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Laser weapon system: भारत ने पहली बार दुनिया को दिखाया अपना लेजर हथियार, पलभर में मार गिराएगा दुश्मन के ड्रोन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कुरनूल Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sun, 13 Apr 2025 05:19 PM IST
सार

भारत ने पहली बार 30 किलोवाट लेजर आधारित हथियार प्रणाली की क्षमता का प्रयोग करके फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वार्म ड्रोन को मार गिराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। ऐसा करके भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथा देश बन गया है। अब दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराना आसान होगा। 

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India has showcased its capability to shoot down fixed-wing aircraft, missiles and swarm drones
लेजर हथियार प्रणाली से ड्रोन मिसाइल को मार गिराने की भारत ने दिखाई ताकत - फोटो : वीडियो ग्रैब/एएनआई
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विस्तार
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भारत ने अब लेजर हथियार प्रणाली से दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता हासिल कर ली है। डीआरडीओ की तरफ से पहली बार इस 30 किलोवाट लेजर आधारित हथियार प्रणाली की क्षमता का प्रदर्शन किया गया। इस प्रणाली का उपयोग करके फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वार्म ड्रोन को निशाना बनाया गया। ऐसा करके भारत अमेरिका, चीन और रूस सहित उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने ऐसी क्षमता दिखाई है। 

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने बताया कि एमके-II(ए) लेजर-डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (डीईडब्ल्यू) प्रणाली का सफल परीक्षण राष्ट्रीय ओपन एयर रेंज (एनओएआर), कुरनूल में प्रदर्शित किया गया, जिसमें मिसाइलों, ड्रोन और छोटे प्रोजेक्टाइल को निष्क्रिय करने की तकनीक में महारत हासिल है। उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार, हमसे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने लेजर हथियार प्रणाली का प्रदर्शन किया है। इस्राइल भी इसी तरह की क्षमताओं पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस प्रणाली का प्रदर्शन करने वाले दुनिया के चौथे या पांचवें देश हैं।
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डीआरडीओ कई तकनीकों पर कर रहा काम: डॉ. कामत
डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. कामत ने आगे कहा कि यह सिर्फ एक शुरुआत है। डीआरडीओ कई तकनीकों पर काम कर रहा है, जो हमें स्टार वार्स क्षमता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, 'इस सफलता में कई डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, उद्योग और शैक्षिणक संस्थानों ने मिलकर काम किया है। मुझे यकीन है कि हम जल्द ही अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम अभी और भी ताकतवर तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इनमें उच्च ऊर्जा माइक्रोवेव, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स जैसी अन्य उच्च ऊर्जा प्रणालियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें हमें स्टार वार्स जैसी क्षमता प्रदान करेंगी। आज जो आपने देखा, वह स्टार वार्स तकनीकों की दिशा में एक छोटा, लेकिन अहम कदम है। 

2035 तक तैयार होगा पहला 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ विमान

भारत के पहले 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के बारे में पूछे जाने पर डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. कामत ने कहा कि एक नया प्लेटफॉर्म विकसित करने में 10 से 15 साल लग जाते हैं। सीसीएस से परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद, हमने यह यात्रा 2024 में ही शुरू की है। इसलिए हम 2035 का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। 

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AERO इंजन भी बनाएगा डीआरडीओ: अध्यक्ष
डीआरडीओ अध्यक्ष ने आगे कहा कि हम एक AERO इंजन प्रोजेक्ट पर भी शुरू करना चाहते हैं। यह तकनीक बहुत जटिल है। इसलिए हम जोखिमों को कम करने के लिए एक विदेशी कंपनी OEM के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चौथी पीढ़ी के इंजन कावेरी से हमने बहुत कुछ सीखा है, लेकिन वर्तमान में इंजन तकनीक छठी पीढ़ी में चली गई है। इसलिए जोखिमों को कम करने के लिए डीआरडीओ विदेशी कंपनी के साथ काम करना चाहता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले कुछ महीनों में इस बारे में कुछ अच्छी खबर मिलेगी। 

डीआईडब्ल्यू सिस्टम के प्रदर्शन के दौरान ये रहे मौजूद
डीईडब्ल्यू सिस्टम के आज के प्रदर्शन को डीडीआरएंडडी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने देखा। उन्होंने डीआरडीओ टीम को बधाई दी और कहा कि सेवाओं में डीईडब्ल्यू एमके-II (ए) को शामिल करने से उनकी स्तरित वायु रक्षा क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। परीक्षण के दौरान महानिदेशक (ईसीएस) के साथ-साथ डीआरडीओ लैब्स के निदेशक और अधिकारी भी मौजूद थे।

एमके-II(ए) डीआईडब्ल्यू प्रणाली की ये हैं खूबियां
  • यह लेजर हथियार 360 डिग्री सेंसर से लैस है, जो किसी भी दिशा में सटीक निशाना लगाने में सक्षम है।
  • इसे हवाई जहाज, ट्रेन, सड़क या समुद्र के रास्ते तुरंत तैनात किया जा सकता है। 
  • इसका डिजाइन इतना लचीला है कि इसे अलग-अलग सैन्य जरूरतों के लिए ढाला जा सकता है।
  • पांच किलोमीटर की दूरी तक ड्रोन, हेलीकॉप्टर और मिसाइल जैसे हवाई खतरों को पलभर में नष्ट कर सकता है।
  • यह दुश्मन के कम्युनिकेशन और सैटेलाइट सिग्नल को जाम कर सकता है।

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