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Justice Manmohan: 'अवैध व्यापार अर्थव्यवस्था के लिए खतरा', जस्टिस मनमोहन बोले- देश की सुरक्षा के लिए भी संकट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Fri, 19 Sep 2025 07:52 PM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनमोहन ने चेताया कि गैरकानूनी और नकली व्यापार देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार और सुरक्षा पर गंभीर असर डाल रहा है। इससे न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि नकली दवाओं से जान का खतरा, उद्योगों का शोषण और आतंकवाद को फंडिंग जैसी समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।
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सुप्रीम कोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनमोहन ने कहा है कि अवैध और नकली व्यापार देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार, उद्योग और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। उन्होंने चेताया कि यह व्यापार न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि बेरोजगारी, नवाचार की चोरी और आपराधिक गिरोहों के विस्तार को भी बढ़ावा दे रहा है। इसके चलते समाज और सुरक्षा पर गहरे खतरे मंडरा रहे हैं।
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अब हमारे पास अवैध व्यापार का अनुमान उपलब्ध है। कुछ आंकड़ों के अनुसार, यह हर साल तीन ट्रिलियन डॉलर का अवैध कारोबार करता है। इसका सीधा असर देश की आमदनी और रोजगार पर पड़ रहा है। लाखों लोगों की नौकरियां खत्म हो रही हैं और उद्योगों की नवाचार क्षमता का दुरुपयोग हो रहा है।
नकली दवाओं से जान को खतरा
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई बीमार व्यक्ति नकली दवा खाता है, तो उसके ठीक होने की बजाय हालत और बिगड़ सकती है। यह स्थिति सीधे तौर पर लोगों की जान को खतरे में डालती है। नकली और तस्करी किए गए सामान पर सरकार को टैक्स नहीं मिलता और उपभोक्ता को कोई वारंटी या सुरक्षा भी नहीं मिलती। ऐसे में अगर नुकसान होता है तो लोग पूरी तरह असहाय हो जाते हैं।
ये भी पढ़ें- यूएस में भारतीय की मौत से कनाडा में खालिस्तानी धमकी तक..., विदेश मंत्रालय ने कई मुद्दों पर दी प्रतिक्रिया
कानून और नागरिक समाज की भूमिका
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अवैध व्यापार को रोकने के लिए नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा। भारत में सुरक्षा और मानक तय करने के लिए कई कानून पहले से मौजूद हैं। जैसे कि सुरक्षा अधिनियम, भारतीय दंड संहिता, आईटी एक्ट और भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम। कृषि क्षेत्र से जुड़े कुछ नए कानून भी तैयार किए जा रहे हैं।
ऑनलाइन दुनिया में नई चुनौती
उन्होंने कहा कि अब अधिकांश व्यापार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए हो रहा है। ऐसे में नुकसान और भी बढ़ गया है और इसे रोकने के लिए नई रणनीति की ज़रूरत है। उन्होंने फिल्म उद्योग का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले उल्लंघन पालिका बाजार में नकली डीवीडी बेचने तक सीमित था, लेकिन अब विदेशी सर्वर और टोरेंट वेबसाइट्स के जरिए यह काम हो रहा है। इससे न केवल फिल्म निर्माता परेशान हैं बल्कि कानूनी आदेश लागू करना भी कठिन हो गया है।
ये भी पढ़ें- एशिया की पहली महिला लोको पायलट के सफर पर विराम, 36 साल की सेवा के बाद सुरेखा यादव होंगी रिटायर
आतंकवाद को फंडिंग का खतरा
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अक्सर अवैध व्यापार से होने वाला मुनाफा आतंकवाद की फंडिंग में इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को भी इस लड़ाई में शामिल करना होगा। यह तभी संभव है जब व्यापारी, वकील, कंपनियां, समाज और सरकार सब एकजुट होकर काम करें।
वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
यह चर्चा एफआईसीसीआई कैस्केड द्वारा आयोजित 'मूवमेंट अगेंस्ट स्मगल्ड एंड काउंटरफिट ट्रेड' के 11वें संस्करण में हुई। दो दिवसीय इस सम्मेलन में जीएसटी सुधारों पर एक रिपोर्ट जारी की गई। इसमें वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन, यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर ड्रग्स एंड क्राइम और यूरोपीय संघ की बौद्धिक संपदा कार्यालय जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी भाग लिया।
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उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई बीमार व्यक्ति नकली दवा खाता है, तो उसके ठीक होने की बजाय हालत और बिगड़ सकती है। यह स्थिति सीधे तौर पर लोगों की जान को खतरे में डालती है। नकली और तस्करी किए गए सामान पर सरकार को टैक्स नहीं मिलता और उपभोक्ता को कोई वारंटी या सुरक्षा भी नहीं मिलती। ऐसे में अगर नुकसान होता है तो लोग पूरी तरह असहाय हो जाते हैं।
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ऑनलाइन दुनिया में नई चुनौती
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वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
यह चर्चा एफआईसीसीआई कैस्केड द्वारा आयोजित 'मूवमेंट अगेंस्ट स्मगल्ड एंड काउंटरफिट ट्रेड' के 11वें संस्करण में हुई। दो दिवसीय इस सम्मेलन में जीएसटी सुधारों पर एक रिपोर्ट जारी की गई। इसमें वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन, यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर ड्रग्स एंड क्राइम और यूरोपीय संघ की बौद्धिक संपदा कार्यालय जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी भाग लिया।
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