सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   facebook did this company arbitrarily create its own code of conduct in the 2019 loksabha election know what experts say

Facebook: क्या 2019 के चुनाव में खुद कोड ऑफ कंडक्ट बनाकर कंपनी ने मनमानी की, क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

प्रतिभा ज्योति, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: प्रतिभा ज्योति Updated Mon, 22 Nov 2021 06:49 PM IST
सार

फेसबुक (अब मेटा) के आंतरिक दस्तावेजों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सामने आया है कि 2019 में भारत के आम चुनावों से पहले फेसबुक ने चुनाव आयोग के सख्त सोशल मीडिया नियमों से बचने के लिए स्वैच्छिक संहिता लागू की थी। इसके लिए उसने चुनाव आयोग के अधिकारियों को भी राजी कर लिया था। 

विज्ञापन
facebook did this company arbitrarily create its own code of conduct in the 2019 loksabha election know what experts say
सरकार ने फेसबुक से मांगी अल्गोरिदम पर जानकारी। - फोटो : Social Media
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

आए दिन किसी न किसी विवाद में फेसबुक का नाम आता है। ताजा विवाद फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस हॉगेन की ओर से सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से हुआ है। इन दस्तावेजों में खुलासा हुआ है कि फेसबुक ने 2019 के आम चुनाव में स्वैच्छिक आचार संहिता बनाई और इसके लिए इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) को आगे रखा था। हालांकि, इस खुलासे के बाद चुनाव आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि हम फेसबुक की आंतरिक रिपोर्ट से परिचित नहीं हैं, लेकिन यह दावा सही नहीं है। क्योंकि किसी भी चुनाव में वोटिंग से 48 घंटे पहले ही सोशल मीडिया के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापन प्रतिबंधित होता है। वहीं, फेसबुक के प्रवक्ता का कहना है कि भारत में हम अकेले नहीं हैं जिसने स्वैच्छिक आचार संहिता बनाई। चुनाव आयोग को इसके लिए मनाने वालों में अन्य सोशल मीडिया कंपनियां भी शामिल थीं। 
Trending Videos


जानकार मानते हैं कि यदि सोशल मीडिया पर कोई नियंत्रण नहीं रखा गया और इसी तरह सोशल मीडिया कंपनियां अपनी मनमानी करती रहीं तो इसमें कोई शक नहीं कि इससे चुनाव प्रभावित हो सकता है क्योंकि भारत में राजनीतिक दल सोशल मीडिया को प्रचार के प्रमुख साधन के रूप में अपना रहे हैं। सोशल मीडिया को भी आदर्श आचार संहिता के दायरे में लाया गया है लेकिन ताजा विवाद से यह सवाल फिर पैदा हुआ है कि फेसबुक-गूगल जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट की निगरानी के नियमों का पालन हो रहा है या नहीं? 
विज्ञापन
विज्ञापन

facebook did this company arbitrarily create its own code of conduct in the 2019 loksabha election know what experts say
संसद की स्थायी समिति ने गूगल फेसबुक को बुलाया - फोटो : अमर उजाला
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इस बारे में हमने सुप्रीम कोर्ट के वकील, साइबर लॉ एक्सपर्ट और ‘अनमास्किंग वीआईपी’ पुस्तक के लेखक विराग गुप्ता से बातचीत की और जाना कि क्या फेसबुक इस तरह की मनमानी कर सकता है? उन्होंने कहा कि ऐसा किया जा सकता है। विराग गुप्ता राजनीतिक कार्यकर्ता एन के गोविंदाचार्य के प्रतिवेदन पर 10 अक्टूबर को चुनाव में सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर चुनाव आचार संहिता का एक मसौदा तैयार कर चुके हैं। मसौदे में यह मांग की थी कि प्रिंट और टीवी मीडिया की तर्ज पर सोशल मीडिया को आचार संहिता के दायरे में लाया जाए।

वे बताते हैं कि के एन गोविंदाचार्य के प्रतिवेदन पर 2014 के आम चुनाव और दिल्ली राज्य में चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने 25 अक्तूबर 2013 को सोशल मीडिया को लेकर गाइडलाइन जारी की। उससे पहले सोशल मीडिया को लेकर चुनाव आयोग ने नियमन की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं बनायी थी। 

