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MEA: अफ्रीका में पहली जी20 बैठक, PM समेत कई वैश्विक नेता होंगे शामिल; इन मुद्दों को प्रमुखता से रखेगा भारत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Thu, 20 Nov 2025 05:14 PM IST
सार
G20 Summit: प्रधानमंत्री मोदी 21 से 23 नवंबर तक दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय के सचिव सुधाकर दलेला ने कहा कि सम्मेलन में सतत विकास, जलवायु संकट, डिजिटल खाई, ऊर्जा परिवर्तन और वैश्विक संस्थाओं में सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
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विदेश मंत्रालय के सचिव सुधाकर दलेला
- फोटो : एएनआई वीडियो ग्रैब
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विस्तार
दक्षिण अफ्रीका में होने जा रहे जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले भारत सरकार ने इस दौरे को वैश्विक आर्थिक और सामरिक मुद्दों पर गहराई से चर्चा का महत्वपूर्ण अवसर बताया है। विदेश मंत्रालय के सचिव (ईआर) सुधाकर दलेला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 23 नवंबर तक जोहांसबर्ग की यात्रा करेंगे, जहां वे जी20 नेताओं की बैठक में भाग लेंगे।
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सुधाकर दलेला ने बताया कि यह जी20 सम्मेलन पहली बार अफ्रीकी धरती पर आयोजित हो रहा है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के निमंत्रण पर होने वाला यह कार्यक्रम भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2023 में सफल अध्यक्षता के बाद भारत अपनी प्राथमिकताओं की निरंतरता इस मंच पर रख सकेगा। यह प्रधानमंत्री मोदी का दक्षिण अफ्रीका का चौथा आधिकारिक दौरा होगा। इससे पहले वे 2016 में द्विपक्षीय दौरे पर और 2018 व 2023 में ब्रिक्स सम्मेलनों के लिए गए थे।
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जी20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच
दलेला ने कहा कि जी20 अब अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श का प्रमुख मंच बन चुका है। यह समूह दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी और लगभग तीन-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने बताया कि इस मंच पर ऐसे विषयों पर विशेष फोकस किया जाएगा जिनका सीधा असर वैश्विक स्थिरता पर पड़ता है। इसमें सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति, वैश्विक प्रशासनिक संस्थाओं में सुधार, पर्यावरण और जलवायु चुनौतियों का समाधान तथा डिजिटल खाई को पाटने जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं।
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कर्ज संकट और ऊर्जा परिवर्तन पर जोर
सचिव दलेला ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका ने अपने जी20 एजेंडा के लिए चार प्रमुख प्राथमिकताएं तय की हैं। इनमें आपदा प्रबंधन क्षमता को मजबूत करना, कम आय वाले देशों के कर्ज संकट को दूर करना, न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन के लिए वित्त जुटाना और समावेशी वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग बढ़ाना शामिल है। उन्होंने कहा कि यह प्राथमिकताएं वैश्विक आर्थिक और पर्यावरणीय असुरक्षाओं को कम करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगी।
भारत की भूमिका और रणनीतिक महत्व
दलेला के मुताबिक भारत इस सम्मेलन में अपनी अध्यक्षता के दौरान उठाए गए मुद्दों को आगे बढ़ाएगा। भारत विशेष रूप से विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करने, डिजिटल सार्वजनिक ढांचा मॉडल को साझा करने, जलवायु न्याय की अवधारणा को मजबूती देने और वैश्विक संस्थाओं में समावेशी सुधार की मांग को प्रमुखता से उठाएगा। भारत का मानना है कि टिकाऊ विकास और आर्थिक संतुलन तभी संभव है, जब वैश्विक मंचों पर समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो।
दौरे से कई स्तरों पर बढ़ेगी कूटनीतिक सक्रियता
दलेला ने कहा कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत-दक्षिण अफ्रीका संबंधों को भी मजबूत करेगी। दोनों देश ब्रिक्स, जी20 और ग्लोबल साउथ जैसे मंचों पर समान सोच साझा करते हैं। सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय मुलाकातों, बहुपक्षीय चर्चाओं और वैश्विक घोषणाओं के जरिए भारत अपनी कूटनीतिक सक्रियता को और बढ़ाएगा। यह दौरा अंतरराष्ट्रीय सहयोग, स्थिरता और समावेशी विकास के भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करने का अवसर माना जा रहा है।