{"_id":"6775796c8beccb80cf0b90b0","slug":"home-ministry-amended-the-prison-manual-asked-the-states-to-resolve-the-issue-of-caste-based-discrimination-2025-01-01","type":"story","status":"publish","title_hn":"MHA: गृह मंत्रालय ने जेल नियमावली में किया संशोधन, राज्यों से जाति आधारित भेदभाव के मुद्दे को सुलझाने को कहा","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
MHA: गृह मंत्रालय ने जेल नियमावली में किया संशोधन, राज्यों से जाति आधारित भेदभाव के मुद्दे को सुलझाने को कहा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Wed, 01 Jan 2025 10:50 PM IST
सार
उच्चतम न्यायालय के तीन अक्तूबर, 2024 के आदेश के मद्देनजर कैदियों के साथ जाति आधारित भेदभाव पर ये बदलाव किए गए हैं। कारागार नियमावली में किए गए नए संशोधन के अनुसार, जेल अधिकारियों को सख्ती से यह सुनिश्चित करना होगा कि कैदियों के साथ उनकी जाति के आधार पर कोई भेदभाव, वर्गीकरण या अलगाव न हो।
विज्ञापन
केंद्रीय गृह मंत्रालय
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जेलों में कैदियों के साथ उनकी जाति के आधार पर भेदभाव और वर्गीकरण की जांच करने के लिए जेल नियमावली में संशोधन किया है। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में कहा है कि कैदियों के साथ किसी भी तरह के जाति आधारित भेदभाव के मुद्दे को सुलझाने के लिए 'आदर्श कारागार नियमावली, 2016' और 'आदर्श कारागार एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023' में संशोधन किया गया है।
'कैदियों के साथ जाति के आधार पर न हो भेदभाव'
इसमें कहा गया है, 'यह सख्ती से सुनिश्चित किया जाएगा कि जेलों में किसी भी ड्यूटी या काम के आवंटन में कैदियों के साथ उनकी जाति के आधार पर कोई भेदभाव न हो।' आदर्श कारागार एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 के 'विविध' में भी बदलाव किए गए हैं, जिसमें धारा 55(ए) के रूप में नया शीर्षक 'कारागार एवं सुधार संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव का निषेध' जोड़ा गया है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि 'हाथ से मैला उठाने वालों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013' के प्रावधानों का जेलों एवं सुधार संस्थानों में भी बाध्यकारी प्रभाव होगा। इसमें कहा गया है, 'जेल के अंदर हाथ से मैला उठाने या सीवर या सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई की अनुमति नहीं दी जाएगी।'
कई राज्यों में आदतन अपराधी अधिनियम लागू नहीं
गृह मंत्रालय ने कहा कि चूंकि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने अधिकार क्षेत्र में आदतन अपराधी अधिनियम लागू नहीं किया है और कई राज्यों के उपलब्ध आदतन अपराधी अधिनियमों में आदतन अपराधियों की परिभाषा की पड़ताल करने के बाद आदर्श जेल नियमावली, 2016 और आदर्श जेल एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 में 'आदतन अपराधी अधिनियम' की मौजूदा परिभाषा को बदलने का निर्णय लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिए निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने भी अपने आदेश में 'आदतन अपराधियों' के संबंध में निर्देश दिए थे और कहा था कि कारागार नियमावली एवं आदर्श कारागार नियमावली संबंधित राज्य विधानसभाओं द्वारा अधिनियमित कानून में 'आदतन अपराधियों' की परिभाषा के अनुसार होंगे। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि यदि राज्य में आदतन अपराधी कानून नहीं है, तो केंद्र और राज्य सरकारें तीन महीने की अवधि के भीतर अपने फैसले के अनुरूप नियमावली और नियमों में आवश्यक बदलाव करेंगी।
Trending Videos
'कैदियों के साथ जाति के आधार पर न हो भेदभाव'
इसमें कहा गया है, 'यह सख्ती से सुनिश्चित किया जाएगा कि जेलों में किसी भी ड्यूटी या काम के आवंटन में कैदियों के साथ उनकी जाति के आधार पर कोई भेदभाव न हो।' आदर्श कारागार एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 के 'विविध' में भी बदलाव किए गए हैं, जिसमें धारा 55(ए) के रूप में नया शीर्षक 'कारागार एवं सुधार संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव का निषेध' जोड़ा गया है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि 'हाथ से मैला उठाने वालों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013' के प्रावधानों का जेलों एवं सुधार संस्थानों में भी बाध्यकारी प्रभाव होगा। इसमें कहा गया है, 'जेल के अंदर हाथ से मैला उठाने या सीवर या सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई की अनुमति नहीं दी जाएगी।'
विज्ञापन
विज्ञापन
कई राज्यों में आदतन अपराधी अधिनियम लागू नहीं
गृह मंत्रालय ने कहा कि चूंकि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने अधिकार क्षेत्र में आदतन अपराधी अधिनियम लागू नहीं किया है और कई राज्यों के उपलब्ध आदतन अपराधी अधिनियमों में आदतन अपराधियों की परिभाषा की पड़ताल करने के बाद आदर्श जेल नियमावली, 2016 और आदर्श जेल एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 में 'आदतन अपराधी अधिनियम' की मौजूदा परिभाषा को बदलने का निर्णय लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिए निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने भी अपने आदेश में 'आदतन अपराधियों' के संबंध में निर्देश दिए थे और कहा था कि कारागार नियमावली एवं आदर्श कारागार नियमावली संबंधित राज्य विधानसभाओं द्वारा अधिनियमित कानून में 'आदतन अपराधियों' की परिभाषा के अनुसार होंगे। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि यदि राज्य में आदतन अपराधी कानून नहीं है, तो केंद्र और राज्य सरकारें तीन महीने की अवधि के भीतर अपने फैसले के अनुरूप नियमावली और नियमों में आवश्यक बदलाव करेंगी।