अक्तूबर 2013 में जारी चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश में कुछ अहम बातें कहीं गईं:
1.
सोशल मीडिया के खर्चे को उम्मीदवार के खर्चे  में जोड़ा जाएगा।
2. सोशल मीडिया पर प्रचार और विज्ञापन के मसौदे पर उम्मीदवार और पार्टी को चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी।
3. वोटिंग से 48 घंटे पहले सोशल मीडिया पर प्रचार नहीं होगा।
4. सोशल मीडिया के लिए भी पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएंगे। 

facebook did this company arbitrarily create its own code of conduct in the 2019 loksabha election know what experts say
चुनाव आयोग - फोटो : social media
नियमों का आज तक पालन नहीं
विराग गुप्ता के मुताबिक, सोशल मीडिया के लिए बने इन नियमों का आज तक सही तरीके से पालन नहीं हुआ है। यह विरोधाभास है कि एक तरफ चुनाव आयोग और सरकारें सोशल मीडिया कंपनियों से अनेक प्रकार के टाइअप कर रही थीं, दूसरी तरफ जब चुनाव के नियमों की बात हो रही थी तो ये सोशल मीडिया कंपनियां जिम्मेदारी से बचने के लिए विदेशी कंपनियों को खड़ा कर रही थीं।

प्रचार का समानांतर और अवैध तंत्र स्थापित
वे मानते हैं कि इससे अराजक स्थिति पैदा हो गई है। सोशल मीडिया के जरिए चुनाव प्रचार पर आयोग का कोई अंकुश नहीं रहा। हैरानी की बात है कि 2014 के चुनाव में बस पांच से कम लोगों ने ही सोशल मीडिया के खर्चे का ब्यौरा दिया। संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मदारी चुनाव आयोग की है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत इस बारे में विस्तार से कानून भी बने हैं। उन नियम-कानूनों और अपने ही द्वारा जारी की गई आचार संहिता को चुनाव आयोग ने सख्ती से लागू नहीं किया। जिसकी वजह से सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार का समानांतर और अवैध तंत्र स्थापित हो गया है। नए खुलासों से यह जाहिर है कि विशेष तौर पर फेसबुक ने स्वैच्छिक आचार संहिता बनवाई थी। यह चुनाव आयोग के साथ देश के सार्वभैमिक और सांविधानिक व्यवस्था के ऊपर बहुत बड़ा आघात है।

facebook did this company arbitrarily create its own code of conduct in the 2019 loksabha election know what experts say
लोकसभा चुनाव 2019 दिग्गज उम्मीदवारों पर जनादेश - फोटो : Amar ujala
जुलाई 2018 में सामने आया था नियामक ढांचा
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाम लगाने के लिए इस तरह का ढांचा बनाने के लिए तत्कालीन उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। जुलाई, 2018 में इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की कि चुनाव आयोग सोशल मीडिया एजेंसियों को निर्देश दें कि वे यह सुनिश्चित करें कि मतदान से 48 घंटे पहले कोई भी राजनीतिक विज्ञापन अपलोड नहीं किया जाएगा। 

सख्त नियम बनाने की जरूरत
हालांकि, चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार ने नाम नहीं लिखे जाने की शर्त पर बताया कि जहां भी चुनाव होने होते हैं वहां राजनीतिक पार्टियों से पहले सोशल मीडिया कंपनियों की सक्रियता शुरू हो जाती है। चुनाव के दौरान सोशल मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधि खूब संपर्क में रहते हैं। आयोग को अंदाजा नहीं था कि 2014 के चुनाव में सोशल मीडिया का इस तरह इस्तेमाल हो सकता है इसलिए इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया होगा। चुनाव आयोग ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए जो आचार संहिता बनाई थी और प्रेस काउंसिल को जो कोड दिए गए थे, उस पर ही फोकस रखा गया। उनका मानना है कि 2019 के चुनाव तक तो सोशल मीडिया चुनावों में एक महत्वपूर्ण टूल बन गया था, लेकिन इस पर सख्ती दिखाने को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई। वे मानते हैं कि सोशल मीडिया के लिए आयोग में सख्त नियम बनाने की जरूरत है।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed