शानदार ट्रैक रिकॉर्ड के कारण लेफ्टि. जनरल रावत को बनाया गया सेना प्रमुख
दो वरिष्ठ जनरलों की अनदेखी कर लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को सेना प्रमुख बनाए जाने को लेकर विपक्ष के सवालों से घिरी सरकार ने सफाई दी है। सरकार ने कहा है कि लेफ्टिनेंट रावत का जम्मू-कश्मीर में एलओसी, चीन से लगी सीमा और पूर्वोत्तर में सैकड़ों सैन्य ऑपरेशनों का अनुभव उनके पक्ष में फैसला लेने में सहायक बना।
रक्षा मंत्रालय से सूत्रों ने यह भी कहा कि सेना प्रमुख की नियुक्ति पूरी तरह से सरकार का विशेषाधिकार है और यह पूरी तरह से मेरिट पर लिया गया फैसला है। इसमें इस चीज पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया कि अधिकारी किस कॉर्प्स से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट रावत का असाधारण ट्रैक रिकॉर्ड, एक इंफेंट्री अधिकारी, जम्मू-कश्मीर में 19वीं डिविजन के कमांडिंग ऑफिसर और सैन्य मुख्यालय व रक्षा मंत्रालय के साथ काम करने का अनुभव उनके चयन में सकारात्मक पक्ष रहे।
सूत्रों ने कहा कि शीर्ष पद के लिए पैनल में शामिल सभी जनरल सक्षम और इस पद के लिए पूरी तरह से उपयुक्त अधिकारी थे, लेकिन इस बात को स्वीकार करना होगा कि पैनल में से सबसे उपयुक्त अधिकारी का चयन करना सरकार का विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा स्थिति और भविष्य के स्थिति को देखते हुए सरकार को सबसे उपयुक्त अधिकारी को चुनना होता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ अभियान अहम मुद्दा है। उन्होंने कहा कि अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति में अधिकारी की पृष्ठभूमि और ऑपरेशनल अनुभव पर गंभीरता से विचार किया गया। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 19वीं डिविजन के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनाती के कारण लेफ्टिनेंट जनरल रावत का मापदंड पर खरा उतरना उनके चयन में काफी अहम रहा।
शानदार ऑपरेशनल रिकॉर्ड
लेफ्टिनेंट जनरल रावत का आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने का 10 वर्षों का अनुभव रहा है। उनकी तैनाती एलओसी पर भी रही है। वह चीन से लगे पूर्वी सेक्टर में 1986 ऑपरेशनों में शामिल रहे हैं। वह जम्मू-कश्मीर में 19वीं डिविजन में में तैनात रहे हैं।
उनका युद्ध क्षेत्र का शानदार अनुभव रहा है। उनके पास एलओसी, एलएसी और पूर्वोत्तर में कई ऑपरेशन चलाने का अनुभव रहा है। उनको एक संतुलित दृष्टिकोण वाले जनरल के रूप में जाना जाता है।
विपक्ष-भाजपा आमने-सामने
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति मामले में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं। दोनों ने एक दूसरे को सेना जैसे संवेदनशील मामले में राजनीति न करने की नसीहत दी है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा है कि आखिर रावत की नियुक्ति में उनसे वरिष्ठ दो अधिकारियों की किस आधार पर अनदेखी की गई है?
जवाब में भाजपा ने कहा कि मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए लेफ्टिनेंट जनरल रावत की नियुक्ति की गई है।