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Kolkata Case: भाजपा नेता दिलीप घोष ने पूछा, 'जब यूनियन का चुनाव नहीं...तो कॉलेज में दफ्तर क्यों?'

आईएएनएस, कोलकाता Published by: राहुल कुमार Updated Sun, 06 Jul 2025 11:52 AM IST
सार

पूर्व सांसद और भाजपा के नेता दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल की राजनीति, विपक्ष की भूमिका और राष्ट्रीय स्तर पर हो रही घटनाओं को लेकर अपनी राय रखी। नेता दिलीप घोष ने कोलकाता केस में ममता बनर्जी की पार्टी पर तीखा हमला बोला है। 

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Kolkata Case BJP leader Dilip Ghosh askes When there is no union election then why an office in college?
दिलीप घोष - फोटो : ANI
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पूर्व सांसद और भाजपा के नेता दिलीप घोष ने कोलकाता गैंगरेप केस को लेकर कहा, हर विश्वविद्यालय और कॉलेज में यूनियन रूम नहीं होना चाहिए, उसको टीएमसी पार्टी का ऑफिस बना देना चाहिए। कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ हुए बलात्कार की घटना के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया। कोर्ट ने छात्र संघ चुनाव होने तक कॉलेज और यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के कमरों को बंद रखने के आदेश दिए हैं।

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चुनाव होता नहीं, यूनियन रूम क्यों खुला है?- घोष
इस पर दिलीप घोष ने कहा, चुनाव होता नहीं, यूनियन का दफ्तर क्यों खुला है? वहां इस प्रकार दुष्कर्म करने के लिए? हर विश्वविद्यालय और कॉलेज में यूनियन रूम नहीं होना चाहिए, उसको टीएमसी पार्टी का ऑफिस बना देना चाहिए।  उन्होंने सवाल उठाया कि जब यूनियन नहीं है, यूनियन का कोई चुनाव नहीं है, तो ऑफिस क्यों बनाया है? पहले इस पर ताला मारना चाहिए। जब तक यह रहेगा, इस प्रकार की घटना घटती रहेगी।
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सावित्री मित्रा के बयान पर दी कड़ी प्रतिक्रिया
तृणमूल कांग्रेस विधायक सावित्री मित्रा के 'इस्लाम हमारा पसंदीदा धर्म है' वाले बयान पर दिलीप घोष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि किसी नेता को ऐसा कहने से पहले यह सोचना चाहिए कि वे किस समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। धर्म का इस्तेमाल राजनीति में वोट बैंक के लिए नहीं होना चाहिए।

ये भी पढ़ें: Bihar: 'भाजपा-नीतीश ने बिहार को भारत की क्राइम कैपिटल बना दिया', गोपाल खेमका की हत्या पर सरकार पर बरसे राहुल

राजनीतिक माहौल में शमिक सुकांत्र का 'जय मांकाली' नारा देकर चुनाव मैदान में उतरना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पर दिलीप घोष ने कहा कि भाजपा हमेशा बंगाली संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए खड़ी रही है। हम 'जय मांकाली' और 'जय श्रीराम' जैसे नारों में विश्वास करते हैं, इसे बोलने में कोई आपत्ति नहीं है।

राहुल गांधी के विपक्ष के नेता के रूप में एक साल पूरा होने पर जब उनसे उनकी किसी एक उपलब्धि के बारे में पूछा गया, तो दिलीप घोष ने कटाक्ष करते हुए कहा, लोगों को तो यह भी याद नहीं कि वे नेता प्रतिपक्ष हैं, उपलब्धि तो बहुत दूर की बात है। उन्होंने कहा, "उल्टा-सीधा बोलना छोड़कर कुछ नहीं करते वे।

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