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Rajya Sabha: पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने सरकार पर साधा निशाना, कहा- राजनीति से प्रेरित है केंद्रीय बजट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: बशु जैन
Updated Mon, 10 Feb 2025 06:47 PM IST
सार
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 राजनीति से प्रेरित था। इसे दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया था। साथ ही बजट में गरीब और निचले तबके लोगों की अनदेखी की गई। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर पूंजीगत व्यय और राज्यों के अनुदान में कटौती करके राजकोषीय घाटे को पूरा करने का आरोप लगाया।
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पी चिदंबरम
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम में सोमवार को राज्यसभा में केंद्रीय बजट को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 राजनीति से प्रेरित था। इसे दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया था। साथ ही बजट में गरीब और निचले तबके लोगों की अनदेखी की गई। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर पूंजीगत व्यय और राज्यों के अनुदान में कटौती करके राजकोषीय घाटे को पूरा करने का आरोप लगाया। साथ ही इसे खराब अर्थशास्त्र करार दिया।
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पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि बजट के पीछे एक तत्व होता है, लेकिन वह तत्व और दर्शन इस बजट में नजर नहीं आया। बजट के भाषण और आंकड़ों से स्पष्ट है कि इसमें कोई तत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि यह साफ है कि बजट पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित था। मैं इस बारे में विस्तार से बात नहीं करना चाहूंगा, लेकिन मैं वित्त मंत्री को इसलिए बधाई दूंगा क्योंकि उन्होंने अपने एक उद्देश्य को पूरा किया।
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उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत प्रतिदिन मिलने वाली मजदूरी को बढ़ाया जा सकता था क्योंकि सबसे गरीब तबका मनरेगा में ही काम करता है। साथ ही न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत सभी के लिए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई जा सकती थी। इससे सभी को लाभ मिल सकता था। लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उनका ध्यान आयकर और दिल्ली चुनाव पर था। बजट में आयकर में दी गई छूट को लेकर उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग पर ध्यान दिया, लेकिन उस वर्ग का क्या जिसे वह भूल गईं।
सरकारी आंकड़े पेश करते हुए चिदंबरम ने कहा कि 2012 से 2024 के बीच 12 साल में खाद्य मुद्रास्फीति 6.18 प्रतिशत, शिक्षा मुद्रास्फीति 11 फीसदी और स्वास्थ्य मुद्रास्फीति 14 फीसदी हो गई। भारतीय परिवार अब पंगु हो गए हैं क्योंकि बचत 25.2 फीसदी से गिरकर 18.4 फीसदी रह गई है। घरेलू उपभोग सर्वे 2023 के मुताबिक ग्रामीण परिवार का मासिक प्रतिव्यक्ति खर्च 4226 रुपये और शहरी परिवार का 6996 रुपये होगा।
चिदंबरम ने पूछा कि बजट ने निचले 50 फीसदी और निचले 25 फीसदी भारतीय परिवारों के लिए क्या किया? कुछ भी नहीं। वित्त मंत्री ने उनको क्या राहत दी? उन्होंने यह भी कहा कि पिछले सात साल में वेतनभोगी पुरुष कर्मचारियों की मजदूरी 12665 रुपये प्रति महीना से गिरकर 11858 रुपये प्रति माह हो गई है। स्वरोजगार करने वाले पुरुष कर्मी की मजदूरी 9454 रुपये प्रतिमाह से गिरकर 8591 रुपये प्रतिमाह हो गई। यह क्या स्थिति है? स्थिति यह है कि आय गिर रही है, मजदूरी गिर रही है। सरकारी खर्च वादों के अनुरूप नहीं है। घरेलू बचत में गिरावट है। घरेलू कर्ज बढ़ रहा है। भारत के 50 फीसदी निचले भारतीय परिवार दुर्दशा के शिकार हैं। बजट में निचले 50 फीसदी परिवारों के लिए कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि राज्यसभा को इस तरह से नहीं बांटा जा सकता कि आधा हिस्सा शीर्ष 50 फीसदी की और दूसरा हिस्स निचले 50 फीसदी के लिए बोले। मैं निचले 50 फीसदी के बारे में बोलकर काफी खुश हूं। मैं सत्ता पक्ष से कहना चाहता हूं कि वे अपने वित्त मंत्री पर निचले 50 फीसदी के बारे में बोलने को लेकर दबाव डाले। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार की कई योजनाएं जैसे पीएलआई, मेक इन इंडिया फेल हो गईं। इन योजनाओं ने न तो लक्ष्य पूरा किया और न ही रोजगार सृजन कर सकीं। देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी है।
उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाया कि उन्होंने राजकोषीय घाटे को 4.9 फीसदी से 4.8 फीसदी करने के लिए पूंजीगत व्यय में कटौती की। चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने 4.8 फीसदी कैसे प्राप्त किया? उन्होंने केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में 92686 करोड़ की कटौती की। राजस्व खर्चे नहीं उन्होंने पूंजीगत संपत्ति बनाने के लिए राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान में 90887 रुपये की कटौती की। इस हिसाब से केंद्र और राज्यों में पूंजीगत व्यय में 183568 करोड़ की कटौती की। पूंजीगत व्यय में कटौती करके उन्होंने राजकोषीय घाटे में 43785 करोड़ रुपये की बचत की। पूंजीगत खर्च में कटौती की बात समझ आती है, लेकिन राजकोषीय घाटे में की गई बचत बहुत बड़ी है। उन्होंने कहा कि 183000 करोड़ की कटौती करने के बाद उन्होंने 44000 करोड़ रुपये बचाए, क्या यह अच्छी योजना है? मैं नहीं जानता कि क्या यह अच्छा अर्थशास्त्र है? मैं कहूंगा नहीं यह अच्छा अर्थशास्त्र नहीं है?
