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Uddhav Thackeray: 'कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न बिहार के वोट पाने की सियासत'; उद्धव चुनाव से पहले भाजपा पर बरसे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Sun, 11 Feb 2024 03:37 PM IST
सार
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि बिहार की जनता का समर्थन हासिल करने के लिए सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से नवाजने का एलान किया है। फैसले के पीछे छिपी राजनीति का जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर तीखा हमला बोला।
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पीएम मोदी, कर्पूरी ठाकुर, उद्धव ठाकरे (फाइल)
- फोटो : ANI
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विस्तार
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को इस साल भारत रत्न से नवाजने का एलान हुआ। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान की घोषणा के बाद बिहार की जनता और राजनीतिक पार्टियों ने इस फैसले का स्वागत किया। विपक्षी दलों ने भी कर्पूरी को भारत रत्न देने का स्वागत किया और कहा कि यह फैसला काफी पहले हो जाना चाहिए था। ताजा घटनाक्रम में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सरकार के फैसले को सियासी लाभ की नीयत वाला करार दिया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की जनता का वोट और समर्थन हासिल करने के मकसद से केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला लिया है।
राजनीतिक लाभ पाने की ताक में भाजपा
शिवसेना के दो फाड़ होने के बाद नए सिरे से राजनीतिक पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे उद्धव ठाकरे शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे- यूबीटी) के प्रमुख हैं। उन्होंने रविवार को समर्थन करने वाले शिवसेना कार्यकर्ताओं कहा, भाजपा के रूप में राजनीतिक पहचान और दबदबा रखने वाली पार्टी कभी भारतीय जनसंघ थी। बकौल उद्धव, जनसंघ ने सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 26 प्रतिशत आरक्षण देने के कर्पूरी ठाकुर के फैसले का विरोध किया था, लेकिन अब राजनीतिक लाभ पाने के लिए उन्हें भारत रत्न से नवाजने की घोषणा हुई है।
भारत रत्न देने का फैसला क्यों?
उन्होंने कहा, भाजपा बिहार से लोकसभा चुनाव में वोट चाहती है इसलिए उनके लिए मरणोपरांत भारत रत्न की घोषणा की गई है। हालांकि, राजनीतिक बातों से इतर उन्हें खुशी है कि कर्पूरी ठाकुर के काम को इतने वर्षों के बाद स्वीकार किया जा रहा है। ठाकरे ने कहा, भाजपा ने भारत रत्न के लिए डॉ. एस स्वामीनाथन को भी चुना है। हालांकि, सरकार 10 साल बीतने के बावजूद किसानों की आय बढ़ाने में असफल रही है। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने कहा, सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने में विफल रही है। जनता इस खोखलेपन को अच्छी तरह समझती है।
जब कर्पूरी के घर की हालत देख रो पड़े बहुगुणा
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे लेकिन परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम नहीं था। उनके सादगीपूर्ण जीवन के कई किस्से बिहार की समेत देश की राजनीति में अक्सर चर्चा में आते रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी रहे। एक बार उप मुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके कर्पूरी ठाकुर रिक्शे से ही चलते थे। उनके निधन के बाद अविभाजित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा उनके गांव गए थे। बहुगुणा कर्पूरी ठाकुर की पुश्तैनी झोपड़ी देख कर रो पड़े थे। कर्पूरी ठाकुर 1952 से लगातार विधायक रहे, पर अपने लिए उन्होंने कहीं एक मकान तक नहीं बनवाया। न ही कोई जमीन खरीद सके।
भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया, वर्तमान राजनीति के खिलाड़ियों ने माना सियासी गुरू
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म आज से 100 साल पहले भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया में नाई जाति के परिवार में हुआ था। अब कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली होने के कारण इस गांव को कर्पूरीग्राम कहा जाता है। कर्पूरी ठाकुर समाजवाद के सच्चे सिपाही थे। केवल सत्रह साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए। देश की आजादी वे लोकनायक जेपी और समाजवादी चिंतक डॉ.राम मनोहर लोहिया के सच्चे चेले थे। तब बिहार के लालू प्रसाद यादव, नितीश कुमार, राम विलास पासवान और सुशील कुमार मोदी जैसे छात्र नेता राजनीति का ककहरा पढ़ रहे थे। इन सब ने कर्पूरी ठाकुर को राजनीतिक गुरु माना।
भारत रत्न देने का फैसला कब हुआ
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला इसी साल 24 जनवरी को हुआ। गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजने का फैसला लिया। खास बात यह कि बुधवार, 24 जनवरी को ही कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती भी थी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने इस साल भारत रत्न के लिए पांच नामों की घोषणा की है। पिछड़ा वर्ग को सशक्त बनाने के समर्थक कर्पूरी ठाकुर के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह, कृषि वैज्ञानिक और भारत में खाद्य क्रांति के जनक के रूप में लोकप्रिय डॉ. एस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न से नवाजा जाएगा। इसके अलावा जनसंघ (भाजपा) के संस्थापकों में शुमार- राजनेता लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न दिया जाएगा।
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राजनीतिक लाभ पाने की ताक में भाजपा
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भारत रत्न देने का फैसला क्यों?
