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CJI Gavai: 'सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'; मंदिर मामले में बयान के विरोध पर सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस का जवाब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: बशु जैन
Updated Thu, 18 Sep 2025 05:12 PM IST
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सार
सीजेआई बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने 16 मई को मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के हिस्से जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट की मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सीजेआई ने कुछ बयान भी दिए थे।

सीजेआई बीआर गवई।
- फोटो : PTI
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विस्तार
खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करने वाली याचिका खारिज करने और सुनवाई के दौरान दिए गए बयानों के विरोध पर सीजेआई बीआर गवई ने जवाब दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि याचिका में प्रचार हित से ज्यादा कुछ नहीं है।
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि किसी ने मुझे बताया कि मैंने जो टिप्पणियां की थीं, उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।
याचिका में क्या कहा गया था
राकेश दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण प्रतिष्ठा करने की मांग की थी। सीजेआई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने 16 मई को मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के हिस्से जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट की मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि यह विशुद्ध रूप से प्रचार हित याचिका है...जाइए और स्वयं देवता से कुछ करने के लिए कहिए। यदि आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं तो आप प्रार्थना करें और कुछ ध्यान करें। इस बीच अगर आपको शैव धर्म से कोई आपत्ति नहीं है तो आप वहां जाकर पूजा कर सकते हैं... वहां एक बहुत बड़ा शिवलिंग है, जो खजुराहो के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है।
मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर कई आलोचनात्मक पोस्ट सामने आए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं पिछले 10 वर्षों से सीजेआई को जानता हूं। यह भी गंभीर है, हम न्यूटन के नियम को जानते थे कि प्रत्येक क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है। अब प्रत्येक क्रिया पर सोशल मीडिया पर असमानुपातिक प्रतिक्रिया होती है। प्रधान न्यायाधीश ने सभी धार्मिक स्थलों का दौरा किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम हर रोज कष्ट झेलते हैं। यह एक बेलगाम घोड़ा है। इसे काबू में करने का कोई तरीका नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया।

सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि किसी ने मुझे बताया कि मैंने जो टिप्पणियां की थीं, उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।
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याचिका में क्या कहा गया था
राकेश दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण प्रतिष्ठा करने की मांग की थी। सीजेआई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने 16 मई को मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के हिस्से जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट की मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि यह विशुद्ध रूप से प्रचार हित याचिका है...जाइए और स्वयं देवता से कुछ करने के लिए कहिए। यदि आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं तो आप प्रार्थना करें और कुछ ध्यान करें। इस बीच अगर आपको शैव धर्म से कोई आपत्ति नहीं है तो आप वहां जाकर पूजा कर सकते हैं... वहां एक बहुत बड़ा शिवलिंग है, जो खजुराहो के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है।
मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर कई आलोचनात्मक पोस्ट सामने आए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं पिछले 10 वर्षों से सीजेआई को जानता हूं। यह भी गंभीर है, हम न्यूटन के नियम को जानते थे कि प्रत्येक क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है। अब प्रत्येक क्रिया पर सोशल मीडिया पर असमानुपातिक प्रतिक्रिया होती है। प्रधान न्यायाधीश ने सभी धार्मिक स्थलों का दौरा किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम हर रोज कष्ट झेलते हैं। यह एक बेलगाम घोड़ा है। इसे काबू में करने का कोई तरीका नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया।