Kerala: दहेज मामले के तीन आरोपियों को केरल की एक कोर्ट ने किया बरी, आरोप साबित न करने पर CBI को लगाई फटकार
केरल की विशेष सीबीआई अदालत ने दहेज मामले में श्रीकांत जयचंद्र मेनन और उनके माता-पिता को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि सीबीआई आरोपों को साबित करने में विफल रही। महिला ने कनाडा में शारीरिक अत्याचार और नशीली दवाओं के सेवन का दावा किया था, लेकिन मेडिकल सबूतों और जांच में इसे साबित नहीं किया जा सका।
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केरल की एक विशेष सीबीआई अदालत ने दहेज मामले में तीन व्यक्तियों को बरी कर दिया। साथ ही मामले में सीबीआई को जांच को लेकर फटकार भी लगाई है। अदालत ने कहा कि सीबीआई आरोपों को साबित करने में विफल रही। बरी किए गए लोगों में श्रीकांत जयचंद्र मेनन, उनके पिता जयचंद्रन टीके और मां बीना जयचंद्रन शामिल हैं।
बता दें कि श्रीकांत और उनके परिवार पर दहेज निषेध अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। मामला तब सामने आया जब श्रीकांत ने 2018 में स्रुथी सुरेश से शादी की और बाद में कनाडा चले गए। स्रुथी ने आरोप लगाया कि वहां उन्हें शारीरिक रूप से पीटा गया और नशीली दवाओं का सेवन कराना मजबूर किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि शादी के दौरान उन्हें गर्भपात के लिए मजबूर किया गया और श्रीकांत ने उनके मुंह में टॉयलेट क्लीनिंग ग्रेन्यूल डाल दिए, जिससे उनके अंगों में चोट लगी।
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2020 में चोट्टानिक्कारा पुलिस में दर्ज हुआ था मामला
भारत लौटने के बाद स्रुथी ने कहा कि उन्हें परिवार ने अकेला छोड़ दिया। यह मामला शुरू में दिसंबर 2020 में चोट्टानिक्कारा पुलिस ने दर्ज किया था और 2022 में केरल हाईकोर्ट के निर्देश पर इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कनाडा के मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार महिला ने खुद कैनाबिस के प्रभाव में ग्रेन्यूल का सेवन किया, जिससे चोटें लगीं।
अदालत ने कहा कि सीबीआई यह साबित करने में असफल रही कि श्रीकांत के माता-पिता ने भारत में स्रुथी को परेशान किया। इसके साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट कहा कि सीबीआई अपने केस को साबित करने में पूरी तरह विफल रही। दहेज लेने या देने का कोई प्रमाण नहीं मिला।
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