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Kerala Politics: BJP उपाध्यक्ष ने खुद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को नकारा; भूमि विवाद पर सीएम का नया फैसला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 27 Aug 2025 02:43 PM IST
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सार
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सी. कृष्णकुमार ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को खारिज करते हुए उसे परिवारिक संपत्ति से जुड़ा बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस और अदालत पहले ही ऐसे आरोपों को झूठा ठहरा चुके हैं। वहीं, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भूमि विवाद सुलझाने के लिए 1960 के भूमि आवंटन कानून में ऐतिहासिक संशोधन की घोषणा की।

केरल भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सी. कृष्णकुमार और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन
- फोटो : अमर उजाला/ X-@ANI
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विस्तार
वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सी. कृष्णकुमार ने अपने खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह आरोप झूठे हैं और परिवार में चल रहे संपत्ति विवाद के चलते लगाए गए हैं। कृष्णकुमार का बयान तब सामने आया जब मीडिया के कुछ हिस्सों ने बताया कि शिकायतकर्ता महिला ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर को पत्र भेजा था और उसे उनकी ओर से स्वीकार भी किया गया।
कृष्णकुमार ने स्पष्ट किया कि आरोप लगाने वाली महिला उनकी पत्नी की नजदीकी रिश्तेदार हैं। यह महिला पिछले कई वर्षों से उन पर ऐसे ही आरोप लगाती रही है। उन्होंने कहा कि इस महिला ने 2015 और 2020 के चुनावों के दौरान भी ऐसे आरोप लगाए थे जब वे और उनकी पत्नी चुनाव मैदान में थे। उनका कहना है कि पुलिस और अदालत दोनों ने ही महिला के आरोपों से जुड़े मामले की जांच की और सबूत न मिलने पर उन्हें खारिज कर दिया।
कांग्रेस विधायक के निलंबन के बाद मामला चर्चा में
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब कांग्रेस के पालक्काड विधायक राहुल मामकूटाथिल को यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के कई मामलों में पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। इसी कारण भाजपा नेता पर लगे नए आरोपों ने और अधिक राजनीतिक महत्व हासिल कर लिया है। कृष्णकुमार ने हालांकि साफ कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप पहले भी गलत साबित हुए हैं और इस बार भी ऐसा ही होगा।
कृष्णकुमार ने आरोप लगाया कि इस महिला के पीछे पूर्व भाजपा नेता संदीप वॉरियर हैं, जिन्होंने हाल ही में पार्टी से नाराज होकर कांग्रेस जॉइन की है। उन्होंने कहा कि यह सब सोची-समझी रणनीति है ताकि उन्हें संपत्ति विवाद में कमजोर किया जा सके। उन्होंने साफ किया कि महिला ने घरेलू हिंसा और संपत्ति विवाद को लेकर पहले भी केस किया था, लेकिन पुलिस और अदालत ने जांच कर उसे झूठा पाया था।
ये भी पढ़ें- 'चामुंडेश्वरी माता केवल हिंदुओं की नहीं, सबकी देवी हैं', डीके शिवकुमार के बयान पर विवाद; BJP हमलावर
कांग्रेस पर भाजपा का वार-पलटवार
इस बीच, विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने भी भाजपा और वामपंथियों को चेतावनी दी है कि अगर वे कांग्रेस पर यौन उत्पीड़न मामलों में हमला करते रहे, तो उनके खिलाफ भी चौंकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं। उन्होंने भाजपा की उस विरोध रैली पर भी तंज कसा जिसमें कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर एक बैल लेकर प्रदर्शन किया। सतीशन ने कहा कि भाजपा को जल्द ही अपने प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर के खिलाफ भी ऐसे ही विरोध की जरूरत पड़ेगी।
ये भी पढ़ें- 'पीएम मोदी फोन पर डील नहीं करते', ट्रंप के फोन का जवाब न देने पर भारतीय राजनयिक का दावा
मुख्यमंत्री ने किया भूमि कानून में सुधार का एलान
उधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भूमि विवादों पर बड़ा एलान किया। उन्होंने बताया कि लंबे समय से चले आ रहे हाई-रेंज इलाकों के भूमि विवादों को सुलझाने के लिए सरकार ने जमीन आवंटन अधिनियम 1960 में संशोधन किया है। इसके तहत अब 7 जून 2024 तक किए गए भूमि उपयोग के बदलाव को नियमित किया जाएगा। यह कदम उन लोगों को राहत देगा जिन्हें दशकों से भूमि विवादों का सामना करना पड़ रहा था।