उन्होंने कहा, भाजपा बिहार से लोकसभा चुनाव में वोट चाहती है इसलिए उनके लिए मरणोपरांत भारत रत्न की घोषणा की गई है। हालांकि, राजनीतिक बातों से इतर उन्हें खुशी है कि कर्पूरी ठाकुर के काम को इतने वर्षों के बाद स्वीकार किया जा रहा है। ठाकरे ने कहा, भाजपा ने भारत रत्न के लिए डॉ. एस स्वामीनाथन को भी चुना है। हालांकि, सरकार 10 साल बीतने के बावजूद किसानों की आय बढ़ाने में असफल रही है। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने कहा, सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने में विफल रही है। जनता इस खोखलेपन को अच्छी तरह समझती है।
जब कर्पूरी के घर की हालत देख रो पड़े बहुगुणा
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे लेकिन परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम नहीं था। उनके सादगीपूर्ण जीवन के कई किस्से बिहार की समेत देश की राजनीति में अक्सर चर्चा में आते रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी रहे। एक बार उप मुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके कर्पूरी ठाकुर रिक्शे से ही चलते थे। उनके निधन के बाद अविभाजित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा उनके गांव गए थे। बहुगुणा कर्पूरी ठाकुर की पुश्तैनी झोपड़ी देख कर रो पड़े थे। कर्पूरी ठाकुर 1952 से लगातार विधायक रहे, पर अपने लिए उन्होंने कहीं एक मकान तक नहीं बनवाया। न ही कोई जमीन खरीद सके।
भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया, वर्तमान राजनीति के खिलाड़ियों ने माना सियासी गुरू
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म आज से 100 साल पहले भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया में नाई जाति के परिवार में हुआ था। अब कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली होने के कारण इस गांव को कर्पूरीग्राम कहा जाता है। कर्पूरी ठाकुर समाजवाद के सच्चे सिपाही थे। केवल सत्रह साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए। देश की आजादी वे लोकनायक जेपी और समाजवादी चिंतक डॉ.राम मनोहर लोहिया के सच्चे चेले थे। तब बिहार के लालू प्रसाद यादव, नितीश कुमार, राम विलास पासवान और सुशील कुमार मोदी जैसे छात्र नेता राजनीति का ककहरा पढ़ रहे थे। इन सब ने कर्पूरी ठाकुर को राजनीतिक गुरु माना।
भारत रत्न देने का फैसला कब हुआ
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला इसी साल 24 जनवरी को हुआ। गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजने का फैसला लिया। खास बात यह कि बुधवार, 24 जनवरी को ही कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती भी थी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने इस साल भारत रत्न के लिए पांच नामों की घोषणा की है। पिछड़ा वर्ग को सशक्त बनाने के समर्थक कर्पूरी ठाकुर के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह, कृषि वैज्ञानिक और भारत में खाद्य क्रांति के जनक के रूप में लोकप्रिय डॉ. एस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न से नवाजा जाएगा। इसके अलावा जनसंघ (भाजपा) के संस्थापकों में शुमार- राजनेता लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न दिया जाएगा।