Maharashtra: मराठा आरक्षण विवाद के बीच फडणवीस का ओबीसी कार्ड: पिछड़े वर्गों के विकास के लिए गिनाईं योजनाएं
Maharashtra News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि ओबीसी के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इसी के साथ उन्होंने हर वंचित व्यक्ति को विकास की धारा में लाने के सरकार के संकल्प को भी बताया।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि “समाज के हर वंचित व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा में जोड़ा जाए।” फडणवीस नागपुर में महात्मा ज्योतिबा फुले रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (महाज्योति) की आधारशिला रखने के बाद आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
महाज्योति की रखी आधारशीला
सभा को संबोधित करते हुए सीएम फडणवीस ने कहा कि हम महाज्योति के माध्यम से प्रतिभाशाली छात्रों के सपनों को साकार करेंगे। यह संस्थान ओबीसी विभाग के मार्गदर्शन में नई पीढ़ी के कुशल और महत्वाकांक्षी छात्रों को तैयार करेगा।”
उन्होंने बताया कि ओबीसी समुदाय के लिए प्रशिक्षण और स्वरोजगार से जुड़ी कई पहलें शुरू की गई हैं। साथ ही सरकार ने ओबीसी वर्ग के लिए “नॉन-क्रीमी लेयर” की सीमा बढ़ाकर 8 लाख रुपये वार्षिक कर दी है, जो इस वर्ग के उज्जवल भविष्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है।
60 से अधिक छात्रावासों की स्थापना
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाज्योति पहले ही ओबीसी छात्रों के लिए 60 से अधिक छात्रावासों की स्थापना करके बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने में मदद कर चुका है। सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आयोजित एक अन्य समारोह को संबोधित करते हुए, फडणवीस ने कहा कि सरकार सभी वर्गों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम के दौरान, संजीवनी योजना के तहत दो चरणों में दिव्यांगजनों को 755 ई-रिक्शा वितरित किए गए। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में लगभग 50 लाख महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं और एक करोड़ महिलाओं को करोड़पति बनाने का लक्ष्य है।
'मराठा बनाम ओबीसी' विवाद के बीच सीएम का बयान
फडणवीस के ये बयान उस समय आए हैं, जब राज्य में मराठा आरक्षण को लेकर विवाद गहराया हुआ है। हाल ही में सरकार के एक प्रस्ताव में मराठा समुदाय के उन लोगों को “कुनबी” जाति प्रमाणपत्र देने की अनुमति दी गई थी, जो अपनी ओबीसी वंशावली साबित कर सकें। ओबीसी संगठनों ने इसे “मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल करने की चाल” बताया है।