{"_id":"68864544bf1b3a308500fb5f","slug":"india-s-direct-tax-collections-double-as-incomes-rise-compliance-grows-2025-07-27","type":"story","status":"publish","title_hn":"Tax Collection: पांच वर्षों में दोगुना हुआ प्रत्यक्ष कर संग्रह, ITR दाखिल करने वालों की संख्या में 36% इजाफा","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Tax Collection: पांच वर्षों में दोगुना हुआ प्रत्यक्ष कर संग्रह, ITR दाखिल करने वालों की संख्या में 36% इजाफा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Sun, 27 Jul 2025 08:57 PM IST
सार
Tax Collection: भारत में पिछले पांच वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रह दोगुना हो गया है, जिसका कारण आर्थिक विकास, कर अनुपालन में सुधार और डिजिटल तकनीक का उपयोग है। आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 6.72 करोड़ से बढ़कर 9.19 करोड़ हो गई है।
विज्ञापन
आयकर
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
भारत में प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले पांच वर्षों में दोगुना हो गया है। इसका मुख्य कारण देश का आर्थिक विकास, कर अनुपालन में सुधार और डिजिटल तकनीक का उपयोग है। पिछले पांच वर्षों में आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने वालों की संख्या में 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 में जहां 6.72 करोड़ आईटीआर दाखिल किए गए थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर लगभग 9.19 करोड़ तक पहुंच गई है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में कुल सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.31 लाख करोड़ रुपये था। यह 2021-22 में बढ़कर 16.34 लाख करोड़ हो गया। इसके बाद यह 2022-23 में 19.72 लाख करोड़ रुपये और 2023-24 में 23.38 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 2024-25 में यह बढ़कर 27.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह बढ़ोतरी आर्थिक सुधार और कर वसूली की बेहतर व्यवस्था का नतीजा है। सरकार ने कर आधार बढ़ाने के लिए कई डिजिटल कदम उठाए हैं।
ये भी पढ़ें: टीसीएस में बड़े स्तर पर छंटनी की तैयारी, 12000 से ज्यादा कर्मचारियों की जाएगी नौकरी
देश में कर प्रणाली में समय के साथ तकनीकी बदलाव लाए गए हैं। 1995 में पैन नंबर की शुरुआत हुई, जिससे करदाताओं की पहचान आसान हुई और कर आधार का विस्तार हुआ। 2009 में केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) और 2012 में ट्रेसेस प्रणाली शुरू हुआ, जिससे आईटीआर प्रक्रिया, रिफंड जारी करने और टीडीएस में गड़बड़ियों को सुधारने में मदद मिली। 2017 में पैन को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू हुई, ताकि फर्जी पहचान और दोहराव रोका जा सके।
टीआईएन 2.0 नाम की नई कर भुगतान प्रणाली शुरू की गई, जिसमें रियल-टाइम टैक्स क्रेडिट, कई भुगतान विकल्प और तेज रिफंड की सुविधा दी गई है। इससे करदाताओं को ज्यादा सुविधा मिली है। मैसूर में 'डिमांड फैसिलिटेशन सेंटर' की स्थापना की गई, जहां बकाया कर की पूरी जानकारी एक जगह उपलब्ध होती है, जिससे करदाता और विभागीय अधिकारी दोनों को सुविधा होती है।
ये भी पढ़ें: रिलायंस समेत टॉप-10 में से छह कंपनियों की मार्केट वैल्यू में करोड़ों की गिरावट, निवेशकों को झटका
बीते दशक में आयकर विभाग ने 'प्रोजेक्ट इनसाइट' शुरू किया, जो डाटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके हर करदाताओं की 360 डिग्री प्रोफाइल बनाता है। इससे कर अनुपालन बढ़ाने और कर आधार का विस्तार करने में मदद मिली है। 2019 में शुरू हुई 'फेसलेस असेसमेंट स्कीम' ने कर अधिकारी और करदाता के बीच फिजिकल इंटरफेस को खत्म कर दिया। यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शिता, कुशलता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
Trending Videos
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में कुल सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.31 लाख करोड़ रुपये था। यह 2021-22 में बढ़कर 16.34 लाख करोड़ हो गया। इसके बाद यह 2022-23 में 19.72 लाख करोड़ रुपये और 2023-24 में 23.38 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 2024-25 में यह बढ़कर 27.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह बढ़ोतरी आर्थिक सुधार और कर वसूली की बेहतर व्यवस्था का नतीजा है। सरकार ने कर आधार बढ़ाने के लिए कई डिजिटल कदम उठाए हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
ये भी पढ़ें: टीसीएस में बड़े स्तर पर छंटनी की तैयारी, 12000 से ज्यादा कर्मचारियों की जाएगी नौकरी
देश में कर प्रणाली में समय के साथ तकनीकी बदलाव लाए गए हैं। 1995 में पैन नंबर की शुरुआत हुई, जिससे करदाताओं की पहचान आसान हुई और कर आधार का विस्तार हुआ। 2009 में केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) और 2012 में ट्रेसेस प्रणाली शुरू हुआ, जिससे आईटीआर प्रक्रिया, रिफंड जारी करने और टीडीएस में गड़बड़ियों को सुधारने में मदद मिली। 2017 में पैन को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू हुई, ताकि फर्जी पहचान और दोहराव रोका जा सके।
टीआईएन 2.0 नाम की नई कर भुगतान प्रणाली शुरू की गई, जिसमें रियल-टाइम टैक्स क्रेडिट, कई भुगतान विकल्प और तेज रिफंड की सुविधा दी गई है। इससे करदाताओं को ज्यादा सुविधा मिली है। मैसूर में 'डिमांड फैसिलिटेशन सेंटर' की स्थापना की गई, जहां बकाया कर की पूरी जानकारी एक जगह उपलब्ध होती है, जिससे करदाता और विभागीय अधिकारी दोनों को सुविधा होती है।
ये भी पढ़ें: रिलायंस समेत टॉप-10 में से छह कंपनियों की मार्केट वैल्यू में करोड़ों की गिरावट, निवेशकों को झटका
बीते दशक में आयकर विभाग ने 'प्रोजेक्ट इनसाइट' शुरू किया, जो डाटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके हर करदाताओं की 360 डिग्री प्रोफाइल बनाता है। इससे कर अनुपालन बढ़ाने और कर आधार का विस्तार करने में मदद मिली है। 2019 में शुरू हुई 'फेसलेस असेसमेंट स्कीम' ने कर अधिकारी और करदाता के बीच फिजिकल इंटरफेस को खत्म कर दिया। यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शिता, कुशलता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।