बड़े उलटफेर: छत्तीसगढ़ में पांचवीं पास मजदूर ने छह बार के विधायक को हराया, MP-राजस्थान में भी ये दिग्गज हारे
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विस्तार
रविवार को चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित हो गए हैं। जहां मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बाजी मारी तो तेलंगाना में कांग्रेस को सफलता मिली। इन चुनाव नतीजों में कई ऐसे भी थे, जिसने सभी को चौंकाया। खासकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कई नेता ऐसे थे, जो पांच या इससे अधिकर बार के विधायक थे, लेकिन इस बार अपनी सीट ही गंवा बैठे।
आइये जानते हैं दिग्गज जो सीट हारे और उन्हें हराने वाले को...
छह बार के विधायक केपी सिंह नहीं बचा पाए अपनी सीट
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे केपी सिंह शिवपुरी सीट पर अपना चुनाव हार गए। केपी सिंह को भारतीय जनता पार्टी के देवेन्द्र कुमार जैन के हाथों 43,030 वोटों के बड़े अंतर से हार झेलनी पड़ी। यहां मौजूदा विधायक यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव नहीं लड़ने का एलान के बाद जैन को भाजपा ने टिकट दिया था, जो पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे।
दरअसल, केपी सिंह शिवपुरी जिले की ही पिछोर विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह इस सीट से लगातार छह चुनाव जीते। उन्होंने 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में पिछोर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की है। इस बार पार्टी ने उन्हें पिछोर की जगह शिवपुरी से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन बाजी किसी और ने मार ली।
कृषि मंत्री कमल पटेल रोचक मुकाबले में हारे
प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल भी हार गए। वे हरदा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के रामकिशोर डोगने से उनका मुकाबला था। कई राउंड में आगे-पीछे होते रहे। आखिरी में 870 वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कमल पटेल ने 1993, 1998, 2003, 2008 और 2018 में हरदा सीट से पांच बार विधानसभा का चुनाव जीता। अप्रैल 2020 में उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और वर्तमान में वे मध्य प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
पांच बार के विधायक बिसेन को झटका
बालाघाट सीट से शिवराज सरकार में मंत्री गौरीशंकर बिसेन भी अपना चुनाव हार गए। पांच बार के विधायक को कांग्रेस की अनुभा मुंजारे ने 29,195 वोटों से हराया। 1985 में बिसेन बालाघाट विधानक्षेत्र सीट पर विजयी हुए थे। वह मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए पांच बार चुने गए। 1998 और 2004 में वह बालाघाट संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद भी बने। बिसेन 2008 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे।
सात बार के विधायक नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह भी हारे
भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट के नतीजों ने भी सभी को चौंकाया। लहार से मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह चुनाव मैदान में थे। भाजपा की ओर से मैदान में उतरे अंबरीश शर्मा गुड्डू ने दिग्गज कांग्रेस नेता को 12,397 वोटों के अंतर से हरा दिया।
डॉ. गोविंद सिंह 1990 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते थे। इसके बाद वह 1993, 1998, 2003, 2008 2013 और 2018 में विधानसभा चुनाव में भी विजयी हुए। 2018 में बनी कमलनाथ वाली कांग्रेस सरकार में गोविंद सिंह मंत्री भी बनाए गए थे।
छत्तीसगढ़ में गैर-राजनीतिक व्यक्ति ने कद्दावर मंत्री को शिकस्त दी
छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भी कई उलटफेर देखने को मिले, जिसमें वरिष्ठ नेता रवींद्र चौबे की हार भी शामिल है। बेमेतरा जिले की साजा सीट से कांग्रेस के मंत्री रविंद्र चौबे को भाजपा की तरफ से उतरे ईश्वर साहू ने हराकर सबको चौंका दिया। छह बार के विधायक रहे रवींद्र को 5,196 वोटों के अंतर से हार झेलनी पड़ी।
ईश्वर साहू ने अपने चुनावी हलफनामे में बताया था कि वह पांचवीं पास हैं और मजदूरी का काम करते हैं और पत्नी गृहिणी हैं। उनके बेटे भुवनेश्वर साहू की बिरनपुर गांव में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मौत हो गई थी। चुनाव में भाजपा ने ईश्वर को टिकट थमा दिया और वोट के बदले अपने बेटे के लिए इंसाफ देने की बात कहने वाले भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीत गए।
रवींद्र चौबे कांग्रेस के पुराने और कद्दावर नेता हैं। 1985 में अविभाजित मध्य प्रदेश में चौबे पहली बार विधायक बने और ये सिलसिला 1990, 1993 और 1998 के विधानसभा चुनावों में भी जारी रहा। वहीं छत्तीसगढ़ बनने के बाद चौबे 2003 और 2008 के राज्य विधानसभा के चुनावों में भी जीते। अविभाजित मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ में कई विभागों के मंत्री और नेता प्रतिपक्ष रह चुके चौबे 28 सालों तक विधायक रहे। 2013 के चुनावों में पहली बार कांग्रेस नेता के हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन अगले ही चुनाव में 2018 में उन्होंने फिर से जीत हासिल की थी।
राजस्थान में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी हारे
राजस्थान में भी कई दिग्गजों का दांव परास्त हो गया। विधानसभा चुनावों में नाथद्वारा सबसे हॉट सीटों में से एक थी। यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी का मुकाबला भाजपा के उदयपुर राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ से था, जिसे उन्होंने 7,504 वोटों से जीत लिया।
सीपी जोशी इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। उनकी सीट नाथद्वारा काफी चर्चा में रहती है, क्योंकि 2008 में यहां एक वोट से सीपी जोशी को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के कल्याण सिंह ने 2008 के विधानसभा चुनाव में सीपी जोशी को एक वोट से हराया था। कल्याण सिंह को 62,216 वोट मिले थे और सीपी जोशी ने 62,215 वोट हासिल किए थे।
नेता प्रतिपक्ष और सात बार के विधायक राजेंद्र राठौड़ हारे
चूरू जिले की तारानगर विधानसभा सीट पर सात बार के विधायक राजेंद्र राठौड़ को हार झेलनी पड़ी। 68 साल के राठौड़ को कांग्रेस के नरेन्द्र बुडानिया ने 10,345 वोटों से हराया। इसी साल अप्रैल में नेता प्रतिपक्ष बनने वाले राजेंद्र 1990 में पहली बार विधायक बने थे। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ 1990 से 2018 तक लगातार चूरू विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल करते रहे हैं। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने राठौड़ को चूरू की ही तारानगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। इसके पहले 2008 में भी वे इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके थे। इस बार सीट में हुए बदलाव का फैसला राजेंद्र सिंह राठौड़ अपने पक्ष में नहीं कर पाए और चुनाव हार गए।