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Cyclone Dana: चक्रवाती तूफानों का रौद्र रूप, जान-माल की क्षति, जीवन पटरी पर लाने में खर्च हो रहे अरबों रुपये

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Thu, 24 Oct 2024 05:08 PM IST
सार

देश में हर साल कोई न कोई चक्रवात आ रहा है। चक्रवाती तूफान के रौद्र रूप से लोगों के जान-माल को भारी नुकसान पहुंचता है। जीवन को फिर से पटरी पर लाने में अरबों रुपए खर्च हो रहे हैं।

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Fierce form of cyclonic storms, loss of life and property, billions of rupees being spent to save life
देश में लगातार कहर बरपा रहे चक्रवात - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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चक्रवाती तूफान 'दाना' को लेकर कई राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है।  पश्चिम बंगाल में कोलकाता और ओडिशा में भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर उड़ानें रद्द की गई हैं। सैकड़ों ट्रेनें भी रद्द हुई हैं। कुछ गाड़ियों का रूट बदला गया है। तूफान से प्रभावित राज्यों के कई जिलों में गुरुवार सुबह से ही तेज बरसात हो रही है। शुक्रवार को चक्रवाती तूफान की तबाही देखने को मिल सकती है। इस दौरान हवा की रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा होने की संभावना है। देश में हर साल कोई न कोई चक्रवात आ रहा है। चक्रवाती तूफान के रौद्र रूप से लोगों के जान-माल को भारी नुकसान पहुंचता है। जीवन को फिर से पटरी पर लाने में अरबों रुपए खर्च हो रहे हैं। 'दाना' से पहले रेमल, तितली, गाजा, बुलबुल व बिपरजॉय जैसे चक्रवाती तूफान भारी तबाही मचा चुके हैं। 

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चक्रवाती तूफान 'रेमल' से हुई थी भारी तबाही  
इस साल मई में पश्चिम बंगाल में आए चक्रवाती तूफान 'रेमल' ने बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में भारी नुकसान पहुंचाया था। रेमल का असर, पूर्वोत्तर राज्यों में भी देखा गया। पश्चिम बंगाल में रेमल के चलते 24 प्रखंड और 79 नगरपालिका वार्डों में भारी क्षति पहुंची थी। लगभग 30,000 घरों को नुकसान हुआ। हजारों पेड़ गिर गए थे। तूफान की तीव्रता से करीब 1500 बिजली के खंभे गिर पड़े। उस वक्त भी कोलकाता एयरपोर्ट पर उड़ानों का संचालन निलंबित किया गया था। 'रेमल' से पहले 'तौकते', 'यास', 'फनी', 'तितली', 'गाजा', 'बुलबुल' व 'बिपरजॉय' भारी तबाही मचा चुके हैं। चक्रवाती तूफानों ने सरकार के खजाने में अरबों रुपये की चपत लगाई है। वजह, तूफान से हुई बर्बादी के बाद जीवन को सामान्य करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों को अरबों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। 

'तौकते और यास' में सौ से ज्यादा लोग मारे गए  
चार साल पहले 'तौकते और यास' ने खूब तबाही मचाई थी। हालांकि इनके गुस्से का अंदाजा, केंद्र सरकार को पहले से हो गया था। सरकार ने समय रहते कुछ उपाय कर दिए। इसके बावजूद दस हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च हो गई। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने दिन रात लगकर 'तौकते और यास' की तबाही से 24 लाख लोगों को बचा लिया था। चक्रवाती तूफान 'तौकते और यास' ने सौ से अधिक लोगों की जान ले ली थी। साढ़े चार लाख से ज्यादा मकानों को नुकसान पहुंचा था। मछली पकड़ने वाली 65 सौ नाव और 41164 जाल पानी में बह गए थे। मई 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने 'तौकते और यास' से प्रभावित राज्यों का दौरा किया। चक्रवाती तूफान ने 367622.38 हैक्टेयर में लगी फसलों को भी तबाह कर दिया था। 

