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8th CPC: वित्त मंत्री से की 8वें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तों' में संशोधन की मांग, इसलिए चिंतित हैं कर्मचारी

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 05 Nov 2025 04:14 PM IST
सार

केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर जो बहुप्रतीक्षित अधिसूचना जारी की है, उसे लेकर कर्मचारी संगठन चिंतित नजर आ रहे हैं। आठवें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तें' (टीओआर), केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों ने इनकी तीखी आलोचना की है। कर्मचारी यूनियनों ने इसे पिछली प्रथा से 'विचलन' बताया है।

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Finance Minister Nirmala Sitharaman Terms of Reference of 8th Pay Commission
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण - फोटो : @nsitharamanoffc
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विस्तार
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केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर जो बहुप्रतीक्षित अधिसूचना जारी की है, उसे लेकर कर्मचारी संगठन चिंतित नजर आ रहे हैं। आठवें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तें' (टीओआर), केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों ने इनकी तीखी आलोचना की है। कर्मचारी यूनियनों ने इसे पिछली प्रथा से 'विचलन' बताया है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव और कर्मियों की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा, यह जानकर वाकई हैरानी होती है कि वेतन आयोग, जिससे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और मौजूदा पेंशनभोगियों की पेंशन में संशोधन की सिफारिश करने की उम्मीद की जाती है, को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और राजकोषीय विवेक पर केंद्रित कार्यवृत्त (टीओआर) सौंपा गया है। इससे कर्मियों/पेंशनरों के हित दबते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन सौंपा है। इसमें 'संदर्भ की शर्तों' में संशोधन और कर्मचारी एवं पेंशनभोगी संबंधी प्रमुख प्रावधानों को शामिल करने का आग्रह किया गया है। 

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इस कदम से पेंशनरों में व्यापक चिंता 
श्रीकुमार के मुताबिक, पिछले वेतन आयोगों के विपरीत, 8वें सीपीसी के टीओआर में कर्मचारियों के वेतन ढांचे और पेंशन संशोधन पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करने के बजाए राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, राजकोषीय विवेक और विकास एवं कल्याणकारी गतिविधियों के लिए धन पर अधिक जोर दिया गया है। मौजूदा 69 लाख पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को 8वें सीपीसी के दायरे से बाहर रखा गया है। इस कदम ने कर्मचारियों और पेंशनरों में व्यापक चिंता पैदा कर दी है। उन्होंने कहा, यह कुछ-कुछ वित्त आयोग जैसा है, जो कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलने वाले वैध भत्ते को कम करके सरकारी धन बचाने की कोशिश कर रहा है। सातवें वेतन आयोग के विपरीत, जिसे कर्मचारियों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखने का निर्देश दिया गया था, वर्तमान कार्यवृत्त में कर्मचारी कल्याण या वेतन संबंधी आकांक्षाओं का कोई उल्लेख नहीं है। इसका अर्थ है कि आयोग उनकी लंबे समय से लंबित मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं कर सकता।
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पुरानी पेंशन योजना को अस्वीकार किया गया 
पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को कार्य-दर-नियम (टीओआर) में शामिल करने की मांग को अस्वीकार कर दिया गया। श्रीकुमार ने सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना की है। इसे "सरकारी कर्मचारियों की वृद्धावस्था सुरक्षा की घोर उपेक्षा" बताया है। सरकार को ऐसे लगता है कि 69 लाख पेंशनभोगी और पारिवारिक पेंशनभोगी, 2016 में निर्धारित पेंशन पर बिना किसी संशोधन के जीवनयापन करेंगे। ऐसा लगता है जैसे वे अब वित्तीय न्याय के पात्र ही नहीं हैं। विरोध स्वरूप, एआईडीईएफ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कार्य-दर-नियम (टीओआर) में संशोधन और कर्मचारी एवं पेंशनभोगी संबंधी प्रमुख प्रावधानों को शामिल करने का आग्रह किया गया है। इन मांगों में अधिकांश विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी को देखते हुए, आवश्यकता-आधारित, सम्मानजनक वेतन संशोधन के लिए कर्मचारियों की अपेक्षाओं पर विचार करना और अंशदायी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली, आदि शामिल हैं। 

राजकोषीय अनुशासन के नाम पर अन्याय 
जेसीएम के वरिष्ठ सदस्य श्रीकुमार ने मौजूदा पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए पेंशन में संशोधन, 11 वर्षों के बाद परिवर्तित पेंशन की बहाली और संसदीय स्थायी समिति के सुझावों के अनुसार हर पांच वर्ष में 5% की बढ़ी हुई पेंशन की शुरुआत, ये मांग भी वित्त मंत्री के समक्ष रखी हैं। 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से लागू होंगी। श्रीकुमार ने कहा, अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी और पेंशनभोगी एकजुट होकर उस अन्याय के खिलाफ़ विरोध करें, जिसे उन्होंने "राजकोषीय अनुशासन के नाम पर अन्याय" बताया है। उन्होंने जोर देकर कहा, "ऐसा लगता है कि यह कार्य-दर-नियम कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि उनकी कीमत पर सरकारी धन बचाने के लिए बनाया गया है। विशेष रूप से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के परिलब्धियों के संशोधन के संबंध में, 7वें केंद्रीय वेतन आयोग को दिए गए संदर्भ की शर्तों से 8वें वेतन आयोग की संदर्भ की शर्तें बिल्कुल अलग हैं।
 
'संदर्भ की शर्तों' में शामिल हों ये सब बातें 
सरकारी सेवा में सबसे उपयुक्त प्रतिभाओं को आकर्षित करने, कार्य संस्कृति में दक्षता, जवाबदेही, जिम्मेदारी को बढ़ावा देने और सार्वजनिक शासन प्रणाली में उत्कृष्टता में वृद्धि करने की आवश्यकता से जुड़ी पारिश्रमिक संरचना की रूपरेखा तैयार करना। इससे हितधारकों की अपेक्षाओं को ध्यान में रख कर आधुनिक प्रशासन और तेजी से हो रहे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तनों की जटिल चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। एक योग्यता आधारित संरचना के माध्यम से उपयुक्त प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की सिफारिश की जा सके। 8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में हितधारकों की अपेक्षाओं (कर्मचारियों) का उल्लेख नहीं है। ऐसे में वित्त मंत्री से अनुरोध किया गया है कि 8वें वेतन आयोग की उपरोक्त संदर्भ शर्तों को 7वें वेतन आयोग के अनुरूप पुनः तैयार किया जाए। 01.01.2004 को या उसके बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सीसीएस पेंशन नियम 1972 (अब 2021) के अंतर्गत पुरानी पेंशन योजना/गैर-अंशदायी पेंशन की बहाली हो। 26 लाख से अधिक एनपीएस कर्मचारी सीसीएस पेंशन नियम 1972 (अब 2021) के अंतर्गत गैर-अंशदायी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं। हालाँकि, 8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में इसे शामिल नहीं किया गया है। श्रीकुमार ने वित्त मंत्री से अपील की है कि मांग को 8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए।

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