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Fit India: नाश्ते वाले पदार्थों में कितना तेल-चीनी? सरकारी दफ्तरों में लगेगा बोर्ड; मोटापे के खिलाफ अभियान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 14 Jul 2025 06:17 PM IST
सार
Fit India Movement: स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम मोटापे के कारण होने वाली बीमारी की रोकथाम की दिशा में एक अहम पहल है। अगर सभी सरकारी संस्थान इसे अपनाते हैं, तो इससे लाखों कर्मचारियों की जीवनशैली में बदलाव लाया जा सकता है।
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जेपी नड्डा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत में तेजी से बढ़ते मोटापे और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई पहल की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे समोसा, कचौड़ी, फ्रेंच फ्राइज, वड़ा पाव जैसे भारतीय नाश्तों में कितनी तेल और चीनी होती है, यह ऑयल और शुगर बोर्ड के जरिए साफ-साफ दिखाएं।
क्या है ऑयल और शुगर बोर्ड योजना?
स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है कि दफ्तरों, स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में खाने की वस्तुओं में छुपे हुए तेल और चीनीकी मात्रा की जानकारी दी जाए। इसके लिए एक बोर्ड या डिजिटल पोस्टर लगाया जाए जो लोगों को यह जानकारी दे और उन्हें स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करे।
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मंत्रालयों से क्या की गई है अपील?
कहां लगेगा यह हेल्थ बोर्ड?
स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, ये बोर्ड कैफेटेरिया, लॉबी, मीटिंग रूम और अन्य सार्वजनिक स्थान लगाए जाएं। इसका मकसद यह है कि कर्मचारी और आम नागरिक रोजमर्रा की आदतों को सुधारें और हेल्दी खाना अपनाएं।
सरकारी स्टेशनरी पर भी स्वास्थ्य संदेश
इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सभी मंत्रालय अपने लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड, फोल्डर आदिपर भी स्वास्थ्य संबंधी संदेश छापें, जैसे- 'कम तेल, कम चीनी - सेहत के लिए अच्छी जिंदगी।' 'रोज चलें कुछ कदम, सेहत रहे हरदम।' यह रोजाना याद दिलाने का एक तरीका होगा कि लोग मोटापे से बचने के लिए सजग रहें।
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मोटापा और बीमारियां- एक बड़ी चिंता
बता दें कि स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव ने 21 जून को एक पत्र लिखकर चिंता जताई कि भारत में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। एनएफएचएस-5 (2019-21)के अनुसार, शहरी इलाकों में हर पांच में से एक वयस्क मोटापे से ग्रसित है। वहीं बच्चों में भी मोटापा बढ़ रहा है, जिसकी बड़ी वजह है गलत खानपान और कम शारीरिक गतिविधि। जबकि लैंसेट के 2025 के अध्ययन के अनुसार, भारत में मोटे वयस्कों की संख्या 2021 में 18 करोड़ थी, जो 2050 तक बढ़कर 44.9 करोड़ हो सकती है। अगर इसे नहीं रोका गया तो भारत विश्व में मोटापे का दूसरा सबसे बड़ा बोझ उठाने वाला देश बन जाएगा।
मोटापे से जुड़ी बीमारियां
मोटापे के कारण तमाम बीमारियां होती है, जिनमें डायबिटीज (मधुमेह), हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप), हृदय रोग, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर, चलने-फिरने में परेशानी, जीवन की गुणवत्ता में गिरावट के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक खर्च और कामकाज में कमी दिख सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी 2025 को देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में फिट इंडिया मूवमेंट की बात करते हुए नागरिकों से अपील की थी कि वे तेल की खपत में 10% की कमी करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में भी यह संदेश दिया था कि भारत को 'स्वस्थ भारत' बनाना है और यह बदलाव आम लोगों की आदतों से ही आएगा।
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क्या है ऑयल और शुगर बोर्ड योजना?
स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है कि दफ्तरों, स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में खाने की वस्तुओं में छुपे हुए तेल और चीनीकी मात्रा की जानकारी दी जाए। इसके लिए एक बोर्ड या डिजिटल पोस्टर लगाया जाए जो लोगों को यह जानकारी दे और उन्हें स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करे।
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मंत्रालयों से क्या की गई है अपील?
- ऑयल और शुगर बोर्ड लगाना
- स्वास्थ्य संदेशों को स्टेशनरी में शामिल करना
- दफ्तरों में हेल्दी फूड उपलब्ध कराना - इसमें कम वसा वाला खाना, फल और सब्जियां ज्यादा, मीठे पेय और हाई फैट स्नैक्स की उपलब्धता सीमित करना शामिल है।
- शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देना - इसमें सीढ़ियों के उपयोग को बढ़ाना, छोटे-छोटे एक्सरसाइज ब्रेक लेना और दफ्तर में वॉकिंग रूट बनाना शामिल है।
कहां लगेगा यह हेल्थ बोर्ड?
स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, ये बोर्ड कैफेटेरिया, लॉबी, मीटिंग रूम और अन्य सार्वजनिक स्थान लगाए जाएं। इसका मकसद यह है कि कर्मचारी और आम नागरिक रोजमर्रा की आदतों को सुधारें और हेल्दी खाना अपनाएं।
सरकारी स्टेशनरी पर भी स्वास्थ्य संदेश
इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सभी मंत्रालय अपने लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड, फोल्डर आदिपर भी स्वास्थ्य संबंधी संदेश छापें, जैसे- 'कम तेल, कम चीनी - सेहत के लिए अच्छी जिंदगी।' 'रोज चलें कुछ कदम, सेहत रहे हरदम।' यह रोजाना याद दिलाने का एक तरीका होगा कि लोग मोटापे से बचने के लिए सजग रहें।
यह भी पढ़ें - Railways: ट्रेन किराए में मामूली बढ़त से भरेगा रेलवे का खजाना, जाने 1500 करोड़ रुपए जुटाने का प्लान
मोटापा और बीमारियां- एक बड़ी चिंता
बता दें कि स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव ने 21 जून को एक पत्र लिखकर चिंता जताई कि भारत में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। एनएफएचएस-5 (2019-21)के अनुसार, शहरी इलाकों में हर पांच में से एक वयस्क मोटापे से ग्रसित है। वहीं बच्चों में भी मोटापा बढ़ रहा है, जिसकी बड़ी वजह है गलत खानपान और कम शारीरिक गतिविधि। जबकि लैंसेट के 2025 के अध्ययन के अनुसार, भारत में मोटे वयस्कों की संख्या 2021 में 18 करोड़ थी, जो 2050 तक बढ़कर 44.9 करोड़ हो सकती है। अगर इसे नहीं रोका गया तो भारत विश्व में मोटापे का दूसरा सबसे बड़ा बोझ उठाने वाला देश बन जाएगा।
मोटापे से जुड़ी बीमारियां
मोटापे के कारण तमाम बीमारियां होती है, जिनमें डायबिटीज (मधुमेह), हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप), हृदय रोग, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर, चलने-फिरने में परेशानी, जीवन की गुणवत्ता में गिरावट के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक खर्च और कामकाज में कमी दिख सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी 2025 को देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में फिट इंडिया मूवमेंट की बात करते हुए नागरिकों से अपील की थी कि वे तेल की खपत में 10% की कमी करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में भी यह संदेश दिया था कि भारत को 'स्वस्थ भारत' बनाना है और यह बदलाव आम लोगों की आदतों से ही आएगा।