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Kapil Sibal Resigns: ...तो क्या नाराज आजम अब मान जाएंगे! क्या सिब्बल के जाने से टूटेगा कांग्रेस का जी-23 ग्रुप?

Ashish Tiwari आशीष तिवारी
Updated Wed, 25 May 2022 05:24 PM IST
सार

आजम खान और सपा के बीच चल रही तनातनी के बीच आजम के सुझाए नाम कपिल सिब्बल को पार्टी ने सहमति दे दी। माना जा रहा है कि आजम और पार्टी के बीच चल रहा शीत युद्ध भी बहुत हद तक खत्म हो जाएगा। हालांकि जब कपिल सिब्बल बुधवार को लखनऊ में अपना नामांकन कराने गए उस दौरान उनके साथ में आजम खान शामिल नहीं थे

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Kapil Sibal Resigns: relationship between SP and Azam Khan will improve due to Kapil Sibal becoming the Rajya Sabha candidate, some other leaders from Congress g23 group could quit party
कपिल सिब्बल और अखिलेश यादव - फोटो : Agency
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विस्तार
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आखिरकार बीते कुछ दिनों से राजनीतिक गलियारों में चल रहे कयासों पर पूर्णविराम लग गया। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार और नाराज जी-23 ग्रुप के अगुआ कपिल सिब्बल ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और समाजवादी पार्टी के सहयोग से राज्यसभा का पर्चा भी लखनऊ में भर दिया है। फिलहाल इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से अब सियासी दरबारों में अनुमान लगाया जा रहा है कि कपिल सिब्बल को समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा भेजने की कवायद के बाद रूठे आजम भी मान जाएंगे। इससे समाजवादी पार्टी और आजम खान आजम खा के बीच पड़ी दरार कम हो सकती है। जबकि कांग्रेस नेताओं में चर्चा है कि कपिल सिब्बल के बाद कुछ और बड़े नेता आने वाले वक्त में कांग्रेस से किनारा करेंगे।

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समाजवादी पार्टी ने कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने के लिए बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इससे एक साथ कई सियासी तीर साधे गए हैं। राजनीतिक विश्लेषक आरएन तोमर कहते हैं कि कपिल सिब्बल को समाजवादी पार्टी की ओर से राज्यसभा का चुनाव लड़वाने से सपा में चल रही अंदरूनी उठापटक पर बड़ा असर पड़ने वाला है। वह कहते हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान जो कि समाजवादी पार्टी के बड़े मुस्लिम चेहरे हैं, इस वक्त अंदरूनी तौर पर समाजवादी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। जेल से आने के बाद आजम खान ने खुले तौर पर इस बात को स्वीकार किया था कि कपिल सिब्बल अच्छे व्यक्ति हैं और उन्हें राज्यसभा जाना चाहिए। राजनीतिक गलियारों में उसी दिन से यह माना जाने लगा था कि समाजवादी पार्टी सिब्बल को राज्यसभा के लिए या तो अपनी पार्टी में शामिल कराकर भेजेगी या उनको सहयोग करके राज्यसभा के लिए आगे बढ़ाएगी।

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क्या सिब्बल बनेंगे 2024 की धुरी?

अब जब आजम खान और समाजवादी पार्टी के बीच चल रही तनातनी के बीच आजम के सुझाए नाम कपिल सिब्बल को पार्टी ने सहमति दे दी, तो माना जा रहा है कि आजम खान और पार्टी के बीच चल रहा शीत युद्ध भी बहुत हद तक खत्म हो जाएगा। हालांकि यह बात अलग है कि जब कपिल सिब्बल बुधवार को लखनऊ में अपना नामांकन कराने गए उस दौरान उनके साथ में आजम खान शामिल नहीं थे। तोमर कहते हैं कि समाजवादी पार्टी ने कपिल सिब्बल को साध कर अपने एक बड़े रूठे हुए नेता को मनाने का दांव तो चला ही है बल्कि एक देश के बड़े कानूनी जानकार को भी अपने साथ शामिल कर लिया है।


