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Delhi Budget: किन सवालों के कारण रुका था दिल्ली का बजट? मुख्य सचिव की भूमिका पर राजनीति तेज
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सार
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CM Arvind Kejriwal
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विस्तार
दिल्ली की राजनीति में मुख्य सचिव की भूमिका एक बार फिर राजनीतिक चर्चा के केंद्र में आ गई है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव और वित्त सचिव केंद्र के इशारे पर काम कर रहे हैं और उनका सहारा लेकर दिल्ली का बजट रोकने की साजिश रची जा रही थी। वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया है कि अरविंद केजरीवाल समय पर उन सवालों का जवाब नहीं देना चाहते जिन्हें उनसे पूछा गया था और अब वे बहाने बनाकर 'विक्टिम कार्ड' खेलने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली के अधिकारियों की भूमिका पर पहले ही सर्वोच्च न्यायालय में मामला चल रहा है।
'उपराज्यपाल के प्रश्न'
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सूत्रों और समाचार पत्रों में छपी खबरों के हवाले से कहा कि उपराज्यपाल ने दिल्ली के बजट (Delhi Budget) पर दिल्ली सरकार से कुछ प्रश्न पूछे थे। उपराज्यपाल की सलाहों को मानना बाध्यकारी न होने के बाद भी अरविंद केजरीवाल सरकार ने उन प्रश्नों का समुचित जवाब नहीं दिया था। ये प्रश्न इस प्रकार थे-
1- उपराज्यपाल ने पूछा है कि दिल्ली में मूलभूत ढांचे के विकास पर किया जाने वाला खर्च पूरे बजट का केवल 20 प्रतिशत क्यों है? उन्होंने कहा कि सामान्य राज्यों में यह खर्च 40-50 प्रतिशत तक होता है। 2- दिल्ली सरकार ने अपने प्रचार का खर्च 550 करोड़ रूपये क्यों किया है? पहले यह बजट 270 करोड़ रुपये तक होता था। क्या इस पैसे को अन्य लाभकारी योजनाओं पर खर्च नहीं किया जा सकता था?
3- दिल्ली जलबोर्ड और दिल्ली परिवहन निगम स्वायत्त संस्थाएं हैं। इसका अर्थ है कि ये अपना खर्च स्वयं निकालने के लिए अधिकृत हैं। ये संस्थाएं अपने लिए ज्यादा आय के साधन क्यों नहीं बना रही हैं और इन पर सब्सिडी के माध्यम से भारी धन क्यों खर्च किया जा रहा है?
4- दिल्ली सरकार अपने मंत्रियों के बंगलों और कारों पर ज्यादा धन खर्च क्यों कर रही है, क्या इस अतिरिक्त धन को जनता की कल्याणकारी योजनाओं पर नहीं खर्च किया जा सकता था?
5- केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना दिल्ली में क्यों लागू नहीं की जा रही है जिससे लोगों को 5 लाख रूपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिल सके?
यह भी पढ़ें- Delhi Budget: आखिर क्यों अटका था दिल्ली सरकार का बजट, क्या है प्रक्रिया और क्या कभी पहले भी कहीं ऐसा हुआ?
अंतिम दिन तक नहीं मिले थे जवाब
दिल्ली सरकार ने बजट बनाकर 9 मार्च को उपराज्यपाल को उनकी सहमति लेने के लिए भेज दिया था। उपराज्यपाल ने 10 मार्च को बजट गृह मंत्रालय को भेज दिया। गृह मंत्रालय ने बजट पर कुछ प्रश्न पूछे। इन प्रश्नों के साथ बजट 17 मार्च को दिल्ली सरकार को वापस भेज दिया गया। दिल्ली सरकार को इन सवालों के जवाब उपराज्यपाल के माध्यम से गृह मंत्रालय को भेजने थे। आरोप है कि चार दिनों तक अरविंद केजरीवाल सरकार ने इन सवालों के जवाब नहीं दिये। बजट पेश करने के ठीक एक दिन पहले 20 मार्च की शाम को दिल्ली सरकार ने जवाबों के साथ फाइल सौंपी। उपराज्यपाल ने 20 मार्च की शाम को लगभग 10 बजे फाइल गृह मंत्रालय को सौंप दिया। चूंकि देर होने के कारण इस पर विचार नहीं हो सका और राष्ट्रपति से स्वीकृति नहीं ली जा सकी, दिल्ली का बजट पेश नहीं हो सका।
कैसे पेश हो सकेगा बजट?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी दे दी है। यह जानकारी मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को भी दे दी है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार का जो बजट आज पेश नहीं हो सका वह 22 या 23 मार्च तक पेश होने की संभावना है। बजट को अंतिम सहमति के लिए राष्ट्पति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति से सहमति मिलने के बाद बजट को दिल्ली विधानसभा में पेश किया जा सकेगा।
आप के आरोप
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि गृहमंत्रालय ने बजट की फाइल दिल्ली के मुख्यमंत्री-वित्त मंत्री को भेजने की बजाय मुख्य सचिव नरेश कुमार को भेज दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि नरेश कुमार ने 20 मार्च को शाम 6 बजे वित्त मंत्री को गृह मंत्रालय के प्रश्नों की जानकारी दी। इस कारण प्रश्नों का उत्तर देने में देर हुई। इसके बाद भी तीन घंटे के अंदर प्रश्नों के जवाब उपराज्यपाल को भेज दिए गए। लेकिन चूंकि इसके बाद उपराज्यपाल के कार्यालय से गृहमंत्रालय को उसके प्रश्नों के जवाब समय की कमी के कारण नहीं भेजे जा सके, दिल्ली का बजट पेश नहीं किया जा सका।
भारद्वाज ने आरोप लगाया कि दिल्ली का बजट दिल्ली के मुख्यमंत्री-वित्त मंत्री की बजाय मुख्य सचिव को भेजा गया जिन्होंने इसके बाबत मुख्यमंत्री-वित्त मंत्री को 20 मार्च तक सूचना नहीं दी। शाम छः बजे इसकी सूचना दिल्ली सरकार को दी गई, जिसके बाद जवाब दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव की संदिग्ध भूमिका के कारण ऐसा हुआ।
यह भी पढ़ें- Delhi Government Budget: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी, अब पेश होगा बजट
अफसरों की भूमिका पर मामला लंबित
आम आदमी पार्टी का आरोप रहा है कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार केंद्र के पास है, यही कारण है कि अधिकारी दिल्ली सरकार की बजाय केंद्र सरकार की बात सुनते हैं। इससे कामकाज में अड़चन आती है। अधिकारियों पर अधिकार को लेकर एक मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। इस पर अंतिम निर्णय नहीं आ सका है जिसके कारण इस तरह की परिस्थिति पैदा हो रही है।