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Prophet Remarks Row: हामिद अंसारी बोले- विवादित बयान देने वालों को हल्के में लेना ठीक नहीं, वे सत्ताधारी पार्टी के लोग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Sat, 11 Jun 2022 10:42 PM IST
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सार
उन्होंने कहा कि पैगंबर के बारे में ये बयान देने वाले लोगों को 'हल्के' में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि वे सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी थे।

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी
- फोटो : ANI
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विस्तार
भाजपा के पूर्व नेताओं द्वारा पैगंबर मोगम्मद के बारे में कथित विवादास्पद टिप्पणी मामले में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने फिर से एक बार फिर प्रतिक्रिया दी। इस बहाने उन्होंने पीएम मोदी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब धर्म संसद के बहाने विभिन्न स्थानों पर अल्पसंख्यक विरोधी और मुस्लिम विरोधी नफरत भरे भाषण दिए गए थे, तो सरकार 'मौन' थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' बहुत सार्थक थी और वह आकस्मिक नहीं थी।

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इससे पहले उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने अब तक इस मामले में कुछ भी नहीं कहा है। उन्हें क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है, यह बताने की जरूरत मुझे नहीं है। आज उन्होंने कहा कि पैगंबर के बारे में ये बयान देने वाले लोगों को 'हल्के' में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि वे सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी थे। उन्होंने आगे कहा कि लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि यह केवल एक बयान के बारे में नहीं है। पिछले कुछ महीनों में, इस तरह के कई बयान दिए गए हैं। विभिन्न धर्म संसदों में, अल्पसंख्यक विरोधी और मुस्लिम विरोधी नफरत भाषण दिए गए थे। पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि शब्द अलग हो सकते हैं, लेकिन इन सब मामलों में सरकार पूरी तरह से चुप थी और अगर कोई कार्रवाई की गई तो बहुत देर हो चुकी थी, जिसका कोई मतलब नहीं था। अंसारी ने दावा किया कि यह अचानक नहीं हुआ है। यह पिछले कुछ समय से किया जा रहा था और सरकार इसे बर्दाश्त कर रही थी क्योंकि उसकी भी यही नीति है।
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इस दौरान मुस्लिम देशों से माफी मांगने को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार को माफी मांगनी चाहिए क्योंकि कूटनीति में देशों के बीच मतभेदों से निपटने के लिए कई तंत्र होते हैं। उन्होंने दावा किया कि सभी खाड़ी देशों के प्रमुखों के साथ पीएम मोदी के उत्कृष्ट संबंध हैं, लेकिन वे चुप हैं और उनकी ये चुप्पी बहुत सार्थक है। उन्होंने कहा कि इसकी दो तरह से व्याख्या की जा सकती है। सबसे पहले, यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री भाजपा प्रवक्ता द्वारा कही गई बातों को अस्वीकार नहीं करते हैं या यह भी कहा जा सकता है कि जो कहा गया है उसे वह स्वीकार करते हैं।
भारतीय मुसलमानों के बारे में उन्होंने कहा कि मुसलमान यहां सैकड़ों वर्षों से रह रहे हैं। आजादी के बाद से भारतीय मुसलमानों ने कभी भी विदेशों से मदद लेने के बारे में नहीं सोचा। उन्होने कहा कि मैं एक भारतीय नागरिक हूं और मेरे लिए भारत का संविधान मेरी धार्मिक किताब है।
गौरतलब है कि उनकी टिप्पणी विदेश मंत्रालय द्वारा यह कहने के कुछ दिनों बाद आई है कि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि टिप्पणी सरकार के विचारों को नहीं दर्शाती है। भाजपा ने पिछले रविवार को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा को निलंबित कर दिया था और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपनी विवादास्पद टिप्पणी के बाद दिल्ली के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को निष्कासित कर दिया था।