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India-Bangladesh: चीन-पाकिस्तान के करीब जा रहा बांग्लादेश भारत पर निर्भर, चिकित्सा-शिक्षा के लिए हम ही सहारा
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Mon, 30 Dec 2024 07:02 PM IST
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भारत-बांग्लादेश
- फोटो :
AMAR UJALA
विस्तार
बांग्लादेश पिछले कुछ समय से राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से हट गईं। इस हिंसा में अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके घरों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के मसले पर भारत ने चिंता जताई। उधर मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने हाल ही में भारत को किनारे कर पाकिस्तान और चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाई हैं। हालांकि, भारत बांग्लादेश के लिए ऐतिहासिक रूप से सहयोगी रहा है चाहे वह 1971 का युद्ध हो या देश में कोई दूसरा संकट। कोरोना के समय भी भारत ने पड़ोसी देश को स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी मदद मुहैया कराई थी।आइये जानते हैं कि बांग्लादेश किस तरह से भारत पर निर्भर है? दोनों देशों के बीच रिश्ते कैसे रहे हैं?भारत ने पड़ोसी देश को किस तरह से मदद दी है? कोरोना के समय भारत ने क्या-क्या किया? किन-किन क्षेत्रों में भारत बांग्लादेश के लिए मददगार साबित हुआ?
जून 2024 में भारत-बांग्लादेश के बीच ई-मेडिकल वीजा की शुरुआत हुई थी
- फोटो :
PMO INDIA
ई-मेडिकल वीजा की शुरुआत
दोनों देशों के संबंध बहुआयामी हैं, जिसमें चिकित्सा सहायता, शैक्षिक आदान-प्रदान और बांग्लादेशी नागरिकों को दी जाने वाली कई सुविधाएं शुमार हैं। चिकित्सा सहायता और स्वास्थ्य सेवा सहयोग दोनों देशों के बीच एक अहम कड़ी रही है। जून 2024 में भारत सरकार ने भारत में चिकित्सा उपचार चाहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए ई-मेडिकल वीजा सुविधा शुरू करने की घोषणा की थी। इस पहल का उद्देश्य रोगियों के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच एक बैठक के दौरान इस पहल की घोषणा की गई थी।
दोनों देशों के संबंध बहुआयामी हैं, जिसमें चिकित्सा सहायता, शैक्षिक आदान-प्रदान और बांग्लादेशी नागरिकों को दी जाने वाली कई सुविधाएं शुमार हैं। चिकित्सा सहायता और स्वास्थ्य सेवा सहयोग दोनों देशों के बीच एक अहम कड़ी रही है। जून 2024 में भारत सरकार ने भारत में चिकित्सा उपचार चाहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए ई-मेडिकल वीजा सुविधा शुरू करने की घोषणा की थी। इस पहल का उद्देश्य रोगियों के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच एक बैठक के दौरान इस पहल की घोषणा की गई थी।
उपचार (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो :
istock
उपचार के लिए भारत आते हैं लाखों बांग्लादेशी
बांग्लादेश भारत के चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र में एक अहम योगदानकर्ता है, जो कुल आमद का 50-60% है। प्रति वर्ष लगभग तीन से साढ़े तीन लाख बांग्लादेशी मरीज सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से चिकित्सा उपचार के लिए भारत आते हैं। हालांकि, बांग्लादेश में हाल ही में हुई राजनीतिक अशांति के कारण चिकित्सा उपचार के लिए भारत आने वाले रोगियों की संख्या में कमी आई है।
बांग्लादेश भारत के चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र में एक अहम योगदानकर्ता है, जो कुल आमद का 50-60% है। प्रति वर्ष लगभग तीन से साढ़े तीन लाख बांग्लादेशी मरीज सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से चिकित्सा उपचार के लिए भारत आते हैं। हालांकि, बांग्लादेश में हाल ही में हुई राजनीतिक अशांति के कारण चिकित्सा उपचार के लिए भारत आने वाले रोगियों की संख्या में कमी आई है।
छात्रवृत्ति (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो :
Freepik
शिक्षा में छात्रवृत्ति से लेकर वित्तीय सहायता तक
भारत बांग्लादेशी छात्रों को स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति मुहैया कराता है। हर साल 200 बांग्लादेशी छात्रों को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की छात्रवृत्ति मिलती है। इसमें आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में अवसर शामिल हैं।
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने सुबोर्नो जयंती छात्रवृत्ति और लता मंगेशकर नृत्य और संगीत छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत पूरी तरह से वित्तपोषित छात्रवृत्ति की घोषणा की थी। ये छात्रवृत्तियां मेधावी बांग्लादेशी छात्रों को चिकित्सा, पैरामेडिकल, फैशन, कानून और एकीकृत पाठ्यक्रमों को छोड़कर सरकारी विश्वविद्यालयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाती हैं। वहीं 2024 में लगभग 550 बांग्लादेशी छात्रों को भारत में कई शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए आईसीसीआर छात्रवृत्ति दी गई।
