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वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट: अमेरिकी टैरिफ का सीधा प्रभाव सीमित, चुनौतियों से निपटने के लिए उठाने होंगे ठोस कदम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Wed, 27 Aug 2025 09:59 PM IST
सार

भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर 27 अगस्त से 50 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए हालिया टैरिफ का सीधा असर भले ही सीमित दिख रहा हो, लेकिन इसके द्वितीयक और तृतीयक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।

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finance ministry report Secondary, tertiary effects of US tariffs on economy pose challenges
भारत पर ट्रंप की टैरिफ नीति का असर - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स / एडॉब स्टॉक
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विस्तार
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अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का सीधा असर भले ही सीमित दिख रहा हो, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव और चुनौतियों से निपटने को ठोस कदम उठाने होंगे। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि अमेरिकी टैरिफ के अर्थव्यवस्था पर दूसरे और तीसरे चरण के प्रभाव चुनौतियां पेश करने वाले होंगे, जिनका समाधान करना बेहद जरूरी होगा। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में यह बात कही।

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किन क्षेत्रों पर असर पड़ेगा 
मंत्रालय की ओर से जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि टैरिफ के प्रभावों और इससे जुड़े तमाम मुद्दों के समाधान के लिए भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता बेहद अहम है। 27 अगस्त से लागू हुए अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ 48 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के निर्यात को प्रभावित करेगा। ट्रंप प्रशासन की ओर से लगाए गए उच्च आयात शुल्क का खामियाजा जिन क्षेत्रों को भुगतना पड़ेगा, उनमें कपड़ा-परिधान, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन और विद्युत व यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं।
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भारत की विविधीकृत व्यापार रणनीति
वित्त मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक बदलाव को देखते हुए भारत सक्रिय रूप से विविधीकृत व्यापार रणनीति पर काम कर रहा है। इसके तहत हाल ही में ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया गया। इसके अलावा और अमेरिका, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड, चिली और पेरू के साथ इसी तरह के समझौते करने के लिए वार्ताएं चल रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन उपायों के परिणाम दिखने में समय लगेगा। हालांकि, यह भी हो सकता है कि ये कदम उच्च शुल्क के बाद अमेरिका को निर्यात में होने वाली कमी को पूरी तरह से दूर न कर पाएं। इस चुनौती से निपटने के लिए भी तैयारी करनी होगी।
 
ये भी पढ़ें: US Tariff: 'भारत-अमेरिका टैरिफ मामले को सुलझाने के प्रयास जारी', सूत्रों का दावा- बातचीत के रास्ते खुले

एसएंडपी ने भी रेटिंग बढ़ाकर की बीबीबी
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। पिछले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन, नीतिगत स्थिरता और उच्च बुनियादी ढांचे के निवेश के कारण एसएंडपी ने इसे बीबीबी- से बीबीबी तक की रेटिंग प्रदान की है। अपग्रेड की गई रेटिंग अर्थव्यवस्था के मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों और चल रहे सुधार पहलों का प्रमाण है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू मोर्चे पर, सामान्य से अधिक वर्षा और खरीफ फसलों की बेहतर बुवाई के कारण, निकट भविष्य में मुख्य मुद्रास्फीति मध्यम बनी रह सकती है। पहली तिमाही में बाजार में बढ़ी आवक, पर्याप्त बफर स्टॉक और बेहतर उत्पादन संभावनाओं के साथ-साथ स्थिर वैश्विक तेल बाजार, खाद्यान्न की कीमतों को औसत बनाए रख सकते हैं। ये सब कारक मिलकर उच्च शुल्क के प्रभाव की कुछ हद तक भरपाई कर सकते हैं।

पीएम मोदी ने नीतिगत सुधारों पर किया फोकस
चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के बीच आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने नीतिगत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कुछ पहलों की घोषणा की है। इस कदम से परिवारों को प्रत्यक्ष राहत प्रदान करने और उपभोग मांग को बढ़ावा मिलेगा।

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