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IAF: वायुसेना प्रमुख ने थिएटराइजेशन योजना को लेकर किया आगाह, समन्वय केंद्र स्थापित करने का रखा प्रस्ताव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Tue, 26 Aug 2025 10:05 PM IST
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सार
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने मंगलवार को चेतावनी दी कि थिएटराइजेशन योजना को जल्दबाजी में लागू करना उचित नहीं होगा। इसकी जगह उन्होंने दिल्ली में संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र बनाने का सुझाव दिया है।

वायुसेना प्रमुख एपी सिंह
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने मंगलवार को थिएटराइजेशन योजना को जल्दबाजी में लागू करने के प्रति आगाह किया है। उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली में शीर्ष सैन्य अधिकारियों वाला एक संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।

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महू में मंगलवार को आर्मी वॉर कॉलेज में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही। वायुसेना प्रमुख ने संयुक्त योजना एवं समन्वय केंद्र में शीर्ष सैन्य अधिकारियों को शामिल करने का सुझाव दिया। इससे तीनों सेनाओं में तालमेल सुनिश्चित हो सके। उन्होंने प्रस्तावित थिएटर कमांड का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा ढांचे को बाधित करके नया ढांचा तैयार करना बहुत अच्छा विचार नहीं है। एयर चीफ मार्शल की यह बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के साढ़े तीन महीने बाद आई है। जिसमें तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के विभिन्न तत्वों को दर्शाया गया था।
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अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि इस ऑपरेशन ने एक बार फिर "वायु शक्ति की प्रधानता" को स्थापित किया है। उन्होंने 7 से 10 मई के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष में तीनों सेनाओं के बीच हुए समन्वय को भी रेखांकित किया। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने "ऑपरेशन सिंदूर" में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि जनरल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने मिलकर योजना बनाई और अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
'दिल्ली में बने संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र'
उन्होंने स्पष्ट कहा, मेरा व्यक्तिगत मानना है कि दिल्ली में एक संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र की ज़रूरत है। इसे चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अधीन रखा जा सकता है ताकि संयुक्त निर्देश जारी किया जा सकें। सीडीएस जनरल चौहान की मौजूदगी में वायुसेना प्रमुख ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर बनाई गई योजनाओं को विकेन्द्रित ढांचे में लागू किया जा सकता है और यह सबसे अच्छा तरीका होगा। थिएटर कमांड के प्रस्ताव पर सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हम पहले इसे लागू करके देख सकते हैं। यदि आगे और किसी ढांचे की ज़रूरत पड़ी तो उस पर विचार कर सकते हैं। लेकिन अभी सब कुछ बाधित कर केवल एक ही ढांचा बना देना सही विचार नहीं है। भारत को थिएटर कमांड्स लागू करने में अमेरिका जैसे किसी अन्य देश से प्रेरित नहीं होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी दबाव में आकर इसे तुरंत लागू करने की ज़रूरत नहीं है। “हम अपनी स्थिति स्पष्ट रख सकते हैं और चीज़ों पर चर्चा कर सकते हैं। युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भविष्य के युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
वायुसेना प्रमुख ने भविष्य के युद्धों की तैयारी पर जोर देते हुए कहा कि आपका एक थिएटर कमांडर कहीं बैठा हो और उसे यह भी स्पष्ट न हो कि निर्देश कहां से मिलेंगे तो यह व्यवस्था काम नहीं करेगी। मुझे लगता है कि उच्च स्तर पर संयुक्त योजना और समन्वय ही आवश्यक है। यदि निर्देश वहीं से जाएंगे तो चीजे बेहतर तरीके से काम करेंगी। नीचे के स्तर पर किसी नए ढांचे की आवश्यकता नहीं है।
सरकार की थिएटराइजेशन योजना का उद्देश्य थलसेना, नौसेना और वायुसेना की क्षमताओं को एकीकृत कर संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है। इस मॉडल के तहत प्रत्येक थिएटर कमांड में तीनों सेनाओं की इकाइयाँ होंगी और वे मिलकर किसी विशिष्ट क्षेत्र की सुरक्षा जिम्मेदारी संभालेंगी। फिलहाल, तीनों सेनाओं के अपने-अपने अलग कमांड ढाँचे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एपी सिंह ने कहा कि, इस मिशन के दौरान वायु शक्ति की प्रधानता सामने आई है। हम इस तथ्य से मुंह नहीं मोड़ सकते कि आज के समय में वायु शक्ति का आक्रामक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए। चाहे युद्ध आज का हो या कल का, वायु शक्ति की प्रासंगिकता बढ़ती रहेगी।
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