भारत बांग्लादेशी छात्रों को स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति मुहैया कराता है। हर साल 200 बांग्लादेशी छात्रों को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की छात्रवृत्ति मिलती है। इसमें आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में अवसर शामिल हैं।
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने सुबोर्नो जयंती छात्रवृत्ति और लता मंगेशकर नृत्य और संगीत छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत पूरी तरह से वित्तपोषित छात्रवृत्ति की घोषणा की थी। ये छात्रवृत्तियां मेधावी बांग्लादेशी छात्रों को चिकित्सा, पैरामेडिकल, फैशन, कानून और एकीकृत पाठ्यक्रमों को छोड़कर सरकारी विश्वविद्यालयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाती हैं। वहीं 2024 में लगभग 550 बांग्लादेशी छात्रों को भारत में कई शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए आईसीसीआर छात्रवृत्ति दी गई।
विश्वविद्यालयों की विशेष पहल
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) बांग्लादेशी छात्रों के लिए विशेष शैक्षिक कार्यक्रम और संसाधन मुहैया कराता है। इसमें वीजा प्रक्रिया में मदद और विश्व स्तरीय कैंपस सुविधाएं शुमार हैं।
पारुल विश्वविद्यालय स्व-वित्तपोषित अध्ययन योजना के जरिए छात्रवृत्ति प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य बांग्लादेशी छात्रों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना है।
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) बांग्लादेशी छात्रों के लिए विशेष शैक्षिक कार्यक्रम और संसाधन मुहैया कराता है। इसमें वीजा प्रक्रिया में मदद और विश्व स्तरीय कैंपस सुविधाएं शुमार हैं।
पारुल विश्वविद्यालय स्व-वित्तपोषित अध्ययन योजना के जरिए छात्रवृत्ति प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य बांग्लादेशी छात्रों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना है।
कोरोना के दौरान भारत ने बांग्लादेश की मदद की थी
- फोटो :
X/ihcdhaka
भारत द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं और सहायता
भारत ने बांग्लादेश को लगभग 7.862 बिलियन डॉलर की लाइन्स ऑफ क्रेडिट (एलओसी) दी है। इस तरह से बांग्लादेश भारत की एलओसी पहल के तहत सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बन गया है। यह वित्तीय मदद विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करती है। इसके तहत 2021 तक 43 में से 14 परियोजनाएं पूरी हो चुकी थीं।
भारत और बांग्लादेश ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग करते हैं, जिसमें बिजली व्यापार और बुनियादी ढांचा विकास शामिल है। भारतीय बिजली संयंत्रों से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति, दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा और सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते किए गए हैं।
दोनों देशों ने कनेक्टिविटी में सुधार के लिए परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि अंतर्देशीय जलमार्ग व्यापार और पारगमन (PIWTT) पर प्रोटोकॉल का संचालन और चटगांव और मोंगला बंदरगाहों के इस्तेमाल के लिए समझौते। ये पहल लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध सीमा पार आवाजाही की सुविधा मुहैया कराती हैं।
भारत ने बांग्लादेश को लगभग 7.862 बिलियन डॉलर की लाइन्स ऑफ क्रेडिट (एलओसी) दी है। इस तरह से बांग्लादेश भारत की एलओसी पहल के तहत सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बन गया है। यह वित्तीय मदद विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करती है। इसके तहत 2021 तक 43 में से 14 परियोजनाएं पूरी हो चुकी थीं।
भारत और बांग्लादेश ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग करते हैं, जिसमें बिजली व्यापार और बुनियादी ढांचा विकास शामिल है। भारतीय बिजली संयंत्रों से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति, दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा और सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते किए गए हैं।
दोनों देशों ने कनेक्टिविटी में सुधार के लिए परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि अंतर्देशीय जलमार्ग व्यापार और पारगमन (PIWTT) पर प्रोटोकॉल का संचालन और चटगांव और मोंगला बंदरगाहों के इस्तेमाल के लिए समझौते। ये पहल लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध सीमा पार आवाजाही की सुविधा मुहैया कराती हैं।
कोरोना के दौरान भारत ने बांग्लादेश की मदद की थी
