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ISRO: एलवीएम3-एम6 की ऐतिहासिक सफलता से गगनयान मिशन को मिली नई ताकत, इसरो प्रमुख बोले– भरोसा और मजबूत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) Published by: शिवम गर्ग Updated Wed, 24 Dec 2025 02:00 PM IST
सार

एलवीएम3-एम6 मिशन की सफलता से भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान को बड़ा भरोसा मिला है। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने लॉन्च को ऐतिहासिक बताते हुए इसकी सटीकता और विश्वसनीयता की सराहना की।

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ISRO Chief V. Narayanan Says LVM3-M6 Success Boosts Confidence in Gaganyaan Programme
वी. नारायणन, इसरो प्रमुख - फोटो : PTI
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एलवीएम3-एम6 मिशन की शानदार सफलता ने भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के प्रति भरोसे को और मजबूत कर दिया है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि लगातार नौ सफल एलवीएम3 लॉन्च ने यह साबित कर दिया है कि भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है।

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बुधवार को एलवीएम3-एम6 रॉकेट के जरिए ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया गया। इस मिशन को खास बताते हुए नारायणन ने कहा कि एलवीएम3 वही मानव-रेटेड लॉन्च व्हीकल है, जिसे गगनयान मिशन के लिए चुना गया है। ऐसे में इसकी निरंतर सफलता बेहद अहम है।
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अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट भारत की धरती से लॉन्च
उन्होंने बताया कि इस मिशन में सैटेलाइट को बेहद सटीकता के साथ तय कक्षा में पहुंचाया गया। लक्ष्य 520 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा था, जबकि सैटेलाइट को 518.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया, जो अब तक भारतीय लॉन्चरों की सबसे बेहतरीन सटीकता मानी जा रही है। इस मिशन की एक और बड़ी उपलब्धि यह रही कि यह भारत की धरती से लॉन्च किया गया अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट था। करीब 5,908 किलोग्राम वजनी इस सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाकर इसरो ने एक नया कीर्तिमान रचा। यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 8:55 बजे हुई। यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और अमेरिका की AST स्पेसमोबाइल के बीच हुए कॉमर्शियल समझौते का हिस्सा है। 

नारायणन ने बताया कि एलवीएम3 रॉकेट ने इस मिशन में 100 प्रतिशत विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया। साथ ही पहली बार एस200 सॉलिड मोटर कंट्रोल सिस्टम में एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया। पहले जहां इलेक्ट्रो-हाइड्रो एक्ट्यूएटर का उपयोग होता था, वहीं अब स्वदेशी रूप से विकसित शक्तिशाली इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर लगाया गया है, जिससे रॉकेट की पेलोड क्षमता लगभग 150 किलोग्राम तक बढ़ गई है।

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