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Maharashtra: 24 घंटे बंद रहेंगे अस्पताल, होम्योपैथिक डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन पर भड़के एलोपैथिक डॉक्टर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: हिमांशु चंदेल Updated Thu, 18 Sep 2025 01:12 PM IST
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सार

महाराष्ट्र में करीब 1.8 लाख एलोपैथिक डॉक्टरों ने 24 घंटे की हड़ताल की। वे सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसमें आधुनिक फार्माकोलॉजी कोर्स पूरा करने वाले होम्योपैथिक डॉक्टरों को पंजीकरण की अनुमति दी गई है। आईएमए ने कहा कि यह कदम मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता के लिए खतरनाक है।

Maharashtra Hospitals remain closed 24 hours allopathic doctors furious over registration of homeopathic
सांकेतिक तस्वीर (Doctor) - फोटो : freepik
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महाराष्ट्र में गुरुवार को करीब 1.8 लाख एलोपैथिक डॉक्टरों ने 24 घंटे की हड़ताल की। डॉक्टरों का विरोध राज्य सरकार के उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें होम्योपैथिक डॉक्टरों को आधुनिक फार्माकोलॉजी का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करने के बाद राज्य मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण की अनुमति दी गई है। हालांकि आपातकालीन और गहन चिकित्सा सेवाएं चालू रहीं।
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भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) महाराष्ट्र के अध्यक्ष डॉ. संतोष कदम ने कहा कि इस निर्णय से मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सीधा खतरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चिकित्सा क्षेत्र में भ्रम फैला रही है और यह कदम “क्वैक प्रैक्टिस” को बढ़ावा देगा।
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पहले भी जताया गया था विरोध
दरअसल, राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) को निर्देश दिया था कि जिन होम्योपैथिक डॉक्टरों ने एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स इन मॉडर्न फार्माकोलॉजी किया है, उन्हें पंजीकृत किया जाए। यह पंजीकरण उन्हें सीमित मामलों में एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति देता। लेकिन जब आईएमए ने जुलाई में हड़ताल की चेतावनी दी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की, तब सरकार ने नोटिफिकेशन वापस ले लिया था।

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सरकार ने दोबारा जारी किया परिपत्र
पांच सितंबर को सरकार ने नया सरकारी आदेश (जीआर) जारी कर फिर से पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। इस फैसले से डॉक्टर समुदाय भड़क गया और उन्होंने 24 घंटे की हड़ताल का एलान कर दिया।

बड़े संगठनों ने भी दी हड़ताल को ताकत
हड़ताल में न केवल निजी अस्पतालों के डॉक्टर बल्कि सरकारी और बीएमसी मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हुए। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन, एसोसिएशन ऑफ स्टेट मेडिकल इंटर्न्स और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन ने भी विरोध में भाग लिया।

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मरीजों की सुरक्षा का सवाल
डॉक्टरों का कहना है कि यह कदम चिकित्सा प्रणाली को कमजोर करेगा और ग्रामीण इलाकों में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ होगा। उन्होंने साफ कहा कि यदि सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो भविष्य में बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा।


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