भूमि सुधार से मिलेगा स्थायी समाधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बदलाव से लोग अपनी जमीन का इस्तेमाल कृषि, आवास और छोटे कारोबारी जरूरतों से आगे भी कर सकेंगे। हालांकि, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में दुरुपयोग रोकने के लिए सुरक्षा प्रावधान भी रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर सभी दलों, धार्मिक नेताओं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा की थी। यह फैसला वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के 2021 के चुनावी वादों में शामिल था, और अब यह वादा पूरा किया जा रहा है।

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कृष्णकुमार ने स्पष्ट किया कि आरोप लगाने वाली महिला उनकी पत्नी की नजदीकी रिश्तेदार हैं। यह महिला पिछले कई वर्षों से उन पर ऐसे ही आरोप लगाती रही है। उन्होंने कहा कि इस महिला ने 2015 और 2020 के चुनावों के दौरान भी ऐसे आरोप लगाए थे जब वे और उनकी पत्नी चुनाव मैदान में थे। उनका कहना है कि पुलिस और अदालत दोनों ने ही महिला के आरोपों से जुड़े मामले की जांच की और सबूत न मिलने पर उन्हें खारिज कर दिया।
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कांग्रेस विधायक के निलंबन के बाद मामला चर्चा में
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब कांग्रेस के पालक्काड विधायक राहुल मामकूटाथिल को यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के कई मामलों में पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। इसी कारण भाजपा नेता पर लगे नए आरोपों ने और अधिक राजनीतिक महत्व हासिल कर लिया है। कृष्णकुमार ने हालांकि साफ कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप पहले भी गलत साबित हुए हैं और इस बार भी ऐसा ही होगा।
कृष्णकुमार ने आरोप लगाया कि इस महिला के पीछे पूर्व भाजपा नेता संदीप वॉरियर हैं, जिन्होंने हाल ही में पार्टी से नाराज होकर कांग्रेस जॉइन की है। उन्होंने कहा कि यह सब सोची-समझी रणनीति है ताकि उन्हें संपत्ति विवाद में कमजोर किया जा सके। उन्होंने साफ किया कि महिला ने घरेलू हिंसा और संपत्ति विवाद को लेकर पहले भी केस किया था, लेकिन पुलिस और अदालत ने जांच कर उसे झूठा पाया था।
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इस बीच, विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने भी भाजपा और वामपंथियों को चेतावनी दी है कि अगर वे कांग्रेस पर यौन उत्पीड़न मामलों में हमला करते रहे, तो उनके खिलाफ भी चौंकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं। उन्होंने भाजपा की उस विरोध रैली पर भी तंज कसा जिसमें कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर एक बैल लेकर प्रदर्शन किया। सतीशन ने कहा कि भाजपा को जल्द ही अपने प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर के खिलाफ भी ऐसे ही विरोध की जरूरत पड़ेगी।
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मुख्यमंत्री ने किया भूमि कानून में सुधार का एलान
उधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भूमि विवादों पर बड़ा एलान किया। उन्होंने बताया कि लंबे समय से चले आ रहे हाई-रेंज इलाकों के भूमि विवादों को सुलझाने के लिए सरकार ने जमीन आवंटन अधिनियम 1960 में संशोधन किया है। इसके तहत अब 7 जून 2024 तक किए गए भूमि उपयोग के बदलाव को नियमित किया जाएगा। यह कदम उन लोगों को राहत देगा जिन्हें दशकों से भूमि विवादों का सामना करना पड़ रहा था।
भूमि सुधार से मिलेगा स्थायी समाधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बदलाव से लोग अपनी जमीन का इस्तेमाल कृषि, आवास और छोटे कारोबारी जरूरतों से आगे भी कर सकेंगे। हालांकि, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में दुरुपयोग रोकने के लिए सुरक्षा प्रावधान भी रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर सभी दलों, धार्मिक नेताओं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा की थी। यह फैसला वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के 2021 के चुनावी वादों में शामिल था, और अब यह वादा पूरा किया जा रहा है।
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