- फोटो :
X/ihcdhaka
कोरोना महामारी के दौरान भारत ने ऐसे की थी मदद
2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत में भारत ने बांग्लादेश को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की थी। इसमें कोविड-19 टेस्ट किट, सर्जिकल मास्क, कैप और स्टेराइल सर्जिकल दस्ताने, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां शामिल हैं। इसके अलावा, भारत ने बांग्लादेशी स्वास्थ्य पेशेवरों को आवश्यक कौशल से लैस करने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल आयोजित किए।
2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत में भारत ने बांग्लादेश को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की थी। इसमें कोविड-19 टेस्ट किट, सर्जिकल मास्क, कैप और स्टेराइल सर्जिकल दस्ताने, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां शामिल हैं। इसके अलावा, भारत ने बांग्लादेशी स्वास्थ्य पेशेवरों को आवश्यक कौशल से लैस करने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल आयोजित किए।
कोरोना के दौरान भारत ने बांग्लादेश की मदद की थी
- फोटो :
X/ihcdhaka
चिकित्सा उपकरण और ऑक्सीजन संयंत्रों की आपूर्ति की थी
अगस्त 2021 में जब बांग्लादेश को महामारी के दौरान चिकित्सा आपूर्ति की भारी कमी का सामना करना पड़ा, तब भी भारत ने हर तरीके से मदद की थी। भारत की तरफ से मोबाइल ऑक्सीजन संयंत्र, चिकित्सा उपकरण जैसे ऑक्सीजन नेजल कैनुला, ऑक्सीजन फेस मास्क, ऑक्सीजन फ्लो मीटर, नॉन-रीब्रीथर मास्क, पल्स ऑक्सीमीटर, हाई-फ्लो नेजल कैनुला, मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर और इंफ्रारेड थर्मामीटर की आपूर्ति की गई थी। इन आपूर्तियों ने संकट के दौरान बांग्लादेश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे का समर्थन करने में अहम भूमिका निभाई।
भारत ने बांग्लादेश को अपनी आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया प्रणाली को मजबूत करने के लिए 109 लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस भी प्रदान की थीं। इसके अलावा, भारत ने दो चरण में कोरोना टीकों की आपूर्ति करके वैक्सीन कूटनीति दिखाई थी। पहले चरण में कोविशील्ड वैक्सीन की 33 लाख नखुराक दी गई थी। वहीं दूसरे चरण में कोविशील्ड वैक्सीन की 90 लाख से अधिक खुराक दी गई थी। कोविशील्ड वैक्सीन की 3 करोड़ खुराक की वाणिज्यिक खरीद की सुविधा के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता भी हुआ था। बांग्लादेश सरकार, बेक्सिमको फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (बांग्लादेश) और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के बीच यह त्रिपक्षीय समझौता हुआ था।
इससे पहले अप्रैल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान उन्होंने हर साल 100 मुक्तिजोधा (स्वतंत्रता सेनानियों) को भारतीय अस्पतालों में चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए एक विशेष चिकित्सा योजना की घोषणा की थी।
अगस्त 2021 में जब बांग्लादेश को महामारी के दौरान चिकित्सा आपूर्ति की भारी कमी का सामना करना पड़ा, तब भी भारत ने हर तरीके से मदद की थी। भारत की तरफ से मोबाइल ऑक्सीजन संयंत्र, चिकित्सा उपकरण जैसे ऑक्सीजन नेजल कैनुला, ऑक्सीजन फेस मास्क, ऑक्सीजन फ्लो मीटर, नॉन-रीब्रीथर मास्क, पल्स ऑक्सीमीटर, हाई-फ्लो नेजल कैनुला, मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर और इंफ्रारेड थर्मामीटर की आपूर्ति की गई थी। इन आपूर्तियों ने संकट के दौरान बांग्लादेश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे का समर्थन करने में अहम भूमिका निभाई।
भारत ने बांग्लादेश को अपनी आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया प्रणाली को मजबूत करने के लिए 109 लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस भी प्रदान की थीं। इसके अलावा, भारत ने दो चरण में कोरोना टीकों की आपूर्ति करके वैक्सीन कूटनीति दिखाई थी। पहले चरण में कोविशील्ड वैक्सीन की 33 लाख नखुराक दी गई थी। वहीं दूसरे चरण में कोविशील्ड वैक्सीन की 90 लाख से अधिक खुराक दी गई थी। कोविशील्ड वैक्सीन की 3 करोड़ खुराक की वाणिज्यिक खरीद की सुविधा के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता भी हुआ था। बांग्लादेश सरकार, बेक्सिमको फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (बांग्लादेश) और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के बीच यह त्रिपक्षीय समझौता हुआ था।
इससे पहले अप्रैल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान उन्होंने हर साल 100 मुक्तिजोधा (स्वतंत्रता सेनानियों) को भारतीय अस्पतालों में चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए एक विशेष चिकित्सा योजना की घोषणा की थी।