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How long will Delhi's air quality remain bad? The Delhi government will arrange for artificial rain.
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कब तक खराब रहेगी दिल्ली की हवा? दिल्ली सरकार कराएगी कृत्रिम वर्षा
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 24 Oct 2025 11:53 AM IST
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दिवाली की रौनक अब जहरीली हवा में घुल चुकी है। राजधानी की फिजा में त्योहार की चमक के साथ अब बारूद, धुआं और धुंध घुलकर एक ऐसा मंजर बना चुकी है, जिसमें सांस लेना भी चुनौती बन गया है। दिल्ली-एनसीआर की हवा फिर से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच चुकी है हालांकि तेज हवाओं ने फिलहाल थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन ये राहत ज्यादा देर टिकने वाली नहीं दिख रही…
दिवाली की जगमगाहट के बाद अब राजधानी दिल्ली पर प्रदूषण की परत छा गई है। त्योहार की रात की चमक अब सुबह की धुंध में बदल चुकी है। हालांकि गुरुवार को चली तेज हवाओं ने थोड़ी राहत जरूर दी, लेकिन यह राहत अस्थायी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, शाम चार बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 305 दर्ज किया गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है।
ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 280, गाजियाबाद में 252, नोएडा में 276 और गुरुग्राम में 208 दर्ज हुआ। दिल्ली-एनसीआर में सबसे बेहतर स्थिति फरीदाबाद की रही, जहां एक्यूआई 198 पर रहा जो “मध्यम” श्रेणी में गिना जाता है।
सीपीसीबी के अनुसार, बृहस्पतिवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 10-15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली, जिससे प्रदूषक कणों का थोड़ा विसर्जन हुआ। मगर सोमवार तक हवा के “बेहद खराब” स्तर पर बने रहने का अनुमान है।
दिल्ली की हवा में पीएम 10 का स्तर 249 और पीएम 2.5 का स्तर 150.9 दर्ज किया गया जो स्वास्थ्य मानकों से लगभग तीन गुना ज्यादा है। राजधानी के आसमान में धुंध और धुएं की परत अब भी छाई है। सुबह के समय पालम इलाके में दृश्यता घटकर 800 मीटर तक रह गई।
अच्छे मानसून के चलते इस बार दिल्ली की हवा सितंबर तक अपेक्षाकृत साफ रही थी। लेकिन पिछले 9 दिनों में हवा की गुणवत्ता तेजी से बिगड़ी है। 13 अक्तूबर को एक्यूआई 189 था, जो अब बढ़कर 300 के पार पहुंच गया है।
दिवाली की शाम हुई आतिशबाजी ने प्रदूषण की स्थिति और गंभीर कर दी। बारूद का धुआं अब भी वायुमंडल में फैला हुआ है। हवा की धीमी रफ्तार के कारण प्रदूषक तत्व जमीन के पास जमा हो गए हैं, जिससे दिल्ली की फिजा जहरीली बन गई है।
दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए करीब 2000 टीमें तैनात हैं। इन टीमों के पास 376 एंटी-स्मॉग गन, 266 वाटर स्प्रिंकलर और 91 मैकेनाइज्ड स्वीपर हैं, जो जीपीएस सिस्टम से मॉनिटर किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 443 टीमें कूड़ा जलाने पर, 578 टीमें वाहनों के धुएं पर, और 378 टीमें धूल नियंत्रण पर काम कर रही हैं। इसके अलावा 505 मोबाइल प्रॉसिक्यूशन टीमें लगातार गश्त कर रही हैं।
सिरसा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर और मौसम विभाग के सहयोग से जल्द ही क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) की योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर प्रदूषण घटाने की दिशा में भी काम हो रहा है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अनुसार, राजधानी के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बृहस्पतिवार को 1.521% रही। अब तक 12,113 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। पिछले साल के मुकाबले यह आंकड़ा 50% कम है, लेकिन अगर हवा की दिशा और गति बदली तो इसका असर तुरंत दिल्ली की हवा पर दिखेगा।
आईसीएआर की रिपोर्ट बताती है कि इस साल 15 सितंबर से 21 अक्तूबर के बीच छह राज्यों पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में कुल 1,729 पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं, जो पिछले साल के 3,651 मामलों से काफी कम हैं।
प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ा दी है। डॉ. रमेश मीणा, आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, ने कहा कि “वर्तमान हवा बच्चों, बुजुर्गों और फेफड़ों या दिल के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है।”
उन्होंने अपील की कि जब तक वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, लोग एन-95 या डबल मास्क पहनें, सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें, और घरों में वायु शुद्धिकरण पौधे लगाएं।
प्रदूषण से बचाव के उपाय
• बाहर निकलते समय एन-95 मास्क का उपयोग करें।
• गैर-जरूरी काम से बचें, खासकर सुबह-शाम।
• AQI अपडेट पर नजर रखें।
• सांस में तकलीफ या जलन होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
• घरों में एयर प्यूरिफायर या पौधे लगाएं।
• मौसमी फल खाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं।
त्योहार की चमक के बाद राजधानी की हवा फिर से दमघोंटू हो चुकी है। तेज हवाओं ने भले फिलहाल राहत दी हो, लेकिन सीपीसीबी की रिपोर्टें कहती हैं कि अगली सुबहें फिर धुंधली होंगी। सवाल यही है क्या दिल्ली हर साल दिवाली के बाद इस जहरीली सजा को झेलने को मजबूर रहेगी, या अब वक्त आ गया है कि नीति और जिम्मेदारी दोनों हवा की तरह साफ दिखाई दें?
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