चक्रवाती तूफान से ये प्रदेश हुए थे प्रभावित 
चक्रवाती तूफान 'तौकते' से गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल तथा दादरा एवं नगर हवेली और दमण दीव संघ राज्य क्षेत्र प्रभावित हुए थे। चक्रवात 'यास' ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड के हिस्सों को प्रभावित किया था। तौकते का मुकाबला करने के लिए एनडीआरएफ की 71 टीमें गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, दमन एवं दीव और दादरा एवं नगर हवेली में तैनात की गई थीं। इसी तरह 'यास' के मामले में एनडीआरएफ की 113 टीमें ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु व अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में तैनात की गई। 

राज्यों को भारी जान माल का नुकसान झेलना पड़ा 
पीएम मोदी की घोषणा के तहत एनडीआरएफ से गुजरात को 1000 करोड़ रुपये, ओडिशा को 500 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल को 300 करोड़ रुपये और झारखंड को 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता जारी की गई। इसके अलावा केंद्र ने वर्ष 2021 22 के लिए एसडीआरएफ में 8873.60 करोड़ रुपये केंद्रीय अंश की प्रथम किस्त के रूप में जारी किए थे। चक्रवात 'तौकते' से गुजरात में 238548, महाराष्ट्र में 13435, दीव में 405 और केरल में 83 लोगों को बचाया गया। इसी तरह चक्रवात 'यास' से ओडिशा में 703058, पश्चिम बंगाल में 1504506 और झारखंड में 17165 लोगों को बचा लिया गया। 

'बुलबुल' की तबाही के बाद 7317.48 करोड़ रुपये खर्च 
साल 2020 में 'गाजा' 'तितली' और 'बुलबुल', ये तीनों चक्रवाती तूफान भी केंद्र सरकार के खजाने पर भारी पड़े थे। राज्य सरकारों को भी इनके चलते भारी जान माल का नुकसान झेलना पड़ा। ये चक्रवात अपनी मनमर्जी से आते हैं और भारी नुकसान कर चले जाते हैं। पश्चिम बंगाल में आए चक्रवात 'बुलबुल' से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 7317.48 करोड़ रुपये की सहायता राशि मांगी थी। 2019 में ही उड़ीसा में 'फनी' चक्रवाती तूफान ने तबाही मचाई थी। इसके लिए राज्य सरकार ने 5227.61 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसकी एवज में एनडीआरएफ के अंतर्गत अतिरिक्त वित्तीय सहायता के रूप में 3114.46 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी।

'ओखी' व 'गाजा' चक्रवात ने मचाई तबाही  
2017-18 के दौरान केरल में 'ओखी' चक्रवात आया था। इससे हुए नुकसान के चलते केरल सरकार ने 431.37 करोड़ रुपये की मांग की थी, जबकि एनडीआरएफ द्वारा सिर्फ 133 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की गई।तमिलनाडु में भी उसी साल यही चक्रवात आया था, जिसके लिए 877.01 करोड़ रुपये की सहायता राशि की मांग की गई थी। एनडीआरएफ ने इस केस में 133.05 करोड़ रुपये जारी किए थे। 2018-19 में तमिलनाडु में चक्रवात 'गाजा' ने तबाही मचाई थी। इसके लिए 2715.29 करोड़ रुपये की मांग की गई। एनडीआरएफ की ओर से 900.31 करोड़ रुपये जारी किए गए। उड़ीसा में 2018-19 के दौरान आए 'तितली' तूफान से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 2751.72 करोड़ रुपये की राशि मांगी थी। एनडीआरएफ ने 341.72 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की थी। 2019-20 में उड़ीसा में ही 'फनी' ने खासा नुकसान पहुंचाया था। राज्य सरकार द्वारा 5227.61 करोड़ रुपये मांगे गए, जिसकी एवज में केंद्र से 3114.46 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई। 

