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Lok Sabha: लोकसभा में चुनाव सुधार पर तीखी बहस, CJI को CEC के चयन पैनल से हटाने पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Wed, 10 Dec 2025 03:18 PM IST
सार

Election Reforms Debate: लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस हुई। कांग्रेस नेता के. सी. वेणुगोपाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति से सीजेआई को हटाने पर सरकार से सवाल किए।

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Lok Sabha election reforms debate CEC appointment panel Election Commission removal of CJI Congress vs BJP
लोकसभा। - फोटो : संसद टीवी वीडियो ग्रैब
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विस्तार
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लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों पर उस समय जोरदार बहस छिड़ गई जब कांग्रेस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को हटाए जाने पर अपनी-अपनी दलीलें रखीं। दोनों दलों ने इस मुद्दे पर अपनी ठोस राय सामने रखकर सदन का माहौल गरम कर दिया।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा कि आखिर वह सुप्रीम कोर्ट की उस व्यवस्था से पीछे क्यों हट गई, जिसमें चयन समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सीजेआई को शामिल करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि अंतिम बिल में सीजेआई को बाहर क्यों रखा गया। इसके तुरंत बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर पलटवार किया और सरकार के फैसले का बचाव किया।
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कांग्रेस ने सीजेआई को हटाए जाने पर सवाल उठाए
कांग्रेस नेता वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसका नेतृत्व अब सेवानिवृत्त न्यायाधीश के. एम. जोसेफ कर रहे थे, ने स्पष्ट किया था कि जब तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर कोई व्यापक कानून नहीं बन जाता, तब तक चयन समिति में प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा में विपक्ष के नेता को शामिल किया जाए। लेकिन जब सरकार बिल लेकर आई, तो उसने सीजेआई को पूरी तरह बाहर कर दिया और उसकी जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया। उन्होंने मांग की कि कानून मंत्री इस फैसले पर स्पष्ट जवाब दें।

ये भी पढ़ें- बिना CJI के मुख्य चुनाव आयुक्त को क्यों चुनना चाहते हैं PM? चुनाव सुधार पर राहुल ने उठाए ये सवाल

भाजपा ने किया पलटवार
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि जब देश की जनता प्रधानमंत्री को परमाणु बटन तक संभालने का भरोसा देती है, तो वही प्रधानमंत्री और उनके नेतृत्व वाली सरकार एक ईमानदार और सक्षम चुनाव आयुक्त क्यों नहीं चुन सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनी हुई सरकार को निर्णय लेने का अधिकार है, और हर कार्य में न्यायपालिका को शामिल करने की मांग तर्कसंगत नहीं है।

रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि स्वयं वेणुगोपाल भी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह प्रावधान सिर्फ एक अंतरिम व्यवस्था थी, स्थायी समाधान नहीं। उन्होंने कहा कि संसद ने व्यापक विचार के बाद नया कानून पारित किया है और इसके बाद भी सीजेआई को पैनल में शामिल रखने की मांग राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस चयन प्रक्रिया को राजनीतिक रंग देकर जरूरी सुधारों को बाधित करना चाहती है।

पहले ही ये बिल हो चुका पेश
सरकार द्वारा पेश किए गए बिल को संसद पहले ही मंजूरी दे चुकी है, जिसके तहत प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति में एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा के विपक्ष के नेता शामिल होंगे। लेकिन सीजेआई को शामिल न किए जाने से विपक्ष को तीखा विरोध करने का मौका मिला है। कांग्रेस का कहना है कि यह कदम चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा, जबकि भाजपा दावा करती है कि यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए लिया गया है।


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