उत्तर प्रदेश में राजनीति को करीब से समझने वाले जीडी शुक्ला कहते हैं कि समाजवादी पार्टी ने कपिल सिब्बल पर दांव लगाकर 2024 के चुनावों की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। शुक्ला कहते हैं कपिल सिब्बल न सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं। उनकी स्वीकार्यता देश के तमाम बड़े राजनीतिक दलों के बीच में एक अच्छे वकील और बड़े नेता के तौर पर होती है। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने एक बड़े कद के नेता को अपने साथ जोड़कर 2024 में विपक्षियों के एक बड़े समूह को एकजुट करने का प्रयास शुरू किया है। समाजवादी पार्टी के सहयोग से कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने की तैयारियों पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि निश्चित तौर पर इसका लाभ उन्हें आने वाले लोकसभा के चुनावों में मिलेगा।

और भी कई नेता छोड़ सकते हैं कांग्रेस का दामन

कपिल सिब्बल ने भी इस बात का जिक्र किया है कि वह देश और जनता की नीतियों के आधार पर केंद्र सरकार का विरोध करते रहेंगे। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की सबसे ज्यादा है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में कपिल सिब्बल को धुरी मानकर विपक्ष के नेताओं को एकजुट किया जाएगा। ताकि सत्ता पक्ष से मजबूत लड़ाई लड़ी जा सके। दूसरी और अहम बात यह है कि समाजवादी पार्टी ने जिस तरीके से कपिल सिब्बल के माध्यम से बड़े मुस्लिम नेता आजम खान को मनाने का एक प्रयास किया है और एक अन्य मुस्लिम नेता को राज्यसभा भेजने की और कवायद की है। वह पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनावों में मजबूती से खड़ा भी करेगी। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व के लिए गए फैसले से निश्चित तौर पर आने वाले राजनीतिक समीकरण पार्टी के हित में होंगे।

कपिल सिब्बल के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। हालांकि कांग्रेस ने अपने सभी रूठे हुए नेताओं को मनाने के लिए तमाम प्रयास किए। कई बड़े नेताओं को संगठन से लेकर आंदोलनों तक की बड़ी जिम्मेदारियां दीं। लेकिन बीते कुछ समय से कपिल सिब्बल को लेकर के पार्टी का रुख उतना सॉफ्ट नहीं था जितना कि दूसरे अन्य नेताओं के प्रति था। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कांग्रेस के नाराज नेताओं के संगठन जी-23 की अगुवाई करने वाले कपिल सिब्बल के पार्टी छोड़ने के साथ ही अब पार्टी से कुछ अन्य लोग भी जल्द ही कांग्रेस छोड़ सकते हैं। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिस तरीके से पंजाब के बड़े नेता सुनील जाखड़ ने पार्टी का दामन छोड़ा है, उसी तरीके से पंजाब के ही एक और वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ने का पूरा मन बना चुके हैं। दरअसल कांग्रेस के नाराज नेताओं में शामिल उक्त वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के न सिर्फ सहयोगी रहे हैं, बल्कि उनके करीबी भी माने जाते हैं। चूंकि लड़ाई अब संसद में बने रहने की है इसलिए सभी कदम उस लिहाज से ही उठाए जाएंगे।

क्य़ा मान जाएंगे आजम?

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की जोरों पर है कि जब तक रामपुर लोकसभा सीट का फैसला नहीं होगा, तब तक आजम खान खुलकर पार्टी के लिए कुछ भी बोलने से बचेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आजम खान की समाजवादी पार्टी से मनमुटाव की कई वजह हैं। आजम खान के एक वरिष्ठ सहयोगी और रामपुर के सपा नेता कहते हैं कि इसमें एक बड़ी वजह पार्टी के आलाकमान का वह रवैया भी है, जिसमें जेल में रहने के दौरान उनसे मुलाकात नहीं हुई। हालांकि समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रामपुर लोकसभा के उपचुनाव में जो भी टिकट तय होगा, उसमें निश्चित तौर पर आजम खान की सहमति होगी। दरअसल चर्चा इस बात की थी कि आजम खान के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई रामपुर की लोकसभा सीट पर आजम खान अपने ही किसी परिवार के सदस्य का टिकट चाहते हैं। जबकि समाजवादी पार्टी का इसमें कुछ अलग मत है। राजनीतिक तल्खी की यह भी एक बड़ी वजह बनी रही। राजनैतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि फिलहाल तो अभी यही लग रहा है कि सिर्फ कपिल सिब्बल को समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा भेजने की कवायद से ही आजम खान पूरी तरीके से संतुष्ट नहीं होंगे। वह कहते हैं जब तक रामपुर की लोकसभा सीट पर सहमति नहीं बनेगी तब तक अंदरूनी तौर पर टशन बनी रहेगी।

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