 जून के ईसीआई आदेश में उल्लिखित 11 दस्तावेजों में से एक पर जोर दिया। जबकि यह अदालत के आदेशों की अवहेलना है। राजद ने कहा कि चुनाव आयोग के अपने दैनिक एसआईआर अपडेट से पता चलता है कि दावों की संख्या में वृद्धि हुई है और पिछले सप्ताह एक लाख से अधिक दावे दायर किए गए थे और पिछले दो दिनों में 33,349 दावे दायर किए गए थे।

एआईएमआईएम ने याचिका में यह कहा
एआईएमआईएम ने अख्तरुल इमान के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कहा कि चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि अदालत के आदेशों से मतदाताओं में मसौदा सूची में उनके बहिष्कार के बारे में जागरूकता बढ़ी है। राजनीतिक दलों की भागीदारी के कारण पिछले एक सप्ताह में बड़ी संख्या में दावे और आपत्तियां दर्ज की गई हैं।

याचिका में कहा गया कि यह स्पष्ट है कि 22 दिनों के दौरान यानी 1 अगस्त 2025 से 22 अगस्त 2025 तक मतदाताओं द्वारा सीधे या बिहार राज्य में पंजीकृत 12 राजनीतिक दलों के बीएलए के माध्यम से 84,307 दावे और आपत्तियां दायर की गईं। अदालत के 22 अगस्त 2025 के आदेश के बाद और केवल पांच दिनों के दौरान यानी 27 अगस्त 2025 तक मतदाताओं द्वारा सीधे या 12 राजनीतिक दलों के बीएलए के माध्यम से 94,694 दावे और आपत्तियां दायर की गई हैं। पार्टी ने बिहार की मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए बहिष्कृत मतदाताओं द्वारा दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय-सीमा चार सप्ताह बढ़ाने की मांग की।

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