देश के खजाने पर भारी पड़ रहे हैं 'गाजा', 'तितली' और 'बुलबुल', इनके आगे विवश हैं केंद्र और राज्य सरकारें!
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के मुताबिक, राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि से वित्तीय सहायता एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रदान की जाती है। एनडीआरएफ की स्कीम के अनुसार प्रत्येक राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि एनडीआरएफ के तहत प्राप्त हुई निधियों में से किया गया खर्च केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित मानदंडों के अनुरूप है...
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यहां बात हो रही है प्राकृतिक आपदाओं की। ये तीनों नाम चक्रवात और तूफान से जुड़े हैं। पिछले साल पश्चिम बंगाल में आए चक्रवात 'बुलबुल' से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 7317.48 करोड़ रुपये की सहायता राशि मांगी थी।
2019 में ही उड़ीसा में 'फनी' चक्रवाती तूफान ने तबाही मचाई थी। इसके लिए राज्य सरकार ने 5227.61 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसकी एवज में एनडीआरएफ के अंतर्गत अतिरिक्त वित्तीय सहायता के रूप में 3114.46 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी।
बता दें कि 2017-18 के दौरान केरल में 'ओखी' चक्रवात आया था। इससे हुए नुकसान के चलते केरल सरकार ने 431.37 करोड़ रुपये की मांग की थी, जबकि एनडीआरएफ की तरफ से सिर्फ 133 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की गई।
तमिलनाडु में भी उसी साल यही चक्रवात आया था, जिसके लिए 877.01 करोड़ रुपये की सहायता राशि की मांग की गई थी। एनडीआरएफ ने इस केस में 133.05 करोड़ रुपये जारी किए थे।
2018-19 में तमिलनाडु में चक्रवात 'गाजा' ने तबाही मचाई थी। इसके लिए 2715.29 करोड़ रुपये की मांग की गई। एनडीआरएफ की ओर से 900.31 करोड़ रुपये जारी किए गए।
उड़ीसा में 2018-19 के दौरान आए 'तितली' तूफान से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 2751.72 करोड़ रुपये की राशि मांगी थी। एनडीआरएफ ने 341.72 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की थी।
2019-20 में उड़ीसा में ही 'फनी' ने खासा नुकसान पहुंचाया था। राज्य सरकार द्वारा 5227.61 करोड़ रुपये मांगे गए, जिसकी एवज में केंद्र से 3114.46 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री नित्यानंद राय के मुताबिक, राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि से वित्तीय सहायता एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रदान की जाती है। एनडीआरएफ की स्कीम के अनुसार प्रत्येक राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि एनडीआरएफ के तहत प्राप्त हुई निधियों में से किया गया खर्च केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित मानदंडों के अनुरूप है।
राज्य के महालेखाकार से सहायता की मदों और मानदंडों के अनुसार व्यय की निगरानी करने की अपेक्षा की जाती है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक एनडीआरएफ की लेखा परीक्षा करते हैं।