तीन वर्ष में खर्च हुए 140478.16 करोड़ रुपये 
देश में हर साल कोई न कोई प्राकृतिक आपदा दस्तक देती रहती है। 'गाजा' और 'बुलबुल से लेकर 'बिपरजॉय' तक कई सारे चक्रवाती तूफानों ने भारी तबाही मचाई है। इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं, सरकारी खजाने पर भारी पड़ रही हैं। अगर चार वर्ष की बात करें तो केंद्र और राज्य सरकारें, ऐसी आपदाओं के दौरान राहत एवं बचाव कार्य पर 140478.16 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि खर्च कर चुकी हैं। गत वर्ष 13 जून से 15 जून तक 'बिपरजॉय' चक्रवाती तूफान की चेतावनी जारी की गई थी। किसी भी आपात स्थिति के लिए तटरक्षक बल, सेना और नौसेना के बचाव और राहत दलों के साथ-साथ जहाजों एवं विमानों को स्टैंडबाय पर तैयार रखा गया। 'बिपरजॉय' से भी अच्छा खासा नुकसान हुआ था। यह गंभीर चक्रवाती तूफान 125-135 किमी प्रति घंटे की निरंतर हवा की गति से आगे बढ़ा था। गुजरात व दूसरे हिस्सों में 21,000 नावें खड़ी कर दी गई थी। 

केंद्रीय टीम 'आईएमसीटी' करती है मूल्यांकन 
मध्यप्रदेश में केंद्र व राज्य, दोनों का आपदा खर्च मिलाकर लगभग 127112.73 करोड़ रुपये पहुंच गया था। महाराष्ट्र में प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए 21849.96 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पश्चिम बंगाल में 8611.54 करोड़ रुपये, राजस्थान में 9892.84 करोड़ रुपये, ओडिशा में 11743.9 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश में तीन वर्ष के दौरान 8886.9 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति के अनुसार, जमीनी स्तर पर प्रभावित लोगों को राहत के वितरण सहित, आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है। राज्य सरकारें, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मदों और मानदंडों के अनुसार, पहले से ही उनके निपटान में रखी गई राज्य आपदा मोचन निधि 'एसडीआरएफ' से बाढ़ सहित प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर राहत के उपाय करती हैं। गंभीर प्रकृति की आपदा के मामले में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि 'एनडीआरएफ' से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। केंद्र की एक अंतर मंत्रालयी केंद्रीय टीम 'आईएमसीटी' संबंधित राज्य का दौरा कर नुकसान का मूल्यांकन करती है। राज्यों को एसडीआरएफ का आवंटन समय समय पर संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित क्रमिक वित्त आयोगों की सिफारिश पर आधारित है।

प्राकृतिक आपदा से राहत बचाव में खर्च राशि 
2019-20 में आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र और राज्यों ने एसडीआरएफ के तहत 13465.00 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया है। 2020-21 में यह राशि 23186.40 करोड़ रुपये जारी की गई थी। साल 2021-22 के लिए भी इस राशि का ग्राफ 23186.40 करोड़ रुपये रहा है। एसडीआरएफ के तहत आवंटन हुई राशि में 2019-20 के दौरान केंद्र का हिस्सा 10937.62 करोड़ रुपये था। 2020-21 के दौरान यह राशि 17825.63 करोड़ रुपये थी, जबकि 2021-22 में केंद्र ने एसडीआरएफ को 17747.20 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसके अलावा एनडीआरएफ निधि से सभी आपदाओं के दौरान राहत बचाव कार्य के लिए राशि प्रदान की गई है। 2019-20 में यह राशि 18530.50 करोड़ रुपये थी। 2020-21 में 8257.11 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। 

राहत एवं बचाव के लिए 46510.45 करोड़ रुपये 
साल 2021-22 के लिए 7342.30 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। साल 2019-20 में एसडीआरएफ के तहत कुल 59837.8 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। 2020-21 में कुल 46510.45 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 2021-22 के दौरान सभी आपदाओं में राहत बचाव कार्य के लिए 34129.91 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। 2022 में पांच दिसंबर तक प्राकृतिक आपदाओं में 1784 लोग मारे गए थे। 26401 पशुओं की मौत हुई। इसके अलावा 327479 मकान/झौपड़ी, प्राकृतिक आपदा में तबाह हुए। साथ ही 1889582 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचा। 

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