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एल्गार परिषद केस: रमेश अस्थायी जमानत पर रिहा, जेल प्रशासन ने मांगी माफी; कोर्ट से आदेश मिलने के बाद हुई देरी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: हिमांशु चंदेल Updated Thu, 11 Sep 2025 02:23 PM IST
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सार

एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले के आरोपी रमेश गाइचोर को बंबई हाईकोर्ट के आदेश पर अस्थायी जमानत मिली। आदेश के बावजूद जेल प्रशासन ने उन्हें देर से छोड़ा, जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। बाद में जेल अधीक्षक ने बिना शर्त माफी मांगी और गाइचोर को बुधवार रात तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया।

Elgar Parishad case Ramesh release temporary bail jail administration apologized delay after order from court
बंबई उच्च न्यायालय - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपी और सामाजिक कार्यकर्ता रमेश गाइचोर को आखिरकार जेल से अस्थायी जमानत पर रिहा कर दिया गया। बंबई हाईकोर्ट से आदेश मिलने के बावजूद रिहाई में देरी हुई, जिसके बाद जेल प्रशासन को अदालत में बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी। अदालत ने गाइचोर को अपने बीमार पिता से मिलने के लिए तीन दिन की अस्थायी जमानत दी थी।
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गाइचोर को 26 अगस्त को हाईकोर्ट ने तीन दिन की जमानत दी थी ताकि वह अपने बीमार पिता से मिल सकें। इसके बावजूद जेल प्रशासन ने उन्हें तुरंत रिहा नहीं किया। तन्हा जेल में रखे जाने के बाद गाइचोर के वकील मिहिर देसाई ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल प्रशासन ने ट्रायल कोर्ट से रिलीज वारंट की मांग कर देरी की।
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अदालत का सख्त रुख
बुधवार को न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेल प्रशासन पर सख्त टिप्पणी की। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि प्रशासन सिर्फ आरोपी को परेशान कर रहा है। अदालत ने साफ कर दिया कि उसके आदेश की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके बाद मामले ने तेजी पकड़ी।

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जेल प्रशासन की माफी
गुरुवार को जेल अधीक्षक ने शपथपत्र दाखिल करते हुए बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने बताया कि गाइचोर को बुधवार रात नवी मुंबई की तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया। अदालत ने माफी स्वीकार की और गाइचोर की जमानत अवधि को 13 सितंबर तक बढ़ा दिया।

पिता से मिलने की इजाजत
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि गाइचोर अपने 76 वर्षीय पिता से सितंबर 2020 में गिरफ्तारी के बाद अब तक नहीं मिल सके हैं। विशेष अदालत ने पहले गाइचोर की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनके पिता की बीमारियां सामान्य उम्र संबंधी हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे मानवीय आधार पर जरूरी माना।

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एल्गार परिषद मामला
गाइचोर और कई अन्य कार्यकर्ताओं को 2017 के एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह सम्मेलन 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुआ था। आरोप है कि भाषणों ने अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा को जन्म दिया। गाइचोर पर माओवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) से संबंध रखने का भी आरोप है।

गाइचोर की जमानत फिलहाल अस्थायी है और अदालत में आगे की सुनवाई जारी रहेगी। हालांकि अदालत का रुख इस बार मानवीय आधार पर नरम दिखा। मामले ने एक बार फिर जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


 
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