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सीमा पर तनाव के बीच वायुसेना प्रमुख भदौरिया बोले- 'राफेल से चीनी खेमे में खलबली'
एजेंसी, बंगलूरू
Published by: दीप्ति मिश्रा
Updated Fri, 05 Feb 2021 02:48 AM IST
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एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया
- फोटो : ANI
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वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध को देखते हुए सीमा पर सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती की गई है।
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उन्होंने कहा कि राफेल की तैनाती के बाद से चीनी खेमे में खलबली है क्योंकि फ्रांसीसी लड़ाकू विमान के वायुसेना में शामिल होने के तुरंत बाद ही चीन ने पूर्वी लद्दाख के नजदीक अपनी सीमा पर जे-20 लड़ाकू विमान तैनात कर दिया था।
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उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न हालात को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। जितने सुरक्षा बलों की जरूरत है, हमने वहां तैनाती की है और बाकी सब कुछ वार्ता की प्रगति पर निर्भर करता है। हमारी तरफ से बातचीत पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। अगर पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू होती है तो यह अच्छा होगा, लेकिन अगर कोई नए हालात उत्पन्न होते हैं तो हम उसके लिए भी पूरी तरह तैयार हैं।
पूर्वी लद्दाख में चीनी पक्ष के पीछे हटने की खबरों पर उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष की ओर से हवा में तैनाती के दृष्टिकोण से कुछ कमी आई है लेकिन कुछ अन्य कार्रवाई भी हुई है। इसमें हवाई सुरक्षा क्षमता को मजबूत करना भी शामिल है। इन मोर्चों पर कोई कमी नहीं आई है और इन्हें मजबूत किया गया है। इसे देखते हुए हमने भी अपनी तैनाती बढ़ाई है और मजबूत की है। उन्होंने कहा कि हल्के लड़ाकू विमान तेजस से वायुसेना की स्क्वॉड्रन और मजबूत होगी। अब हम 30 स्क्वॉड्रन की ओर बढ़ रहे हैं। इससे हमारी ताकत में इजाफा होगा।
पूंजीगत खर्च में 20000 करोड़ की बढ़ोतरी बड़ा कदम
उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी के असर को देखते हुए पूंजीगत खर्च में 20,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी सरकार का बड़ा कदम है। पिछले साल भी इतना ही अतिरिक्त फंड मुहैया कराया गया था। इससे तीनों सेनाओं को काफी मदद मिली। उन्होंने कहा कि यह हमारी क्षमता निर्माण के लिए पर्याप्त है।
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब आम बजट में सुरक्षा बलों को पिछली बार की तुलना में 7.4 फीसदी अधिक रकम मुहैया कराई गई है। इस बार रक्षा क्षेत्र को 3.62 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें पेंशन की रकम शामिल नहीं है। साथ ही नए हथियारों की खरीद के लिए पिछली बार की तुलना में 18 फीसदी अधिक रकम दी गई है। पिछली बार यह 1.13 लाख करोड़ रुपये थी जबकि इस बार 1.35 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं।