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Army: बैक्ट्रियन ऊंट, शिकारी पक्षी..., गणतंत्र दिवस 2026 की परेड में सेना के 'मूक योद्धा' भी करेंगे मार्च
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Wed, 31 Dec 2025 02:26 PM IST
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सार
गणतंत्र दिवस 2026 की परेड इस बार खास होने वाली है। दरअसल इस बार पहली बार भारतीय सेना के मूक योद्धा भी परेड में शामिल होंगे। इन मूक योद्धाओं की प्रैक्टिस का वीडियो सामने आया है।
भारतीय सेना की मार्च
- फोटो : एएनआई/ वीडियो ग्रैब इमेज
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विस्तार
गणतंत्र दिवस 2026 की परेड के लिए भारतीय सेना के मार्चिंग दस्ते तैयारियों में लगे हैं। गौरतलब है कि इस बार की परेड में सेना के 'मूक योद्धा' भी कर्तव्य पथ पर मार्च करेंगे। सेना के मूक योद्धाओं में बैक्ट्रयिन ऊंट, घोड़े, शिकारी पक्षी और भारतीय नस्ल के कुत्ते शामिल हैं। इसे लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। बुधवार को सेना के जवानों ने फुल ड्रेस में मूक योद्धाओं के साथ कर्तव्य पथ पर परेड की प्रैक्टिस की।
पहली बार कर्तव्य पथ पर परेड करेंगे मूक योद्धा
भारतीय सेना के मूक योद्धा पहली बार इतने बड़े और संगठित रूप से कर्तव्य पथ पर परेड करेंगे। इस विशेष दस्ते में दो बैक्ट्रियन ऊंट, चार जांस्कर पोनी, चार शिकारी पक्षी (रैप्टर्स), भारतीय नस्ल के 10 सेना के कुत्ते और सेना में पहले से काम कर रहे 6 पारंपरिक सैन्य कुत्ते शामिल होंगे।
क्यों खास हैं ये मूक योद्धा
प्रैक्टिस में देखने को मिला कि सेना के मूक योद्धाओं के इस दस्ते की अगुवाई बैक्ट्रियन ऊंट करेंगे। इन खास ऊंटों को लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में तैनात किया गया है। इन ऊंटों की खास बात ये है कि ये बेहद ठंडे इलाकों और ऊंचाई पर आसानी से काम कर सकते हैं। इन ऊंटों की मदद से सेना को दूरदराज के इलाकों में भी काम करने में आसानी होती है।
दस्ते में लद्दाख के स्वदेशी नस्ल जांस्कर पोनी के चार स्वदेशी घोड़े भी शामिल हैं। ये घोड़े आकार में थोड़े छोटे होते हैं, लेकिन इनमें गजब की ताकत होती है। ये भी बेहद ठंडे और ऊंचाई वाले इलाकों में काम करने में माहिर होते हैं। सियाचिन जैसे बेहद मुश्किल इलाकों में ये घोड़े अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सेना में स्वदेशी नस्ल के कुत्तों को किया जा रहा शामिल
मूक योद्धाओं के दस्ते में चार शिकारी पक्षी भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल हवाई निगरानी और हवाई सुरक्षा से जुड़े कामों में किया जाता है। सेना में कुत्तों की अहमियत तो लंबे समय से रही है और अब भारतीय नस्ल के कुत्तों को बड़े स्तर पर सेना में शामिल किया जा रहा है। इनमें मुधोल हाउंड, रामपुर हाउंड, चिप्पीराई, कोम्बई और राजापलायम जैसी भारतीय नस्लों के कुत्तों को शामिल किया गया है। ये आतंकवाद विरोधी अभियानों, विस्फोटक और बारूदी सुरंगों की पहचान, खोज-बचाव कार्यों और आपदा राहत में सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं।
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पहली बार कर्तव्य पथ पर परेड करेंगे मूक योद्धा
भारतीय सेना के मूक योद्धा पहली बार इतने बड़े और संगठित रूप से कर्तव्य पथ पर परेड करेंगे। इस विशेष दस्ते में दो बैक्ट्रियन ऊंट, चार जांस्कर पोनी, चार शिकारी पक्षी (रैप्टर्स), भारतीय नस्ल के 10 सेना के कुत्ते और सेना में पहले से काम कर रहे 6 पारंपरिक सैन्य कुत्ते शामिल होंगे।
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क्यों खास हैं ये मूक योद्धा
प्रैक्टिस में देखने को मिला कि सेना के मूक योद्धाओं के इस दस्ते की अगुवाई बैक्ट्रियन ऊंट करेंगे। इन खास ऊंटों को लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में तैनात किया गया है। इन ऊंटों की खास बात ये है कि ये बेहद ठंडे इलाकों और ऊंचाई पर आसानी से काम कर सकते हैं। इन ऊंटों की मदद से सेना को दूरदराज के इलाकों में भी काम करने में आसानी होती है।
दस्ते में लद्दाख के स्वदेशी नस्ल जांस्कर पोनी के चार स्वदेशी घोड़े भी शामिल हैं। ये घोड़े आकार में थोड़े छोटे होते हैं, लेकिन इनमें गजब की ताकत होती है। ये भी बेहद ठंडे और ऊंचाई वाले इलाकों में काम करने में माहिर होते हैं। सियाचिन जैसे बेहद मुश्किल इलाकों में ये घोड़े अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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सेना में स्वदेशी नस्ल के कुत्तों को किया जा रहा शामिल
मूक योद्धाओं के दस्ते में चार शिकारी पक्षी भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल हवाई निगरानी और हवाई सुरक्षा से जुड़े कामों में किया जाता है। सेना में कुत्तों की अहमियत तो लंबे समय से रही है और अब भारतीय नस्ल के कुत्तों को बड़े स्तर पर सेना में शामिल किया जा रहा है। इनमें मुधोल हाउंड, रामपुर हाउंड, चिप्पीराई, कोम्बई और राजापलायम जैसी भारतीय नस्लों के कुत्तों को शामिल किया गया है। ये आतंकवाद विरोधी अभियानों, विस्फोटक और बारूदी सुरंगों की पहचान, खोज-बचाव कार्यों और आपदा राहत में सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं।
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