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Akash-NG: भारत को मिली शक्तिशाली मिसाइल आकाश-एनजी, 60 किमी मारक क्षमता, 96% स्वदेशी सामग्री से निर्मित
आशुतोष भाटिया
Published by: लव गौर
Updated Thu, 25 Dec 2025 07:13 AM IST
सार
ध्वनि की गति से ढाई गुना अधिक रफ्तार से काम करने वाली इस मिसाइल प्रणाली की मारक क्षमता लगभग 60 किलोमीटर है। यह उन्नत संस्करण भारत की उत्तर और पश्चिम सीमाओं पर आधुनिक हवाई खतरों के खिलाफ एक शक्तिशाली कवच प्रदान करता है। आकाश-एनजी दुश्मन के स्टील्थ फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल और ड्रोन जैसे लो राडार क्रॉस सेक्शन वाले खतरों को सटीक निशाना बना सकता है।
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भारत को मिली शक्तिशाली मिसाइल आकाश-एनजी
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
भारत के उन्नत आकाश-एनजी मिसाइल के उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षण पूरे हो गए हैं। इसके साथ ही इसके सेना और वायुसेना में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। जानकारों की राय में नई पीढ़ी की सतह से हवा में वार करने वाली यह मिसाइल प्रणाली दक्षिण एशिया में सुरक्षा समीकरण बदलने की क्षमता रखती है। आकाश-एनजी प्रणाली तेज गति से आने वाले हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है।
ध्वनि की गति से ढाई गुना अधिक रफ्तार से काम करने वाली इस मिसाइल प्रणाली की मारक क्षमता लगभग 60 किलोमीटर है। यह उन्नत संस्करण भारत की उत्तर और पश्चिम सीमाओं पर आधुनिक हवाई खतरों के खिलाफ एक शक्तिशाली कवच प्रदान करता है। आकाश-एनजी दुश्मन के स्टील्थ फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल और ड्रोन जैसे लो राडार क्रॉस सेक्शन वाले खतरों को सटीक निशाना बना सकता है।
2026 में होगी शामिल
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परीक्षणों के दौरान आकाश एनजी मिसाइलों ने कम ऊंचाई व लंबी दूरी और अधिक ऊंचाई वाली परिस्तिथियों में हवाई लक्ष्यों को अत्यंत सटीकता के साथ सफलतापूर्वक भेदा। परीक्षणों के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ वायुसेना के अधिकारी भी मौजूद रहे। डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने कहा कि इस सफल परीक्षण से आकाश-एनजी को सेनाओं में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। सूत्रों के मुताबिक अगले वर्ष तक यह मिसाइल प्रणाली वायुसेना में शामिल हो पाएगी।
अन्य प्रणालियों से एकीकरण
लगभग 96 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री वाली यह प्रणाली विदेशी हथियारों पर देश की निर्भरता कम करती है। आकाश एनजी को आधुनिक कमान-नियंत्रण नेटवर्कों के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे यह अन्य रक्षा प्रणालियों के साथ एकीकृत रूप से कार्य कर सकती है। यानी सेनाओं के लिए अब किसी भी हवाई दुस्साहस का जवाब देना कहीं आसान हो गया है।
ये भी पढ़ें: 'समुद्र प्रताप': भारतीय तटरक्षक बल को मिला पहला स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत, आधुनिक तकनीक से लैस
दूसरों पर कम होगी निर्भरता
पूर्व वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने कहा कि आधुनिक युद्धों में बेहतर एयर डिफेंस क्षमताएं होना बहुत महत्वपूर्ण है। ऑपेरशन सिंदूर में दुश्मन इसलिए नुकसान नहीं पहुंचा पाया क्योंकि हमारा एयर डिफेंस अच्छा था। आकाश एनजी की रेंज और प्रभावशालिता काफी अच्छी है। स्वदेश में ही एयर डिफेंस क्षमता विकसित करने से दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वहीं जाने माने रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि आकाश एनजी जैसी क्विक रिएक्शन मिसाइल से हमारी वायु रक्षा प्रणाली बहुत मजबूत हो जाएगी। इससे एक लीक प्रूफ अम्ब्रेला बन जाएगा और अब भारत दुश्मन द्वारा फायर की गई 90 प्रतिशत से भी ज़्यादा मिसाइलों को रोक पाने में सक्षम होगा। आकाश एनजी रूस, अमेरिका और समूचे यूरोप में इस श्रेणी की अन्य प्रणालियों की तुलना में बहुत सस्ता है।
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ध्वनि की गति से ढाई गुना अधिक रफ्तार से काम करने वाली इस मिसाइल प्रणाली की मारक क्षमता लगभग 60 किलोमीटर है। यह उन्नत संस्करण भारत की उत्तर और पश्चिम सीमाओं पर आधुनिक हवाई खतरों के खिलाफ एक शक्तिशाली कवच प्रदान करता है। आकाश-एनजी दुश्मन के स्टील्थ फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल और ड्रोन जैसे लो राडार क्रॉस सेक्शन वाले खतरों को सटीक निशाना बना सकता है।
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2026 में होगी शामिल
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परीक्षणों के दौरान आकाश एनजी मिसाइलों ने कम ऊंचाई व लंबी दूरी और अधिक ऊंचाई वाली परिस्तिथियों में हवाई लक्ष्यों को अत्यंत सटीकता के साथ सफलतापूर्वक भेदा। परीक्षणों के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ वायुसेना के अधिकारी भी मौजूद रहे। डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने कहा कि इस सफल परीक्षण से आकाश-एनजी को सेनाओं में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। सूत्रों के मुताबिक अगले वर्ष तक यह मिसाइल प्रणाली वायुसेना में शामिल हो पाएगी।
अन्य प्रणालियों से एकीकरण
लगभग 96 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री वाली यह प्रणाली विदेशी हथियारों पर देश की निर्भरता कम करती है। आकाश एनजी को आधुनिक कमान-नियंत्रण नेटवर्कों के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे यह अन्य रक्षा प्रणालियों के साथ एकीकृत रूप से कार्य कर सकती है। यानी सेनाओं के लिए अब किसी भी हवाई दुस्साहस का जवाब देना कहीं आसान हो गया है।
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दूसरों पर कम होगी निर्भरता
पूर्व वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने कहा कि आधुनिक युद्धों में बेहतर एयर डिफेंस क्षमताएं होना बहुत महत्वपूर्ण है। ऑपेरशन सिंदूर में दुश्मन इसलिए नुकसान नहीं पहुंचा पाया क्योंकि हमारा एयर डिफेंस अच्छा था। आकाश एनजी की रेंज और प्रभावशालिता काफी अच्छी है। स्वदेश में ही एयर डिफेंस क्षमता विकसित करने से दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वहीं जाने माने रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि आकाश एनजी जैसी क्विक रिएक्शन मिसाइल से हमारी वायु रक्षा प्रणाली बहुत मजबूत हो जाएगी। इससे एक लीक प्रूफ अम्ब्रेला बन जाएगा और अब भारत दुश्मन द्वारा फायर की गई 90 प्रतिशत से भी ज़्यादा मिसाइलों को रोक पाने में सक्षम होगा। आकाश एनजी रूस, अमेरिका और समूचे यूरोप में इस श्रेणी की अन्य प्रणालियों की तुलना में बहुत सस्ता है।