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Swami Prasad Maurya on Lakshmi Pooja: Ayodhya saints enraged by Swami Prasad Maurya's statement
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Swami Prasad Maurya on Lakshmi Pooja :स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर भड़के अयोध्या के संत
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Thu, 23 Oct 2025 02:16 AM IST
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स्वामी प्रसाद मौर्य के लक्ष्मी पूजा पर दिए गए विवादित बयान के बाद अयोध्या के संतों में भारी आक्रोश है। मौर्य ने कहा था कि अगर देवी लक्ष्मी की पूजा करने से कोई अमीर बन जाता, तो भारत दुनिया के गरीब देशों में शामिल नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि आज तक चार हाथ वाला बच्चा पैदा नहीं हुआ, तो चार हाथ वाली लक्ष्मी कैसे पैदा हो सकती हैं? उन्होंने लोगों को अपनी पत्नी, जो 'घर की लक्ष्मी' है, की पूजा और सम्मान करने की सलाह दी।
इस बयान पर अयोध्या के संतों ने बेहद तीखी और उग्र प्रतिक्रिया दी है। हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी, महंत राजू दास ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग "आतंकवादी मानसिकता" के हैं और समाज में "द्वेष और क्लेश" फैला रहे हैं। महंत राजू दास ने यहां तक कहा कि ऐसे व्यक्ति (मौर्य) को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है और उनका "मुंह काला करके जूतों से स्वागत" किया जाना चाहिए।
अन्य संतों और पुजारियों ने भी महंत राजू दास की बातों का समर्थन किया। उन्होंने मौर्य पर "नीच व्यक्ति" होने और जानबूझकर हिंदू आस्था व सनातन धर्म पर हमला करने का आरोप लगाया। संतों का कहना है कि मौर्य ने मां लक्ष्मी का अपमान किया है और वे "जूते के योग्य" हैं। कुल मिलाकर, अयोध्या के संतों ने इस बयान को हिंदू धर्म पर एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया हमला माना है और इसके प्रति अपना विरोध दर्ज कराया है। स्वामी प्रसाद के बयान पर भड़के पुजारी यह वीडियो इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर अयोध्या के हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी राजू दास की तीखी प्रतिक्रिया का विवरण है।
अपनी जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं, "लक्ष्मी की पूजा करना एक परंपरा हो सकती है, लेकिन यह व्यवहारिकता से कोसों दूर है। अगर लक्ष्मी की पूजा करने से कोई अमीर बनता, तो भारत दुनिया के गरीब देशों में से एक न होता। देश में 80 करोड़ लोग आज भी गरीबी में जी रहे हैं.लोग इसे स्वीकार करें या न करें, लेकिन क्या 5-10 किलो चावल खाकर गुज़ारा करने वाले ये 80 करोड़ लोग अपने बच्चों को विश्वविद्यालयों में भेज सकते हैं? क्या ऐसे लोग अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, वकील, आईएएस, आईपीएस या वैज्ञानिक बना सकते हैं? कभी नहीं। आज करोड़ों युवा बेरोज़गार हैं। अगर लक्ष्मी की पूजा करने से गरीबी दूर होती, तो 80 करोड़ लोग सिर्फ़ 5-10 किलो चावल खाकर गुज़ारा न करते और करोड़ों युवा बेरोज़गार न होते.मैंने किसी भी पूजा का विरोध नहीं किया, मैंने बस इतना कहा कि 'घर की लक्ष्मी' की पूजा करनी चाहिए क्योंकि वह घर को चौबीसों घंटे साफ़-सुथरा रखती हैं और उसे स्वर्ग जैसा बना देती हैं...अगर आपको पूजा करनी ही है, तो 'घर की लक्ष्मी' की पूजा करें। ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। यह एक अपील है। लोग इसे अन्यथा लें, यह उनकी मानसिकता पर निर्भर करता है।
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