अमेरिका से भारतीयों के निर्वासन पर उठाए सवाल
राज्यसभा में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अमेरिका से भारतीयों निर्वासन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय “पिछले सप्ताह बुरी तरह लड़खड़ा गया। यह स्पष्ट है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को अमृतसर में उतरे 104 अवैध भारतीय प्रवासियों के निर्वासन के बारे में सूचित किया था। चिदंबरम ने कहा कि मैं सरकार से पूछता हूं कि क्या विदेश मंत्री ने अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो के सामने यह मामला उठाया था? क्या वह एसओपी के बारे में जानते थे? उन्होंने सदन को बताया कि एसओपी 2012 से कई वर्षों से लागू है। अगर उन्हें एसओपी के बारे में पता था, तो क्या उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री से एसओपी का विरोध किया था? क्या उन्हें एसओपी के बारे में पता था, जिसमें (निर्वासित लोगों के) हथकड़ी लगाने और पैरों को रस्सियों से बांधने की बात कही गई थी। अगर उन्हें इसके बारे में पता था तो क्या उन्होंने मिस्टर रुबियो के समक्ष विरोध किया था? अगर उन्होंने विरोध नहीं किया, तो ऐसा क्यों?चिदंबरम ने कहा कि क्या विदेश मंत्री ने भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए अमेरिका में विमान भेजने की पेशकश की है।
नड्डा ने दिया जवाब
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने चिदंबरम को जवाब देते हुए कहा कि ऐसा दिखाया जा रहा है कि केवल विपक्ष ही अवैध प्रवासियों के अमानवीय निर्वासन को लेकर चिंतित है। यह चिंता 2009, 2010 या 2014 में क्यों नहीं उठाई गई। यह चिंता अब 2025 में उठाई जा रही है। राष्ट्रीय हित को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है और यह आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा कई वर्षों से जारी है।
राज्यसभा में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अमेरिका से भारतीयों निर्वासन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय “पिछले सप्ताह बुरी तरह लड़खड़ा गया। यह स्पष्ट है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को अमृतसर में उतरे 104 अवैध भारतीय प्रवासियों के निर्वासन के बारे में सूचित किया था। चिदंबरम ने कहा कि मैं सरकार से पूछता हूं कि क्या विदेश मंत्री ने अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो के सामने यह मामला उठाया था? क्या वह एसओपी के बारे में जानते थे? उन्होंने सदन को बताया कि एसओपी 2012 से कई वर्षों से लागू है। अगर उन्हें एसओपी के बारे में पता था, तो क्या उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री से एसओपी का विरोध किया था? क्या उन्हें एसओपी के बारे में पता था, जिसमें (निर्वासित लोगों के) हथकड़ी लगाने और पैरों को रस्सियों से बांधने की बात कही गई थी। अगर उन्हें इसके बारे में पता था तो क्या उन्होंने मिस्टर रुबियो के समक्ष विरोध किया था? अगर उन्होंने विरोध नहीं किया, तो ऐसा क्यों?चिदंबरम ने कहा कि क्या विदेश मंत्री ने भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए अमेरिका में विमान भेजने की पेशकश की है।
नड्डा ने दिया जवाब
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने चिदंबरम को जवाब देते हुए कहा कि ऐसा दिखाया जा रहा है कि केवल विपक्ष ही अवैध प्रवासियों के अमानवीय निर्वासन को लेकर चिंतित है। यह चिंता 2009, 2010 या 2014 में क्यों नहीं उठाई गई। यह चिंता अब 2025 में उठाई जा रही है। राष्ट्रीय हित को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है और यह आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा कई वर्षों से जारी है।