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मतदान से पहले दावों का दौर: क्या बिहार के ‘हीमैन’ बनेंगे प्रशांत किशोर? वोट में कितना बदलेगा ‘पीके’ फैक्टर?

Shashidhar Pathak शशिधर पाठक
Updated Fri, 24 Oct 2025 12:43 PM IST
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सार

बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वह अपनी पार्टी जनसुराज के प्रत्याशियों को चुनाव लड़वा रहे हैं। बड़ी दमदारी से कहते हैं कि उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ पहली बार जनता के बीच में है।

Will Prashant Kishor become He-Man of Bihar? How much will PK factor convert into votes?
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार में 13 दिन बाद पहले चरण का मतदान होगा। 28 अक्टूबर को महागठबंधन संयुक्त घोषणा पत्र जारी करेगा। प्रशांत किशोर अभी भी वहां की राजनीति में हलचल मचा रहे हैं। एनडीए ने सत्ता में बने रहने की कोशिश तेज कर दी है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या ‘पीके’फैक्टर लहरा देने वाले प्रशांत किशोर बिहार के ‘हीमैन’ बन पाएंगे?

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प्रशांत किशोर खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वह अपनी पार्टी जनसुराज के प्रत्याशियों को चुनाव लड़वा रहे हैं। बड़ी दमदारी से कहते हैं कि उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ पहली बार जनता के बीच में है। आप चुनाव का नतीजा आने दीजिए और नतीजे चौंकाएंगे। पटना के वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा कहते हैं कि प्रगतिशील बिहार के लोगों में जन सुराज ने जगह बनाई है। दिल्ली की एक चुनाव सर्वेक्षण एजेंसी के वरिष्ठ पदाधिकारी इन दिनों पटना में हैं। वह कहते हैं कि जन सुराज 7-9 प्रतिशत तक वोट पा सकती है। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि सीटों के रूप में उसे कितनी सफलता मिलेगी। 
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राजद के संस्थापकों में एक और नीतीश कुमार, लालू प्रसाद दोनों के करीब रहे शिवानंद तिवारी कहते हैं इस बार का चुनाव रोचक होगा। ऐसा पहली बार लग रहा है कि जैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘कोटरी’ में भाजपा ने सेंध लगा ली है। शिवानंद तिवारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक महिला को मंच पर माला पहनाने की एक घटना का भी जिक्र करके कहते हैं कि नीतीश कुमार को बाहर के लोगों से उतना खतरा नहीं है, जितना अपनों से है। दूसरे इस बार अभी तक एनडीए ने अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। इससे पता चलता है कि भाजपा के मंसूबे इस बार भी बिहार में कोई नई पटकथा लिख सकते हैं।  

किसका वोट काटेंगे ‘पीके’?
भाजपा के बिहार के एक मंत्री कहते हैं कि दिल्ली और पटना की मीडिया ने प्रशांत किशोर को महत्व दे रखा है। बिहार में अभी उनकी कोई जमीनी पकड़ नहीं है। वह कहते हैं कि नीतीश कुमार 2005 से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। हर सरकार जब चुनाव में जाती है तो थोड़ा बहुत सरकार विरोधी लहर होती है। ‘पीके’ इसी को भुनाएंगे। हमारे लिए यह फायदे की बात है, क्योंकि इसका फायदा महागठबंधन को नहीं होगा। बिहार भाजपा के प्रभारी धर्मेंन्द्र प्रधान राज्य में काफी समय दे रहे हैं। प्रधान चुपचाप नतीजा लाने के लिए जाने जाते हैं। वह अपने अभियान में लगातार लगे हैं। नीतीश की कोटरी के सदस्य संजय झा कहते हैं कि एनडीए डंके की चोट पर जीतेगा। तेजस्वी के नजदीकी संजय यादव को बिहार में इस बार महागठबंधन की सरकार बनने का पूरा भरोसा है। कांग्रेस के शकील अहमद खान भी कहते हैं कि इस बार महागठबंधन की गाड़ी एक्सप्रेस पर दौड़ रही है। पीके ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के चेहरे की भले चमक उड़ा दी हो, लेकिन सम्राट के दावा करने के अंदाज में कोई बदलाव नहीं आया है।

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