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चेतावनी: अगली महामारी का कारण बन सकता है एच5एन1 बर्ड फ्लू, भारतीय वैज्ञानिकों ने चेताया
अमर उजाला नेटवर्क
Published by: लव गौर
Updated Sun, 21 Dec 2025 05:11 AM IST
सार
भारतीय वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन ने चेताया है कि यदि वायरस ने इंसान-से-इंसान में फैलने की क्षमता हासिल कर ली, तो यह अगली वैश्विक महामारी का रूप ले सकता है।
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एच5एन1 बर्ड फ्लू (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
वर्षों से पक्षियों में फैला एच5एन1 बर्ड फ्लू अभी भले ही इंसानों के लिए सीमित खतरा माना जा रहा हो, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन ने चेताया है कि यदि वायरस ने इंसान-से-इंसान में फैलने की क्षमता हासिल कर ली, तो यह अगली वैश्विक महामारी का रूप ले सकता है। शोध के अनुसार समय रहते सख्त निगरानी और तेज सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया से इस संभावित संकट को रोका जा सकता है।
यह वायरस इन्फ्लुएंजा परिवार का है और दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में लंबे समय से मौजूद रहा है।पहली बार 1990 के दशक के अंत में चीन में इसकी पहचान हुई थी और इसके बाद यह कई महाद्वीपों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साल 2003 से अगस्त 2025 तक 25 देशों में एच5एन1 के 990 मानव मामले दर्ज किए गए, जिनमें 475 लोगों की मौत हुई। लगभग 48 प्रतिशत की यह मृत्यु दर इसे अन्य कई संक्रामक रोगों की तुलना में कहीं अधिक घातक बनाती है। अमेरिका में भी स्थिति ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। वहां 18 राज्यों में 1,000 से अधिक डेयरी फार्म एच5एन1 से प्रभावित हो चुके हैं और करीब 18 करोड़ पक्षी इसकी चपेट में आ चुके हैं।
वायरस केवल पक्षियों व इन्सानों तक सीमित नहीं
यह वायरस केवल पक्षियों और इन्सानों तक सीमित नहीं है। भारत में जनवरी के दौरान नागपुर स्थित एक वन्यजीव बचाव केंद्र में तीन बाघों और एक तेंदुए की मौत एच5एन1 संक्रमण से हुई। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि यह वायरस अलग-अलग प्रजातियों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है।
कैसे होते हैं इंसानों में लक्षण
इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण आमतौर पर गंभीर फ्लू जैसे होते हैं। इनमें तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और अत्यधिक थकान शामिल हैं। कुछ मामलों में आंखों में सूजन यानी कंजंक्टिवाइटिस भी देखी गई है, जबकि कुछ संक्रमित लोगों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते।
ये भी पढ़ें: चिंताजनक: उम्र और कैंसर समान लेकिन ज्यादा जान गंवाते हैं गरीब बच्चे, वैश्विक आंकड़े चिंता का विषय
भ्रमित करने वाली शुरुआत
अध्ययन के अनुसार बर्ड फ्लू की शुरुआत बेहद शांत हो सकती है। किसी संक्रमित पक्षी से एक इंसान में संक्रमण फैल सकता है, जो अक्सर किसान, पोल्ट्री बाजार में काम करने वाला व्यक्ति या मुर्गियों को संभालने वाला मजदूर हो सकता है। शुरुआती मामला अपने आप में उतना खतरनाक नहीं होता, लेकिन इसके बाद यदि वायरस इंसान-से-इंसान में फैलने लगे तो स्थिति तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
ये भी पढ़ें: Food Packs: पैकेज्ड फूड पर चेतावनी जरूरी! क्या स्टार रेटिंग बढ़ाएगी भ्रम? विशेषज्ञों ने उठाए गंभीर सवाल
शोधकर्ताओं ने यह भी रेखांकित किया कि किसी नई बीमारी के शुरुआती चरण में वास्तविक आंकड़े अक्सर अधूरे और बिखरे होते हैं। ऐसे में सिमुलेशन मॉडल यह समझने में मदद करते हैं कि अलग-अलग परिस्थितियों में संक्रमण कैसे फैल सकता है और कौन-से सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय सबसे प्रभावी साबित हो सकते हैं।
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वायरस केवल पक्षियों व इन्सानों तक सीमित नहीं
यह वायरस केवल पक्षियों और इन्सानों तक सीमित नहीं है। भारत में जनवरी के दौरान नागपुर स्थित एक वन्यजीव बचाव केंद्र में तीन बाघों और एक तेंदुए की मौत एच5एन1 संक्रमण से हुई। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि यह वायरस अलग-अलग प्रजातियों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है।
कैसे होते हैं इंसानों में लक्षण
इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण आमतौर पर गंभीर फ्लू जैसे होते हैं। इनमें तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और अत्यधिक थकान शामिल हैं। कुछ मामलों में आंखों में सूजन यानी कंजंक्टिवाइटिस भी देखी गई है, जबकि कुछ संक्रमित लोगों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते।
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भ्रमित करने वाली शुरुआत
अध्ययन के अनुसार बर्ड फ्लू की शुरुआत बेहद शांत हो सकती है। किसी संक्रमित पक्षी से एक इंसान में संक्रमण फैल सकता है, जो अक्सर किसान, पोल्ट्री बाजार में काम करने वाला व्यक्ति या मुर्गियों को संभालने वाला मजदूर हो सकता है। शुरुआती मामला अपने आप में उतना खतरनाक नहीं होता, लेकिन इसके बाद यदि वायरस इंसान-से-इंसान में फैलने लगे तो स्थिति तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
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शोधकर्ताओं ने यह भी रेखांकित किया कि किसी नई बीमारी के शुरुआती चरण में वास्तविक आंकड़े अक्सर अधूरे और बिखरे होते हैं। ऐसे में सिमुलेशन मॉडल यह समझने में मदद करते हैं कि अलग-अलग परिस्थितियों में संक्रमण कैसे फैल सकता है और कौन-से सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय सबसे प्रभावी साबित हो सकते हैं।
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